नई दिल्ली/रायपुर (एजेंसी)। भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आगाज कर दिया है। पार्टी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम रमन सिंह समेत दोनों राज्यों के बड़े नेताओं के साथ बैठक की। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि भाजपा एमपी में कुछ मंत्रियों को बदल सकती है। यहां पार्टी 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर बहुमत से सत्ता बनाए रखने की कोशिश में है। जानकार बताते हैं कि एमपी को लेकर हुई बैठक में मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर चर्चाएं की गई हैं। साथ ही परिषदों और बोड्र्स की नियुक्ति का मुद्दा भी चर्चा में शामिल रहा। वहीं, छत्तीसगढ़ में नए चेहरे के साथ चुनाव में उतरने के आसार हैं। बताया जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में इस बार छत्तीसगढ़ में पीएम नरेंद्र मोदी ही सबसे बड़ा चेहरा होंगे। असल में खैरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस से मिली हार के बाद भाजपा को अंदरखाने डर सताने लगा है। इसलिए हाईकमान ने विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी की दशा और दिशा सुधारने का टास्क प्रदेश के नेताओं को दिया है। वहीं इस बात की भी संभावना जताई गई है कि भाजपा नए चेहरे के साथ चुनाव लड़ेगी और शायद सीएम का चेहरा भी चुनाव बाद सामने आए।
आदिवासी समुदायों के बीच पकड़ मजबूत करेगी भाजपा
दिल्ली की बैठक में मिले निर्देशों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी के लिए भाजपा को प्रयास दोगुने करने होंगे। पार्टी ने ओबीसी और आदिवासी समुदायों को ध्यान में रखकर कार्यक्रम तैयार किया है। संभावना है कि राज्य में पार्टी नए चेहरे के साथ चुनाव लड़े। दिल्ली की बैठक में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, महामंत्री (संगठन) पवन साय और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक मौजूद शामिल हुए। पार्टी अब छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों के बीच पकड़ मजबूत करने पर काम शुरू करेगी, क्योंकि सत्ता में वापसी का रास्ता बस्तर और सरगुजा संभाग से ही निकलेगा।

2018 में एमपी में भाजपा को लगा था झटका अब भरपाई की तैयारी
साल 2018 में हुए चुनाव में भाजपा की सीटें 165 से कम होकर 109 पर आ गई थी। वहीं, वोट प्रतिशत भी 41 प्रतिशत पर आ गया था। इससे पहले यह आंकड़ा 43 फीसदी से थोड़ा ज्यादा था। हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी राज्य में दोबारा सत्ता हासिल करने में सफल हो गई थी।

15 साल तक सत्ता में रहने वाली भाजपा जनता की नब्ज टटोलने और सीएम फेस को लेकर चिंतित
बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, सीएम चौहान, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, भाजपा महासचिव बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश महासचिव हितानंद शर्मा और राज्य के मंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद थे। छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी बुरी तरह से हार का सामना करने वाली भाजपा अब जनता की नब्ज टटोलने और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चिंतित है। साल 2018 में छत्तीसगढ़ गंवाने वाली भाजपा लगातार 4 उप चुनाव हार चुकी है। 15 नगरीय निकायों के चुनाव में तो पार्टी की एकतरफा हार हुई है। शीर्ष नेतृत्व पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन को लेकर भी परेशान है। हाल ही में पार्टी ने खैरागढ़ विधानसभा उप चुनाव हारा। पहले यह सीट भाजपा के पास थी। फिर जनता कांग्रेस जोगी के पास गई और अब मौजूदा सरकार कांग्रेस के पास है। भाजपा को यहां 20 हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
गुटबाजी पड़ रही भारी
सूत्र बताते हैं कि गुटबाजी की वजह से संगठन में एकता नहीं है। कई गुटों में नेता बंटे हुए हैं। कोई भी बड़े आयोजनों में नेताओं का नहीं आना भी सुर्खियों में रहता है। पिछले चुनाव में आदिवासी सीएम की मांग उठी थी। आदिवासी नेताओं ने इसके लिए आवाज भी उठाई थी। रायपुर व दुर्ग संभाग में भाजपा के दिग्गज नेताओं का गुट भी सक्रिय है। राजधानी रायपुर से लेकर दुर्ग, बस्तर, बिलासपुर व सरगुजा तक कई गुटों में नेता बंटे हुए हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी व सीएम भूपेश बघेल भी समय-समय पर इस पर तंज कसते रहे हैं। सीएम भूपेश बघेल तो कई बार यहां तक कह चुके हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रदेश संगठन पर भरोसा नहीं है। राष्ट्रीय नेतृत्व यहां के भाजपा नेताओं से किनारा करने लगे हैं। प्रदेश प्रभारी भी स्थानीय नेताओं को तवज्जों नहीं देती।