संयंत्र में रोज 500 टन कचरे का वैज्ञानिक पद्धति से होगा निपटानकचरे से बनेगी खाद, सीमेंट कारखानों के लिए मिलेगा सहायक ईंधन
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर नगर निगम द्वारा निर्मित छत्तीसगढ़ के वृहद ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र का अपने रायपुर निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए ई-लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर ग्राम सकरी में लगभग 127 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित संयंत्र जनता को समर्पित किया। छत्तीसगढ़ के इस सबसे बड़े ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र में रोज 500 टन कचरे का वैज्ञानिक पद्धति से निपटान किया जाएगा। इस पूरी परियोजना की लागत 197 करोड़ रूपए है। यह संयंत्र पीपी माडल पर कार्य करेगा। इस संयंत्र में कचरे से खाद बनेगी तथा सीमेंट कारखानों के लिए सहायर्क इंधन भी मिलेगा। परियोजना में हर घर और दुकान से डोर-टू-डोर कचरे का संग्रहण, परिवहन, प्रोसेसिंग और डिस्पोजल की व्यवस्था की गई है।


शुभारंभ कार्यक्रम को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रानी दुर्गावती को उनके बलिदान दिवस पर नमन करते हुए कहा कि रायपुर नगर निगम क्षेत्र में आज छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र जनता को समर्पित किया जा रहा है। इस संयंत्र के लोकर्पण के बाद छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा, जहां किसी शहर में उत्सर्जित कचरे का शत प्रतिशत निपटान वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया, राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, मुख्य सचिव आरपी मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी और नगरीय प्रशासन विभाग की सचिव श्रीमती अलरमेल मंगई डी. सहित वरिष्ठ अधिकारी और सकरी स्थित संयंत्र स्थल पर लोक सभा सांसद सुनील सोनी, विधायक सत्यनारायण शर्मा, विकास उपाध्याय, नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, सभापति प्रमोद दुबे, एमआईसी सदस्य खाद्य नागभूषण राव सहित नगर निगम के अनेक पार्षद, नगर निगम रायपुर के आयुक्त सौरभ कुमार सहित अनेक अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
रायपुर निगम व दिल्ली की कंपनी के बीच हुआ अनुबंध
नगर पालिक निगम रायपुर और दिल्ली की एमएसडब्ल्यू साल्यूशन लिमिटेड के बीच शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एकीकृत ठोस अपशिष्ट योजना के क्रियान्वयन हेतु 22 फरवरी 2018 को अनुबंध किया गया। जिसमें संस्था द्वारा प्रत्येक आवासीय एवं वाणिज्यिक संस्थानों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण परिवहन और कचरे की प्रोसेसिंग और डिस्पोजल तक का कार्य किया जाएगा। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा प्लांट है, जिसमें प्रतिदिन 500 टन कचरे का निष्पादन किया जाएगा। प्लांट परिसर में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम हेतु किए गए वृहद वृक्षारोपण से वातावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाया जा रहा है। यह प्लांट शहर को कचरे की समस्या से निजात दिलाएगा। प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने से स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर नगर के स्वच्छता रैंकिंग में सुधार होगा।
ऐसे होगी कचरे की प्रोसेसिंग
इस प्रोसेसिंग प्लांट में 75 एमएम 2 ट्रामेल, 25 एमएम के दो ट्रामेल और 4 एमएम के 2 ट्रामेल, वृहद आकर के निर्मित शेड के नीचे लगाया गया है। जो कि है ट्रिपिंग फ्लोर है। संग्रहण किए गए कूड़े को लिफ्ट मशीन की मदद से ट्रामेल में डाल कर पृथक किया जाएगा, 75 एमएम से अधिक के सूखा कचरा से आरडीएफ बनाकर उसे सीमेंट फैक्ट्री को भेजा जाएगा। ट्रामेल में पृथक हुआ गीला कचरा विडरोज में रखा जाएगा। जहां पर ढेर बनाकर कर उसे 28 दिनों तक काम्पोस्टिंग के लिए रखा जाएगा। जिसमें नमी और तापमान सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे इसके कंपोस्ट बनने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इसके बाद पुन: उस गीले कचरे को 25 एमएम और 4 एमएम की ट्रामेल में प्रोसेस किया जाएगा और अंतत: खाद के रूप में अंतिम उत्पाद मिलेगा।
प्लांट से निकलेगा 300 मेट्रिक टन आरडीएफ
इस प्रोसेसिंग प्लांट की निकलने वाले आरडीएफ लगभग 300 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगा। जिसका उपयोग संस्था द्वारा अनुबंधित सीमेंट कारखाना या अन्य औद्योगिक संस्थानों में सहायक ईंधन के रूप में किया जाएगा। इस प्रोसेसिंग कार्य के उपरांत कुड़े से बचे हुए करीब 15 से 20 प्रतिशत रिजेक्ट कूड़ा को जिसका कोई उपयोग नहीं होता, उसे साइंटिफिक लैंडफिक में एकत्र किया जाएगा और वैज्ञानिक पद्धति अनुरूप इसका निष्पादन किया जाएगा। कूड़े से निकलने वाले लीचेट को लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट में प्रोसेस कर ट्रिटेड वाटर का उपयोग प्लांट परिसर के भीतर बागवानी एवम ग्रीन बेल्ट मशीनरी तथा फ्लोर धोने के लिए उपयोग किया जाएगा। इस योजना में ठोस अपशिष्ट में विद्युत उत्पादन करने हेतु 6 मेगावाट के विद्युत उत्पादन संयत्र का प्रावधान भी किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का प्रथम ठोस अपशिष्ट से विद्युत उत्पादन का संयंत्र होगा।