जयपुर (एजेंसी)। कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर राजस्थान में शुरू हुए सियासत का आखिर क्या है समाधान? राजस्थान में मुख्यमंत्री बदला जाएगा या अशोक गहलोत अपनी कुर्सी बरकरार रख पाएंगे या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा? इस तरह के सवाल पिछले कई दिनों से जस के तस हैं। विगत दिनों पहले सोनिया गांधी से अशोक गहलोत और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद से ही इस फैसले का इंतजार किया जा रहा है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा था कि 1-2 दिन में मुख्यमंत्री पर फैसला हो जाएगा। हालांकि, अब तक पार्टी की ओर से ना तो कोई फैसला सुनाया गया है और ना ही कोई संकेत दिया गया है। अब तो वक्त ही बताएगा कि क्या होगा।
अशोक गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। इससे राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन और पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलों के बीच अशोक गहलोत के कई वफादार विधायकों ने विस अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया था। हालांकि, गहलोत ने बाद में घोषणा की थी कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव में हिस्सा नहीं लेेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी हाईकमान गहलोत से नाराज है और उन्हें सीएम पद से भी हटाना चाहती है।
सोनिया गांधी से दिल्ली में माफी मांगकर वापस लौटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इतवार को एक बार फिर अपने तेवर दिखाए और इशारों-इशारों में साफ कर दिया कि सचिन पायलट उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में बिलकुल भी मंजूर नहीं हैं। अशोक गहलोत ने संकेत दिया है कि राज्य में अधिकतर एमएलए (विधायक) उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि इस बात पर गौर किया जाए कि राज्य में नए मुख्यमंत्री के नाम पर विधायकों में क्यों नाराजगी है? उन्होंने कहा, नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति किए जाने पर बहुत सारे विधायक पाला बदल लेते हैं, और नए नेता के साथ हो जाते हैं, मैं इसे गलत भी नहीं मानता, लेकिन यहांं ऐसा नहीं हुआ। अशोक गहलोत ने सचिन का नाम लिए बिना कहा, कि जब नए मुख्यमंत्री के आने की संभावना थी तो क्या कारण था कि उनके नाम से ही विधायक पूरी तरह से भड़क गए, जो आज तक कभी नहीं हुआ, उन्हें इतना भय किस बात का था।
क्यों देर कर रही हैं सोनिया
बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान राज्य में बदलाव के पक्ष में है। पार्टी नेतृत्व 2018 से ही ‘सीएम इन वेटिंग सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने को तैयार है। हालांकि, विधायकों पर ‘गहलोत का जादू आड़े आ रहा है। पार्टी नेतृत्व इस बात को जानती है कि अधिकतर विधायक अभी भी गहलोत के पक्ष में हैं और खुद गहलोत भी सीएम पद के लिए सबकुछ दांव पर लगाने को तैयार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के सबसे प्रबल दावेदार समझे जा रहे गहलोत ने खुद को इस रेस से तो बाहर कर लिया लेकिन राजस्थान का मोह वह छोड़ नहीं पा रहे हैं। पार्टी रणनीतिकारों को आशंका है कि गहलोत की मर्जी के खिलाफ जाने पर राज्य में सरकार खतरे में पड़ सकती है।