रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि बस्तर क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा अब नक्सल विद्रोह से मुक्त हो गया है। बघेल ने विद्रोहियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की सफलताओं के लिए उनकी सराहना की। वह रायपुर पुलिस परेड ग्राउंड में नए साल के अवसर पर राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। बघेल ने कहा कि उनकी सरकार ने उग्रवाद प्रभावित राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ की छवि बदल दी है।
सीएम ने कहा, मुझे खुशी है कि हमारी पुलिस नक्सल प्रभावित इलाकों में बेहतरीन काम कर रही है। नक्सलवाद सिर्फ कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक और सामाजिक समस्या भी है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया कि सुरक्षा बलों ने माओवादियों के गढ़ों में शिविर लगाए हैं, जिससे विद्रोहियों को पीछे की ओर धकेल दिया गया है। अब वनवासी, ज्यादातर आदिवासी (नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में) सुरक्षा कर्मियों को अपना दोस्त मानते हैं और समझते हैं कि सुरक्षा कर्मियों को उनकी सुरक्षा के लिए वहां तैनात किया गया है।

बघेल ने कहा, यह सब संभव हो सकता है क्योंकि पुलिस स्थानीय लोगों की मदद कर रही है और सड़कों, पुलों और पुलियों के निर्माण सहित विकास कार्य हो रहे हैं। बस्तर के एक बड़े हिस्से को नक्सल खतरे से छुटकारा मिल गया है। इससे पहले जब छत्तीसगढ़ की बात आती थी तो राज्य के बाहर के लोग केवल नक्सलवाद की बात करते थे, लेकिन हमारी सरकार ने इस सोच और राज्य की इस छवि को बदल दिया है।

सुकमा जिले में 44 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित सुकमा जिले में शनिवार को नौ महिला कैडरों सहित 44 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सुकमा के पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने बताया कि जिले के चिंतलनार, किस्ताराम और भेजी इलाकों में सक्रिय ज्यादातर निचले तबके के विद्रोही करीगुंडम गांव में नव स्थापित पुलिस शिविर में शामिल हो गए हैं। उनमें से एक माओवादी प्लाटून नं. चार के सिर पर 2 लाख रुपये का इनाम भी था।