बिजनेस डेस्क (एजेंसी)। साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ा है। आम लोगों और व्यवसायों पर महामारी का गहरा असर हुआ है। ऐसे में रेलवे, टूरिज्म, रियल एस्टेट, ऑटो, एजुकेशन, आदि सभी सेक्टर्स एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले बजट से आस लगाए बैठे हैं। इस बजट का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई है। इसलिए अब सभी को इस बात का इंतजार है कि वित्त मंत्री के पिटारे से किसको क्या सौगात मिलेगी।
सरकार ने किस क्षेत्र को क्या राहत दी, इसकी पूरी जानकारी आपको अमर उजाला पर मिलेगी। अमर उजाला की वेबसाइट पर आपको इसकी विस्तृत जानकारी मिलेगी। साथ ही फेसबुक पेज और यूट्यूब पर आप बजट लाइव भी देख सकते हैं, जहां बजट विशेषज्ञ आपको बताएंगे कि किसको फायदा हुआ है और किसको नुकसान। आइए जानते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों की बजट 2021 से क्या मांगें हैं।
शिक्षा क्षेत्र
- एक और महत्वपूर्ण पहलू जिसे केंद्रीय बजट 2021 में देखा जा रहा है, वो है निजी क्षेत्र की संस्थाओं को दी जा सकने वाली वित्तीय सहायता, जिसमें कम लागत और शून्य-लागत कर्ज शामिल है।
- सरकार को राहत कोष स्थापित करने के लिए बजट में आवंटन के बारे में सोचना चाहिए। जिससे कोविड-19 में मुश्किलों को झेलने वाले अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूलों को आसान क्रेडिट या सैलरी फंड उपलब्ध हो सके।
- सरकार को प्रत्येक सरकारी और निजी स्कूल में डाटा कनेक्शन उपलब्ध कराना चाहिए, जिससे स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से आगे चलकर छात्रों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो।
रियल एस्टेट क्षेत्र
- आगामी बजट में कर छूट का दायरा बढ़ाने की मांग की है। आवास ऋण के भुगतान पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत मिलने वाली कर छूट की सीमा भी बढ़ाई जानी चाहिए।
- रियल एस्टेट निवेश न्यास (रीट) में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर प्रोत्साहन की भी सिफारिश की गई है।
- यह मांग भी की गई है कि 30 लाख रुपये या उससे कम के किफायती घरों पर उसकी कीमत का 90 फीसदी तक होम लोन दिया जाए। होम लोन के ब्याज पर आयकर छूट की सालाना दो लाख की सीमा को पूरी तरह खत्म किया जाए या फिर इसे नए स्तर पर ले जाया जाए।
समाचार पत्र प्रकाशकों की मांग
- समाचार पत्र प्रकाशकों ने सरकार से न्यूजप्रिंट पर लागू पांच फीसदी का आयात शुल्क हटाने की मांग की है।
- इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट से पहले सौंपे ज्ञापन में अखबारी कागज के आयात पर सीमा शुल्क कटौती, उद्योग को प्रोत्साहन पैकेज या कम से कम 50 फीसदी बढ़े शुल्क के साथ विज्ञापन जारी करने का आग्रह किया है।
पर्यटन व आतिथ्य क्षेत्र
- भारतीय पर्यटन और आतिथ्य के संघों के महासंघ (एफएआईटीएच) ने देशभर में पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने के लिए कहा है।
- महासंघ के कार्यवाहक सीईओ आशीष गुप्ता ने कहा था कि, ‘एफएआईटीएच के सदस्य सामूहिक रूप से सरकार के विभिन्न सदस्यों के संपर्क में हैं और उन्हें आम बजट में उचित राहत मिलने की उम्मीद है।Ó उन्होंने कहा कि एफएआईटीएच ने पर्यटन क्षेत्र के लिए कई तरह की कर राहत की सिफारिश भी की है, जिसमें निर्यात आय को कर मुक्त बनाने और और भारत में यात्रा करने पर आयकर छूट दिए जाने की बात शामिल है।
एमएसएमएई
- इस बजट में एमएसएमएई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सेक्टर को राहत मिलने की संभावना है।
- कारोबारी ग्रोथ को बढ़ाने और एमएसएमई के प्रोत्साहन के लिए व्यावसायिक सेवाओं पर जीएसटी दर 5 फीसदी तक घटाया जाना चाहिए, जो इस समय 18 फीसदी है।
- बजट में केंद्र सरकार एमएसएमई को एनपीए से जुड़े नियमों में भी राहत दे सकती है। एनपीए क्लासीफिकेशन पीरियड को एमएसएमई के लिए 90 दिन से 120 या 180 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
