बीजापुर। बीजापुर जिले में एक महिला नक्सली ने अपनी बेटी से मिलने के लिए सरेंडर कर दिया। महिला अपनी को साथ लेकर पुलिस स्टेशन पहुंची। महिला के सिर पर पांच लाख रुपये तक का ईनाम घोषित किया गया था। एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
2003 से प्रतिबंधित संगठन के लिए काम क रही थीं
विद्रोही के रूप में पहचाने जाने वाली सोमली सोढ़ी उर्फ वनिता (32) ने साल 2003 से प्रतिबंधित संगठन के लिए काम कर रही ती और 2018 में इसके स्थानीय संगठन नागरम के दस्ते की कमांडर थी।

दुव्र्यवहार करते हैं नक्सली
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक अंजनेया वष्र्णेय ने बताया कि उसने अपनी बेटी और परिवार की खातिर शनिवार को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस को दिए अपने बयान में बीजापुर की रहने वाली विद्रोही ने खोखली माओवादी विचारधारा, दुव्र्यवहार, उत्पीडऩ और परिवार के प्रति लगाव को नक्सल आंदोलन छोडऩे का कारण बताया।
वह साल 2004 में आवापल्ली-इल्मिडीह सड़क विकास परियोजना को सुरक्षा प्रदान करने में लगे पुलिसकर्मियों पर हमला करने वाली नक्सल टीम का हिस्सा थीं।

रानी बोदली कैम्प पर भी किया था हमला
पुलिस अधीक्षक अंजनेया वष्र्णेय ने बताया कि वह उस विद्रोही दल का भी हिस्सा थीं जिसने 2006 में आवापल्ली में पुलिसकर्मियों पर फायरिंग के बाद आईडी विस्फोट किया था, 2007 में सुरक्षा बलों के रानी बोदली कैम्प पर हमला और अन्य घटनाएं हुईं जिसमें 55 जवानों की शहादत हुई थी।
पुनर्वास नीति के तहत मिलेगा लाभ
पुलिस अधिकारी ने बताया कि वनिता द्वारा शनिवार को हथियार डालने के बाद उसे राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जाएगा। फिलहाल उसे 10 हजार रुपये की नकद सहायता दी गई।