रायपुर। प्रधानमंत्री मोदी छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस में शामिल होने रायपुर पहुंचे हैं। वे नवा रायपुर में सत्य साईं हॉस्पिटल में 2500 बच्चों से बातचीत की। इस दौरान मोदी ने एक बच्चे को गले लगाया। ये वही बच्चे हैं, जिनकी हार्ट सर्जरी सत्य साईं हॉस्पिटल में हुई है। इसके बाद पीएम मोदी ने नवा रायपुर में ब्रह्माकुमारी के ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन किया, जो आध्यात्मिक शिक्षा, शांति और ध्यान का एक आधुनिक केंद्र है। पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत की यात्रा में ब्रह्माकुमारी जैसी संस्था की बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के अवसर पर रायपुर पहुंचे। एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल आदि ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दिल की बात’ कार्यक्रम के तहत नवा रायपुर अटल नगर स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल में ‘गिफ्ट ऑफ लाइफ’ समारोह में जन्मजात हृदय रोगों का सफलतापूर्वक इलाज करा चुके 2500 बच्चों से बातचीत की। इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में रोड शो किया।

राजधानी पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पद्म विभूषण तीजन बाई और साहित्यकार पद्म भूषण विनोद कुमार शुक्ल का हालचाल भी जाना। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा आज का दिन बहुत विशेष है। आज हमारा छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड और उत्तराखंड के भी 25 वर्ष पूरे हुए हैं। आज देश के और भी कई राज्य अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। मैं इन सभी राज्यों के निवासियों को स्थापना दिवस को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

‘मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं’
पीएम मोदी ने कहा, ‘राज्य के विकास से देश का विकास के मंत्र पर चलते हुए हम भारत को विकसित बनाने के अभियान में जुटे हैं। विकसित भारत की इस अहम यात्रा में ब्रह्माकुमारी जैसी संस्था की बहुत बड़ी भूमिका है। मैं बीते कई दशकों से आप सबके साथ जुड़ा हुआ हूं। मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं। दिल्ली आने के बाद भी आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़ा अभियान हो, स्वच्छ भारत अभियान हो या फिर जल जन अभियान, इन सबसे जुड़ने का मौका हो। मैं जब भी आपके बीच आया हूं, मैंने आपके प्रयासों को बहुत गंभीरता से देखा है। मैंने हमेशा देखा है, यहां शब्द कम सेवा ज्यादा है।’

