घर में दो या दो से ज्यादा बच्चे हो तो उन्हें कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होता है क्योंकि उनके साथ खेलने और बात करने के लिए घर में कोई होता हैं। लेकिन खेल-खेल में बच्चों के बीच लड़ाई-झगड़े भी होते हैं जो कि आम बात हैं। लेकिन ये झगड़े हर बात पर होने लगे तो चिंता की बात हैं। यदि यह नोंक-झोंक रोज की बात हो जाए तो यह पूरे घर में तनाव का माहौल पैदा कर देती है। साथ ही यह उनकी दैनिक गतिवधियों पर भी बुरा असर डालती है। ऐसे में पेरेंट्स को स्थिति को संभालते हुए बच्चों की समझाइश करने की जरूरत होती हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह इस स्थिति को संभाला जाए ताकि बच्चों के बीच आपसी प्रेम बना रहे और उनकी लड़ाई गंभीर रूप न ले।
समझदारी से काम लेना सिखाएं
बच्चों को समझाएं कि उनके दोस्त या कजन्स जब उसके खिलौनों के साथ खेल रहे होते हैं तो हो सकता है उनके पास वो खास खिलौना न हो, जो उनके मन में उस खिलौने को लेकर उत्सुकता पैदा कर रहा हो। ऐसे में उनके इस व्यवहार पर चिढऩे की जगह उनके साथ मिलकर खेलने की कोशिश करें। बच्चे को समझाएं की जब आप उनकी जगह होते हैं और ऐसा महसूस करते हैं तो उस समय उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए।
बात रखने का तरीका सिखाएं
घर पर बच्चे अक्सर अपनी बात साबित करने के लिए एक दूसरे से लड़ते हों तो उन्हें अपनी बात रखने का सही तरीका सिखाएं। उन्हें सिखाएं कि लड़ाई करने या चिल्लाने से वह सही साबित नहीं हो जाएंगे। लड़ाई से स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए शालीनता के साथ अन्य बच्चों से बात करें और अपनी बात को समझाएं।
समस्या सुलझाना सिखाएं
आप बच्चे के झगड़ों को सुलझाने की जगह उसे खुद उसकी समस्या का समाधान ढूंढऩा सिखाएं। उदाहरण के लिए उससे कहें कि वो बारी-बारी अपने दोस्त के साथ खिलौने से खेलें। हो सकता है कई बार उन्हें मामला सुलझाने में दिक्कत हो तो उन्हें विश्वास दिलाएं कि आप उन्हें बेहतर सुझाव दे सकती हैं। ऐसे में जब बच्चों के बीच झगड़ा बढऩे लगेगा तो वो सबसे पहले आप के पास आएगा।
बच्चे के सकारात्मक व्यवहार की तारीफ करें
अगर आपका बच्चा बिना लड़ाई या बहस के अन्य बच्चे से अपनी समस्याएं सुलझाता है तो उसके इस सकारात्मकता व्यवहार की तारीफ करें। बच्चे के इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहन दें ताकि वह भविष्य में भी लड़ाई झगड़े की स्थिति से निपटने के लिए सकारात्मक तरीका ही अपनाएं।
बच्चों को दें समय
बच्चों को समान समय देना भी जरूरी है। अगर आप बच्चों के साथ समान समय नहीं दे पा रहे हैं या आप किसी काम में व्यस्त हैं तो आप उन्हें समझाएं। साथ ही अपनी परिस्थिति के बारे में बताएं। इससे अलग ऐसी जीवन दिनचर्या निर्धारित करें, जिससे आप थोड़ा समय अपने बच्चों को भी देता है।
शांत रहना सिखाएं
अपने बच्चे को गुस्सा आने पर खुद को शांत रखने का तरीका सिखाएं। उदाहरण के लिए, उन्हें समझाएं कि जब कभी उन्हें गुस्सा आए, वो लंबी सांसें लें या फिर वहां से हट जाएं या कहीं और अपना ध्यान लगाएं।
बच्चों को सिखाएं कैसे समझें दूसरों की बातें
अकसर बच्चों की आदत होती है कि वह दूसरों की बात ना सुनकर केवल अपनी ही बात कहे चले जाते हैं। ऐसे में माता पिता का फर्ज है की वे अपने बच्चों को सिखाएं कि दूसरों की बात को सुनना भी जरूरी है। हो सकता है कि वह गलतफहमी के कारण बेवजह किसी बात पर लड़ रहे हैं ऐसे में दूसरों की बातों को सुनना जरूरी है।