-दीपक रंजन दास
प्रेम कभी समर्पण, त्याग और बलिदान का पर्याय हुआ करता था. पर अब स्थिति उलट चुकी है. अब प्रेम एक ऐसा खेल है, जिसमें शतरंज खेलने से भी ज्यादा शातिर दिमाग की जरूरत होती है. इसमें विभिन्न प्रकार के जाल फैलाए जाते हैं. इस जाल की खास बात यह है कि इसमें बिना चारा डाले ही बालिग-नाबालिग किसी को भी फंसाया जा सकता है. पर यह जाल भी जेंडर बायस्ड है. इसमें आमतौर पर लड़कियां ही फंसती हैं. वैसे प्रकृति ने लड़कियों को छठी इंद्रीय दे रखी है जिससे वे चाहें तो किसी की नीयत को चुटकियों में ताड़ सकती हैं. पर इस जाल में फंसी लड़कियों की छठी इंद्रीय सुप्त हो जाती है. कभी- कभार लड़के भी फंसते हैं, पर कुछ तो मेल इगो और कुछ बेशर्मी उनके काम आ जाती है. फांसने के बाद भी उन्हें अपने इशारों पर नचाना मुश्किल ही होता है. हालांकि इसके भी अपवाद हैं. पुरुष किसी खास ओहदे पर हो, समाज में उसकी कोई साख हो तो वह भी बेचारा बनकर उंगलियों के इशारे पर नाचने लगता है. अब जबकि मोबाइल फोन के रूप में हर हाथ में कैमरा और रिकार्डर आ गया है, तो इस जाल में कुछ दांत भी उग आए हैं. ये दांत जाल में फंसे लोगों को काटते हैं, चबाते हैं और लहूलुहान कर देते हैं. कोई ऑडियो रिकार्ड कर लेता है तो कोई वीडियो बना लेता है. जोश ज्यादा हो तो लोग अपना पर्सनल वीडियो खुद शूट कर उसे शेयर कर देते हैं. पहले कहा जाता था कि प्रेम जीवन में एक ही बार होता है. गलत कहते थे वो लोग. प्यार बार-बार, कई बार हो सकता है. फटाफट प्यार का एक फायदा यह भी है कि इसमें फटाफट ब्रेकअप की भी सुविधा है. कपल फोटोग्राफ्स को बीच से फाड़ लो, गिफ्ट्स लौटा दो और हो गया ब्रेकअप. रह जाता है केवल मोबाइल में कैद इसका इतिहास. कुछ लोग नंबर, फोटो, वीडियो और कॉल रिकार्ड डिलीट कर देते हैं. पर कुछ लोग इसकी कापियां रख लेते हैं. उनका ‘यह दिल मांगे मोरÓ इतनी जल्दी हार नहीं मानता. वह फोटो, वीडियो की बिनाह पर ब्लैकमेल करने लगता है. कभी मिलने बुलाता है, कभी पैसे मांगता है तो कभी कुछ और. जब पानी नाक तक आ जाता है तो लोग पुलिस के पास पहुंचते हैं. पुलिस ऐसे मामलों से तंग आ चुकी है. जब-जब ऐसी कोई लड़की उनके सामने आती है, उनकी आंखों के आगे अपनी बहन-बेटी का चेहरा घूम जाता है. वे आशिक की जमकर धुनाई करते हैं. स्कूल-कॉलेज में जाकर लड़कियों को समझाते हैं, सुरक्षा और आत्मरक्षा के टिप्स भी देते हैं. पर समस्या है कि सुरसा के मुंह की तरह फैलती चली जा रही है. दरअसल जब पुलिस ज्ञान बांट रही होती है, तब भी ऐसे कपल्स किसी पेड़ के नीचे, किसी थिएटर के कोने में बैठे होते हैं. इनकी आवाज उनतक पहुंचती ही नहीं.