हमारे यहां आचारण ही सबसे बड़ा धर्म है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमारे यहां कहा जाता है, ‘आचारः परमो धर्म आचारः परमं तपः। आचारः परमं ज्ञानम् आचरात् किं न साध्यते’ अत: आचारण ही सबसे बड़ा धर्म है, आचरण ही सबसे बड़ा तप है और आचरण ही सबसे बड़ा ज्ञान है। आचरण से क्या कुछ सिद्ध नहीं हो सकता। यानी बदलाव तब होता है जब अपने कथन को आचरण में भी उतारा जाए और यही ब्रह्माकुमारी संस्था की आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है।” पीएम ने कहा, ‘प्रधानमंत्री बनने के बाद मैं जहां भी गया, एक भी हवाई अड्डा या देश ऐसा नहीं रहा जहाँ मैंने ब्रह्माकुमारीज़ के लोगों को न देखा हो। मैंने हमेशा आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ प्राप्त की हैं। शक्ति की आराधना करते हुए, मैं हर जगह आपकी शक्ति का अनुभव करता हूं।’
पीएम मोदी ने कहा कि विश्व शांति की अवधारणा, ये भारत के मौलिक विचार का अधिष्ठान है, हिस्सा है। ये भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रकट रूप है। क्योंकि, हम वो हैं, जो जीव में शिव को देखते हैं। हम वो हैं, जो स्व का विस्तार सर्वस्व तक करते रहते हैं। हमारे यहाँ हर धार्मिक अनुष्ठान जिस उद्घोष के साथ पूरा होता है, वो उद्घोष है- विश्व का कल्याण हो! वो उद्घोष है- प्राणियों में सद्भावना हो! ऐसी उदार सोच, ऐसा उदार चिंतन, विश्व कल्याण की भावना का आस्था से ऐसा सहज संगम, ये हमारी सभ्यता, हमारी परंपरा का सहज स्वभाव है। हमारा अध्यात्म हमें सिर्फ शांति का पाठ ही नहीं सिखाता, वो हमें हर कदम पर शांति की राह भी दिखाता है। आत्म संयम से आत्मज्ञान, आत्मज्ञान से आत्म-साक्षात्कार और आत्म-साक्षात्कार से आत्मशांति। इसी पथ पर चलते हुए शांति शिखर अकैडमी में साधक वैश्विक शांति का माध्यम बनेंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल पीस के मिशन में जितनी अहमियत विचारों की होती है, उतनी ही बड़ी भूमिका व्यवहारिक नीतियों और प्रयासों की भी होती है। भारत इस दिशा में आज अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास कर रहा है। आज दुनिया में कहीं भी कोई संकट आता है, कोई आपदा आती है, तो भारत एक भरोसेमंद साथी के तौर पर मदद के लिए आगे आता है, तुरंत पहुंचता है। भारत First Responder होता है।
पीएम मोदी ने कहा आज पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के बीच भारत पूरे विश्व में प्रकृति संरक्षण की प्रमुख आवाज बना हुआ है। बहुत आवश्यक है कि हमें प्रकृति ने जो दिया है, हम उसका संरक्षण करें, हम उसका संवर्धन करें। और ये तभी होगा, जब हम प्रकृति के साथ मिलकर जीना सीखेंगे। हमारे शास्त्रों ने, प्रजापिता ने हमें यही सिखाया है। हम नदियों को माँ मानते हैं। हम जल को देवता मानते हैं। हम पौधे में परमात्मा के दर्शन करते हैं। इसी भाव से प्रकृति और उसके संसाधनों का उपयोग, प्रकृति से केवल लेने का भाव नहीं, बल्कि उसे लौटाने की सोच, आज यही way of life दुनिया को सेफ फ्यूचर का भरोसा देता है।
पीएम मोदी ने कहा भारत अभी से भविष्य के प्रति अपनी इन जिम्मेदारियों को समझ भी रहा है, और उन्हें निभा भी रहा है। One Sun, One World, One Grid जैसे भारत के Initiatives, One Earth, One Family, One Future का भारत का विज़न, आज दुनिया इसके साथ जुड़ रही है। भारत ने geopolitical boundaries से अलग, मानव मात्र के लिए मिशन LiFE भी शुरू किया है।
पीएम मोदी ने कहा समाज को निरंतर सशक्त करने में ब्रह्मकुमारीज़ जैसी संस्थाओं की अहम भूमिका है। मुझे विश्वास है, शांति शिखर जैसे संस्थान भारत के प्रयासों को नई ऊर्जा देंगे। और इस संस्थान से निकली ऊर्जा, देश और दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों को विश्व शांति के इस विचार से जोड़ेगी। प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया में मैं जहां-जहां गया हूं, एक भी देश ऐसा नहीं होगा, जहां एयरपोर्ट हो या कार्यक्रम का स्थान हो, ब्रह्मा कुमारीज के लोग मुझे मिले ना हो, उनकी शुभकामनाएं मेरे साथ ना रही हो। शायद ऐसी एक भी घटना नहीं होगी। और इसमें मुझे अपनेपन का तो एहसास होता है, लेकिन आपकी शक्ति का भी अंदाज आता है, और मैं तो शक्ति का पुजारी हूं। आपने मुझे इस पवित्र शुभ अवसर पर आपके बीच आने का अवसर दिया। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। लेकिन जिस सपनों को लेकर के आप चले हैं, वे सपने नहीं है। मैंने हमेशा अनुभव किया है, आपके वो संकल्प होते हैं, और मुझे पूरी श्रद्धा है कि आपके संकल्प पूरे ही होंगे। इसी भाव के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को शांति शिखर-एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद! ॐ शांति!




