नई दिल्ली (एजेंसी)। पिछले महीने संसद से पास हुए कृषि सुधार कानूनों का कांग्रेस राजनीतिक रूप से विरोध करती रहेगी। दूसरी तरफ पार्टी ने कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के विकल्प को भी खारिज नहीं किया है, लेकिन दुविधा बरकरार है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस सप्ताह पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर रैली की अगुआई की। ये कानून संसद में भारी हंगामे के बीच पास हुए और राज्यसभा में इसके विरोध के दौरान गलत आचरण की वजह से 8 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।
राहुल गांधी ने सोमवार को मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले छह साल में इसकी एक भी नीति से गरीबों को फायदा नहीं हुआ है। राहुल गांधी ने कहा, ‘कोरोना वायरस महामारी के बीच उन्होंने तीन काले कृषि कानून पास किए। इस समय यह करने की क्या जल्दबाजी थी? उन्होंने ऐसा किया क्योंकि वे सोचते हैं कि किसान कुछ नहीं कर पाएंगे, लेकिन वे किसानों की शक्ति नहीं जानते हैं। राहुल गांधी ने पंजाब के संगरूर में खेती बचाओ रैली के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की।
पार्टी ने कांग्रेस शासित राज्यों से कहा है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपना कृषि विधेयक पास करें। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इन प्रस्तावित विधेयकों को तैयार किया है। ऐसे में जब राजनीतिक विरोध जोर पकड़ रहा है और कांग्रेस शासित राज्य अपना कानून लाने की तैयारी हैं, पार्टी मानती है कि अभी यह समय सुप्रीम कोर्ट जाने का नहीं है, क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन होने से नया मोड़ ले लेगा।
सिंघवी ने कहा, ‘राजनीतिक आंदोलन के लिए समय और अवसर होता है। इसी तरह कानूनी उपायों के लिए भी समय और अवसर है। कांग्रेस के पास कोर्ट जाने का अधिकार है और सही समय पर ऐसा करेगी। एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैंने कानूनी विकल्पों को नजरअंदाज करने का सुझाव दिया है। हमें राजनीतिक आंदोलन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
पार्टी नेताओं को लगता है कि यदि कांग्रेस कोर्ट गई तो राज्य विधानसभाओं में कानून पास कराने की कोशिश प्रभावित होगी क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन होगा। कांग्रेस पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ‘कानून बनने के लिए हर बिल को राष्ट्रपति की सहमित की आवश्यकता होती है, राष्ट्रपति राज्य के बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए चल रहे केसों का हवाला दे सकते हैं।
पार्टी कोर्ट के फैसले को लेकर भी विश्वास में नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में आ जाता है, हम जमीन खो देंगे और फिर आंदोलन करना मुश्किल हो जाएगा। राफेल (लड़ाकू विमान सौदा) मामले में यही हुआ था। गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने लड़ाकू विमान सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को क्लीन चिट दे दी।
कांग्रेस सांसद टीएन प्रथापन ने कृषि कानून के खिलाफ कोर्ट का रुख किया, लेकिन कांग्रेस ने पार्टी के तौर पर अभी कोर्ट में चुनौती देने को लेकर अंतिम फैसला नहीं किया है। प्रथापन ने कहा है कि उन्होंने पास हुए तीन कानूनों में से एक को चुनौती दी है।