दिल्ली,’बीजेपी सरकार में मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ इंसानों जैसा सलूक नहीं हो रहा. उनके साथ कीड़े-मकोड़ों जैसा व्यवहार किया जा रहा है.’ ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फंड (AIUDF) के मुखिया और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने आजतक से बात करते हुए यह बात कही. बदरुद्दीन अजमल ने सीधे-सीधे केंद्र सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में इस समुदाय को भारतीय नागरिक ही नहीं समझा जा रहा है.
उन्होंने हाल में CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान यूपी में हुई पुलिस मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत देश के कई अन्य हिस्सों को देख लीजिए. हाल के कई मामलों को देख लीजिए, पुलिस को इनपर गोलियां चलाने का आदेश दिया जाता है. हालांकि, बाद में इनसे कोई पूछताछ नहीं की जाती है, बल्कि उनकी इस बात के लिए प्रशंसा की जाती है. बीजेपी नेता के ऐसे कई वीडियो वायरल होते हैं, जो बेहद शर्मनाक हैं. यह सब लंबे समय तक नहीं रहेगा. बीजेपी को देश को चलाने की कोशिश करनी चाहिए. फिलहाल देश की सत्ता उनके हाथ में है लेकिन कल को इसकी बागडोर किसी और के हाथ में होगी.

अजमल ने आगे कहा, ‘बीजेपी ने अपनी नीति से सभी जगह हिंदू और मुसलमानों के बीच अंतर पैदा करने की कोशिश की है. इसलिए मुझे नहीं लगता की लंबे समय तक उनकी नीतियां चलने वाली हैं.’

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर AIUDF चीफ ने बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा, ‘केंद्र की बीजेपी और मोदी सरकार देश के आवाम की आवाज सुनना ही नहीं चाहती है. उन्हें लगता है उनके पास बहुमत है इसलिए वो कुछ भी कर सकते हैं. लेकिन यह भ्रम है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मोदी सरकार को क्या लगता है कि वे कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा देगें और नागरिकता कानून के जरिए लोगों को बाहरी साबित कर देंगे? यह सब लंबे समय तक चलने वाला नहीं है.’
अजमल ने कहा कि जिस तरीके से वो (पीएम मोदी) काम कर रहे हैं जल्द ही अपनी जाल में फंस जाएंगे. पूरे विश्व में इनकी भर्त्सना की जा रही है. उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपनी नीतियों पर दोबारा सोचना चाहिए. देश में हाल के दिनों में जो आंदोलन और प्रदर्शन चल रहा है, क्या लगता है वो सब इतनी जल्दी खत्म हो जाएगा?
हालिया, विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए बदरुद्दीन अजमल ने कहा, ‘आज पूरा देश जल रहा है. वो पुलिसिया लाठी की बदौलत लोगों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं. ब्रिटिश सरकार को भी दमनकारी नीतियों के कारण देश से बाहर का रास्ता दिखाया दिया गया था. अगर वर्तमान में भी हालात ऐसे ही बने रहे तो उन्हें सोचना होगा कि सत्ता हमेशा उनकी ग़ुलाम नहीं रहेगी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सिर्फ असम के अंदर एनआरसी की प्रक्रिया पूरी करने में 1600 करोड़ रुपये खर्च हुए और इसके लिए 57,000 सरकारी कर्मचारियों को नियुक्त किया गया लेकिन मिला क्या? कुछ नहीं. उनके मन में जो आएगा वो करेंगे. आज सुप्रीम कोर्ट, देश का कानून, संविधान उनके लिए कोई मायने ही नहीं रखता. पीएम मोदी, अमित शाह के दिमाग में जो भी आता है वो कानून बन जाता है.’