बिलासपुर। बिलासपुर कलेक्टर आज से नहीं छत्तीसगढ़ के जन्म से ही वृक्षारोपण पर जोर देते आए हैं एक या दो मौके को छोड़ वृक्षारोपण के कार्यक्रम केवल दिखावटी साबित हुए अन्यथा इनके आड़ में सरकारी खजाने को हल्का किया जाता रहा आम आदमी से यह उम्मीद की जाती है कि जब वह वृक्षारोपण करे तो वन विभाग से निशुल्क पौधा ले ले लेकिन वही जब सरकारी विभाग वृक्षारोपण करे तो विभाग निशुल्क वृक्ष न लेकर वृक्ष को खरीदता है और मजेदार बात की सरकारी विभाग सरकारी नर्सरी से पौधा न खरीद कर 10 गुना अधिक दाम पर किसी निजी नर्सरी से खरीदता है बिलासपुर के सरकारी विभाग जब कभी भी कोई व्हीआईपी पौधा लगाते हैं तो वह पेड़ व्हीआईपी हो जाता है, उसका दाम व्हीआईपी होता है और काम जीरो होता है,नौकर शाहों को वृक्षारोपण की आड़ में घोटाला सिखाने का काम प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन ने किया वर्ष 2003 के बाद डॉ रमन की सरकार ने बाड़ी से डीजल के खेल में करोड़ों कमाए और एक अधिकारी ने तो मुख्यमंत्री का खास बनकर लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा लिया। उस कार्यक्रम के कवरेज में मीडिया को भी खूबपोसा गया एक-एक पत्रकार को रिपोर्टिंग स्थल से अपने जिला मुख्यालय तक वापस जाने के लिए इनोवा की सुविधा दी गई, रतनजोत के कारनामे और उसके खर्च पर विधानसभा प्रश्नों के घेरे में सरकार को स्वयं आना था कि कितने करोड़ रुपए खर्च हुए और डीजल के रूप में शून्य मिला। यही हाल बिलासपुर जिले का है यहां सरकारी एजेंसियां विकास के नाम पर गौरव पथ से लेकर लिंक रोड और सभी बाईपास पर सैकड़ों की संख्या में पेड़ काट रही है। पेड़ कटाई का कोई रिकॉर्ड मेंटेन नहीं है दूसरी ओर पौधों की खरीदी इस बेहिसाब तरीके से हो रही है मानो पौधा नहीं चांदी की पायल खरीदी जा रही हो ।