भिलाई। नक्सल प्रभावित अंचल के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें राष्ट्र की सांस्कृतिक एवं सामाजिक विविधता से अवगत कराने के उद्देश्य से सीमा सुरक्षा दल (BSF) और नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) की ओर से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। इसी कड़ी में 17वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत कांकेर जिले से चुने गए 40 आदिवासी छात्र-छात्राओं का जत्था रविवार को ‘भारत दर्शन’ यात्रा पर रवाना हुआ। यह जत्था उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण करेगा।
कार्यक्रम के तहत रवाना किए गए इन युवाओं का चयन कांकेर और आसपास के अति नक्सल प्रभावित इलाकों से किया गया है। आयोजकों का मानना है कि ऐसे शैक्षिक और सांस्कृतिक अनुभव से आदिवासी युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे व्यापक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझते हुए नई सोच और दिशा के साथ समाज में अपनी भूमिका निभा सकेंगे। यात्रा का शुभारंभ सीमा सुरक्षा दल और माय भारत (नेहरू युवा केंद्र संगठन) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस मौके पर सीमा सुरक्षा दल के अधिकारियों ने कहा कि आदिवासी युवा समाज की धड़कन हैं और इन्हें देश की सांस्कृतिक, शैक्षिक और प्रौद्योगिकीगत प्रगति से जोड़ना बेहद जरूरी है।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से निकलने वाले इन युवाओं की सोच और दृष्टिकोण में बदलाव लाना ही इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है। ‘भारत दर्शन’ यात्रा के दौरान ये छात्र लखनऊ में विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों, स्मारकों और सांस्कृतिक स्थलों का अवलोकन करेंगे। इसके अलावा, उन्हें राज्य की प्रशासनिक और शैक्षिक संस्थाओं से भी रूबरू कराया जाएगा। कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी के अनुसार, छात्रों को लखनऊ के अलावा अन्य प्रमुख स्थलों पर भी ले जाया जाएगा, ताकि वे देश की विविधता और विकास की वास्तविक तस्वीर को करीब से देख सकें।

इस अवसर पर नेहरू युवा केंद्र संगठन के अधिकारियों ने कहा कि युवाओं को सकारात्मक दिशा में अग्रसर करने और उनमें राष्ट्रीय एकता की भावना मजबूत करने के लिए इस प्रकार की यात्राएं एक प्रभावी माध्यम साबित होती हैं। उन्होंने बताया कि अब तक हजारों आदिवासी युवा इस कार्यक्रम का हिस्सा बन चुके हैं और अपने अनुभवों से प्रेरित होकर समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह कार्यक्रम केवल यात्रा भर नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए आत्मविकास, सामाजिक समरसता और राष्ट्र निर्माण की ओर एक सशक्त कदम है। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां वर्षों से नक्सलवाद ने विकास की धारा को प्रभावित किया है, वहां इस प्रकार की पहल नई आशा जगाने वाली है।
छात्रों और उनके परिजनों में भी इस यात्रा को लेकर खासा उत्साह देखा गया। यात्रा पर रवाना होने से पहले युवाओं ने कहा कि वे पहली बार छत्तीसगढ़ से बाहर जाकर देश की राजधानी लखनऊ जैसी जगहों को देखने और सीखने का अवसर प्राप्त कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस अनुभव से न केवल उनके दृष्टिकोण का विस्तार होगा बल्कि वे समाज और देश की सेवा के लिए और अधिक प्रेरित होंगे। इस प्रकार, 40 आदिवासी छात्रों का यह जत्था न केवल ‘भारत दर्शन’ करेगा बल्कि एक नई सोच और दृष्टि लेकर अपने घर-गांव लौटेगा। सीमा सुरक्षा दल और नेहरू युवा केंद्र संगठन की यह संयुक्त पहल नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति, विकास और जागरूकता की दिशा में एक सार्थक और ऐतिहासिक कदम कही जाएगी।