नई दिल्ली (एजेंसी)। कोयले की कमी के कारण देशभर में पैदा हुए बिजली संकट को लेकर दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में कोई कोल पावर प्लांट नहीं है। हम दूसरे राज्यों में स्थित कोयला संयंत्रों से बिजली खरीदते हैं। एनटीपीसी ने अपने सभी संयंत्रों की उत्पादन क्षमता को आधा कर दिया है। इसके दो कारण हो सकते हैं, पहला कोयले की कमी या दूसरा केंद्र ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा है।
जैन ने कहा कि एनटीपीसी से दिल्ली को लगभग 4000 मेगावाट बिजली मिलती थी, लेकिन आज की तारीख में उससे आधी बिजली भी नहीं मिल पा रही है, जो चिंतनीय है। पूरे देश में बिजली का संकट है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ब्लैकआउट इस पर निर्भर करता है कि केंद्र सरकार बिजली देगी या नहीं। जब तक बिजली देते रहेंगे, ब्लैकआउट नहीं होगा, अभी केवल आधी बिजली दे रहे हैं। हम महंगी बिजली खरीदकर लोगों को दे रहे हैं। केंद्र ने देश के सभी प्लांट का उत्पादन एक साथ आधा कर दिया है।
There is no coal power plant in Delhi. We buy electricity from coal plants situated in other states. NTPC capped production capacity of all its plants to half. There can be two reasons, first coal shortage or secondly centre has told them to do it: Delhi Power Min Satyendar Jain pic.twitter.com/YGY7P6zmSa
— ANI (@ANI) October 12, 2021
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री ने सोमवार को कहा था कि एनटीपीसी ने शहर को दी जाने वाली चार हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति को आधा कर दिया है, जिसके बाद दिल्ली सरकार महंगी गैस आधारित बिजली के साथ-साथ उच्च बाजार दर पर इसे खरीदने को मजबूर है। उन्होंने दावा किया कि नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) के अधिकतर संयंत्र 55 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास केवल एक-दो दिन का कोयला बचा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली अधिकतर बिजली एनटीपीसी से खरीदती है, लेकिन इसकी आपूर्ति आधी कर दी गई है।

जैन ने कहा कि एनटीपीसी हमें 4000 मेगावाट बिजली देती है, लेकिन इसने वर्तमान में यह मात्रा आधी कर दी है। इसके कारण हमें गैस के जरिए बिजली उत्पादन करना पड़ रहा है, जिसकी कीमत 17.25 रुपये प्रति यूनिट है। दिल्ली में गैस आधारित तीन संयंत्र हैं, जिनकी कुल क्षमता 1900 मेगावाट है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि केन्द्र ने सस्ती गैस का कोटा समाप्त कर दिया है। हमें इसे खरीदना पड़ रहा है और इसके उत्पादन की लागत 17.50 रुपये है। इसके अलावा संकट के कारण हमें बिजली उच्च दरों पर 20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदनी पड़ रही है। जैन ने कहा कि केन्द्र को कोयला संकट की बात खारिज करने की जगह इसे स्वीकार करना चाहिए। इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब भी बिजली कटौती का सामना कर रहा है।
पूरे देश में बिजली की स्थिति बहुत गंभीर : केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा था कि पूरे देश में बिजली की स्थिति बेहद नाजुक है। केजरीवाल ने कहा कि बिजली संकट से निपटने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं और उनकी सरकार नहीं चाहती कि कोई भी आपातकालीन स्थिति पैदा हो। उन्होंने मीडिया कर्मियों से कहा कि पूरे देश में स्थिति बहुत गंभीर है। कई मुख्यमंत्रियों ने इसके बारे में केंद्र सरकार को लिखा है। सभी मिलकर स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
कोयला संकट पर अमित शाह ने संभाली कमान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश में कोयला संकट की खबरों के बीच सोमवार को बिजली मंत्री आर.के. सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बैठक की थी। माना जा रहा है कि घंटे भर चली बैठक के दौरान तीनों मंत्रियों ने बिजली संयंत्रों को कोयले की उपलब्धता और इस समय बिजली की मांग पर चर्चा की। बैठक में बिजली और कोयला मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। अधिकारियों ने कहा कि बैठक कई राज्यों द्वारा बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण संभावित बिजली संकट की चेतावनी के मद्देनजर हुई। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बिजली की खपत आठ अक्टूबर को 390 करोड़ यूनिट थी, जो इस महीने अब तक (1-9 अक्टूबर) सबसे ज्यादा थी। बिजली की मांग में तेजी देश में चल रहे कोयला संकट के बीच चिंता का विषय बन गई है।
बता दें कि, टाटा पावर की इकाई टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (डीडीएल), जो उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में बिजली वितरण का काम करती है, उसने शनिवार को अपने उपभोक्ताओं को फोन पर संदेश भेजकर कोयले की सीमित उपलब्धता के चलते विवेकपूर्ण तरीके से बिजली का उपयोग करने का अनुरोध किया था।




