चीन समेत पड़ोसी देशों की वस्तुओं और सेवाओं पर सख्ती, आत्मनिर्भर भारत से दोहरा झटका देने की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत सरकार की ओर से पिछले दिनों चीन समेत कई पड़ोसी देशों के उत्पादों और सेवाओं पर पाबंदी लगाने के फैसले को उद्योग जगत आत्मनिर्भर अभियान के लिए बेहद अहम मान रहा है। पिछले महीने चीन के एप पर पाबंदी और उसके बाद दूसरे देशों के जरिये चोर दरवाजे से भारत में कारोबार करने की चीन की रणनीति एक झटके में खत्म होती दिख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के दिनों में भारत ने जो आर्थिक दिवार खड़ी की है उसे पार पाना चीन के लिए आसान नहीं होगा।
गुरुवार देर रात सरकार ने चीन समेत पड़ोसी देशों के उत्पादों और सेवाओं को सरकारी कंपनियों में भागीदारी पर रोक लगा दी। इसके पहले पिछले महीने चीन के 59 ऐप पर पाबंदी लग चुकी है जिससे चीन को करारा झटका लगा है। वहीं घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार पहले ही सरकारी कंपनियों में 200 करोड़ रुपये तक के ठेके को वैश्विक बोली के दायरे से बाहर कर चुकी है। इससे जहां देश की छोटी कंपनियों को फायदा होगा चीन समेत दुनिया की बड़ी कंपनियां एक झटके से इस फैसले से बाहर हो गईं।
भारत कई मोर्चे पर चीन को पटखनी देनी की रणनीति
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन से बढ़ते तनाव के बाद भारत कई मोर्चे पर चीन को पटखनी देनी की रणनीति पर तेजी से अमल कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार एयर कंडीशनर, उसके कलपुर्जों, फर्नीचर और चमड़े के उत्पाद के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 16-17 अरब डॉलर (लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये) के निवेश के प्रस्तावों पर विचार कर रही है। सरकार की तैयारी जल्द से जल्द इन सामानों पर चीनी निर्भरता खत्म कर आत्मनिर्भर बनने की है। घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इन चीजों पर आयात शुल्क बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
भारत में चीन का इन क्षेत्रों में है निवेश: ऑटोमोबाइल सेक्टर में 40%, स्टील में 17%, ऊर्जा क्षेत्र में 7%, निर्माण क्षेत्र में 5%, सर्विस सेक्टर में 5%

- ऐसे दिया झटका
- चीन को 45 हजार करोड़ रुपये का झटका 59 एप पर प्रतिबंध से लगेगा
- 21 हजार करोड़ रुपये का इलेक्ट्रिक उत्पाद चीन से आयात नहीं करेगा भारत
- भारत में उत्पादों पर प्रतिबंध से चीन को 5.7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
- 1,500 से अधिक उत्पादों की सूची साझा की है वाणिज्य मंत्रालय ने दूतावासों से
- 1,054 प्रमुख उत्पाद इसमें शामिल हैं जो चीन से आते हैं
- 550 ऐसे उत्पाद हैं जिनमें भारत और चीन दोनों बड़े निर्यातक हैं
- 168 उत्पाद इसमें ऐसे हैं जिनमें भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर
- कितना है कारोबार
- 70.32 अरब डॉलर का था आयात वित्त वर्ष 2018-19 में चीन से भारत को
- 16.75 अरब डॉलर था भारत का चीन को निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में
- 14.08% हिस्सेदारी चीन की भारत के कुल आयात में
- 40 फीसदी हिस्सा चीन से आता है इलेक्ट्रिकल मशीनरी का करीब
चीन को विनिर्माण हब गंवाने का डर
चीन से दुनिया का पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब होने का तमगा छिन सकता है। कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुई दिक्कतों के बीच करीब एक हजार विदेशी कंपनियां सरकार के अधिकारियों से भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाने को लेकर बातचीत कर रही हैं। इनमें से कम से कम 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल उपकरण और कपड़ा क्षेत्र में जल्द उतरने के लिए सरकार से सक्रिय रूप से संपर्क में हैं। अगर बातचीत सफल होती है तो यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।