ऑटो सेक्टर
- ऑटो सेक्टर जीएसटी में कटौती की मांग कर रहा है। कोरोना के बाद लोगों ने पर्सनल व्हीकल को रखना शुरू किया है। जिसके चलते पहली बार गाड़ी खरीदने वालों की संख्या में काफी तेजी आई है। वर्तमान में व्हीकल पर लगभग 28 फीसदी का जीएसटी लगता है। ऑटो इंडस्ट्री की मांग है कि अगर इसे घटाकर 18 फीसदी कर दिया जाता है तो मांग में जबरदस्त तेजी आएगी।
- ट्रक और बस जैसे 15 साल से पुराने वाहनों को सड़क से हटाने का प्रस्ताव है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बजट में सरकार व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी लेकर आएगी। अगर इस दिशा में बजट में फैसला लिया जाता है तो इस सेक्टर में जान आ जाएगी।
लग्जरी कार कंपनियां
- लग्जरी कार कंपनियों मर्सिडीज-बेंज, ऑडी और लैम्बोर्गिनी को उम्मीद है कि सरकार आगामी आम बजट में वाहनों पर करों में कटौती करेगी। इन कंपनियों का कहना है कि ऊंचे कराधान की वजह से प्रीमियम कारों का बाजार आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
- लैम्बोर्गिनी इंडिया के प्रमुख शरद अग्रवाल ने कहा कि सुपर लग्जरी खंड को सरकार से निरंतरता कायम रखने की उम्मीद है। अग्रवाल ने कहा कि, ‘हम चाहते हैं कि 2021 में यह क्षेत्र कम से कम 2019 के स्तर पर पहुंच जाए। हम अभी वृद्धि की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि यह क्षेत्र 2019 का स्तर हासिल कर ले। यदि लग्जरी कारों पर कर बढ़ता है, तो इस क्षेत्र पर काफी अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।Ó
रेलवे
- रेल मंत्रालय ने अगले साल अपने पूंजीगत व्यय को 13 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही सड़कों और राजमार्ग मंत्रालय की मांग है कि परिचालन को आधुनिक बनाने और इसके आवंटन में 10 फीसदी की वृद्धि हो।
- रेलवे ने निजी निवेश बढ़ाने और यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय से ज्यादा बजटीय सहायता मांगी है। रेल मंत्रालय ने 15 से 20 फीसदी ज्यादा मदद का प्रस्ताव भेजा है। इसी तरह, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को निधि आवंटन में लगभग 10 फीसदी की वृद्धि करने के लिए कहा है, यह देखते हुए कि प्रमुख परियोजनाओं को एक्सप्रेसवे सहित लाइन में खड़ा किया गया है।
- यह भी उम्मीद की जा रही है कि भारतीय रेलवे के लिए की जाने वाली घोषणाओं के केंद्र में देश का बुलेट ट्रेन नेटवर्क होगा। बता दें कि अब रेल बजट को आम बजट में ही शामिल कर दिया गया है। पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 को पेश करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर तेजी से काम कर रही है।
वरिष्ठ नागरिक
- वरिष्ठ नागरिकों को देशभर में दवाइयों की कीमत पर 30 फीसदी की छूट की उम्मीद है। आधार कार्ड जमा करने पर वरिष्ठ नागरिकों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जा सकती हैं। सभी पैथोलॉजी चेकअप, उपचार और ऑपरेशन के लिए भी छूट दी जानी चाहिए।
- वरिष्ठ नागरिकों ने मांग की है कि उन्हें दांतो का इलाज के लिए विशेष रूप से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि यह बहुत महंगा हो गया है। यहां तक कि मेडिकल प्रीमियम भी कम किया जा सकता है।
- नागरिकों ने यह भी अनुरोध किया है कि अगर उनकी आय पांच लाख रुपये तक है, तो इसपर कोई रिटर्न दाखिल नहीं होना चाहिए।
- वहीं, अगर आय पांच लाख रुपये से अधिक है, तो आप उसके अनुसार कर लगा सकते हैं।
- सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (स्ष्टस्स्) पर 10 फीसदी ब्याज का लाभ दिया जा सकता है। मौजूदा समय में इसके तहत 7.4 फीसदी ब्याज मिलता है। इसके साथ ही तिमाही देय ब्याज का भुगतान मासिक रूप से किया जाना चाहिए है। नागरिकों ने अपील की है कि योजना की लिमिट 15 लाख से 30 लाख रुपये तक बढ़ाई जाए।
फार्मा क्षेत्र
- फार्मा क्षेत्र को उम्मीद है कि आगामी बजट में विशेष रूप से शोध एवं विकास तथा नवोन्मेषण के लिए समर्थन दिया जाएगा।
- फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशुतोष रघुवंशी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए अधिक बजट आवंटन की जरूरत है। रघुवंशी ने कहा कि यह क्षेत्र न केवल विदेशी मुद्रा आमदनी अर्जित करने बल्कि रोजगार देने की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, कुल नीति पारिस्थिति की तंत्र स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर जोर देने वाला और स्वास्थ्य ढांचे के निर्माण पर केंद्रित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योग शोध एवं विकास तथा नवोन्मेषण के लिए समर्थन और प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहा है।
कारोबारी
- सरकार अगले सप्ताह पेश किए जाने वाले आम बजट में कई वस्तुओं पर सीमा शुल्क में कटौती कर सकती है, जिसमें फर्नीचर का कच्चा माल, तांबा भंगार, कुछ रसायन, दूरसंचार उपकरण और रबड़ उत्पाद शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार पॉलिश किए गए हीरे, रबड़ के सामान, चमड़े के कपड़े, दूरसंचार उपकरण और कालीन जैसे 20 से अधिक उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती की जा सकती है।
- इसके अलावा फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल होने वाली कुछ लकडिय़ों और हार्डबोर्ड आदि पर सीमा शुल्क पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि, ‘महंगा कच्चा माल अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की कीमत प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करता है। देश से फर्नीचर का निर्यात बहुत कम (लगभग एक फीसदी) है, जबकि चीन और वियतनाम जैसे देश इस क्षेत्र के प्रमुख निर्यातक हैं।
ई-वाणिज्य
- केंद्र सरकार बजट में ई-वाणिज्य आयात और निर्यात के लिए थोक मंजूरी की सुविधा प्रदान करने जैसे उपायों की घोषणा कर सकती है। सूत्रों ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि तेजी से बढ़ रहे ई-वाणिज्य क्षेत्र की वृद्धि को और गति प्रदान करने के लिए ऐसा किया जा सकता है।
- देश में ई-वाणिज्य क्षेत्र में कई गुना वृद्धि हुई है। इसके कारण ई-वाणिज्य मंचों के मार्फत काफी संख्या में उत्पाद देश से बाहर जा रहे हैं और यहां आ रहे हैं। अत: इस क्षेत्र में नियंत्रण व सुविधाओं के क्रियान्वयन में संतुलन बनाने की जरूरत है।
कृषि क्षेत्र
- सरकार कृषि क्षेत्र के लिए हर साल कर्ज का लक्ष्य बढ़ाती रही है और इस बार भी 2021-22 के लिए लक्ष्य को बढ़ाकर करीब 19 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने कृषि ऋण का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये रखा है।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा था कि, ‘कृषि क्षेत्र को कर्ज देने के मामले में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और सहकारी बैंक सक्रिय रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) पुनर्वित्त योजना का आगे और विस्तार किया जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 के लिये कृषि कर्ज का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।
रेस्तरां व खाद्य डिलीवरी क्षेत्र
- रेस्तरां व खाद्य डिलीवरी क्षेत्र ने होम डिलीवरी पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने की मांग की है। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कहा कि तीन अरब डॉलर के इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये जीएसटी दर को तार्किक बनाना आवश्यक है।
- फूजा फूड्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक दिब्येंदू बनर्जी ने कहा कि, ‘भारत में ऑनलाइन फूड डिलीवरी क्षेत्र काफी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यह अभी 2.94 अरब डॉलर का है और 22 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है। हालांकि, कर संबंधी जटिलताओं के चलते वृद्धि की राह में अवरोध उत्पन्न हो रहे हैं।