दुर्ग (श्रीकंचनपथ न्यूज़) । यही वे दिन हुआ करते थे, जब बाबूजी दिल्ली से आते और अपने नए-पुराने साथियों के साथ बैठकर घंटों मशविरा करते, उनका उत्साह और ऊर्जा सबको प्रकाशवान करती…। युवाओं को बाबूजी राजनीति में शुचिता का पाठ पढ़ाते और यह सबक भी देते कि राजनीति, धन कमाने की बजाए जनसेवा और लोगों से जुडऩे का एक अटूट माध्यम है। वे सीख देते कि राजनीति में जनता की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं होता। आप जनसेवा के लिए जितना तत्पर रहेंगे, जनता के बीच आपका प्रेम और भरोसा उतना ही मजबूत होगा। बाबूजी कहते थे,- राजनीति में उच्च पद मिले तो भी जमीन से जुड़े रहो। क्योंकि पद तो आते-जाते रहते हैं। जमीन कमजोर होगी तो जनता का भरोसा ही खत्म हो जाएगी। आज बाबूजी हमारे बीच नहीं है। लेकिन उनकी दी हुई सीख राजनीति की पाठशाला का सबसे बड़ा महामंत्र है। वास्तव में बाबूजी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व ही महाकाव्य है।
पिछले 6 दशकों में यह पहला विधानसभा चुनाव है जब दुर्ग शहर बाबूजी के चरणरज और उनके आशीर्वचनों के बिना लड़ा जाएगा। लेकिन शहर के कांग्रेसी आज भी उन्हें अपनी स्मृतियों में अक्षुण्ण रखकर भरोसा दे रहे हैं कि जिस पार्टी को वे अपनी अंतिम श्वासों तक सींचते रहे, उसे बुलंदियों की ओर ले जाना है। दुर्ग शहर से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार और यहां के सबसे बड़े जनसेवक, बाबूजी के लाड़ले अरुण वोरा इस बार भी उन्हीं आदर्शों और राजनीति के उच्च मापदंड़ों के साथ चुनाव मैदान में हैं। पूरे दुर्ग शहर की तरह अरुण वोरा भी आज अपने पिता व आदर्श स्व. मोतीलाल वोरा को याद कर रहे हैं। आज प्रात: जब कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा राजेन्द्र पार्क चौंक में स्थापित स्व. वोरा के प्रतिमा स्थल पहुंचे तो उनकी आंखों में श्रद्धा के आंसू थे। साथ ही था, बाबूजी के बिना पहला चुनाव लडऩे का एक बहुत भारी और असह्य अहसास। लेकिन करबद्ध और विनीत भाव से अरुण वोरा, बाबूजी से मन ही मन यह वायदा कर रहे थे कि बाबूजी, आपकी सीख सदैव मार्गदर्शन करती रहेगी। जनसेवा से बढ़कर उनके लिए न कुछ है.. न भविष्य में रहेगा।
बाबूजी ने दी राजनेताओं को जनसेवा की प्रेरणा
पिछले दिनों दुर्ग में एक कार्यक्रम के दौरान गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने जो बातें कही, उसने शहर के कांग्रेसियों को भावनात्मक रूप से काफी प्रभावित किया। यह वह वक्त था, जब कांग्रेस में टिकट वितरण नहीं हुआ था। बावजूद इसके गृहमंत्री श्री साहू ने भरे मंच से अरुण वोरा के लिए वोट मांगे। उन्होंने कहा था कि जिस तरह बाबूजी ने अनेक राजनेताओं को जनसेवा की प्रेरणा दी, उसी प्रेरणा व सेवाभाव से अरुण वोरा दुर्ग की सेवा करते रहेंगे। इस अवसर पर अरुण वोरा ने कहा कि शहरवासियों से वोरा परिवार का पारिवारिक व भावनात्मक रिश्ता है, जो विरोधियों के दुष्प्रचार से कभी खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि मतदाताओं को भगवान मानकर शहर के हर व्यक्ति की अंतिम सांस तक सेवा करने का संकल्प व जनकल्याण ही उनके संस्कार हैं। अपने लम्बे राजनीतिक कैरियर में अरुण वोरा सदैव बेदाग रहे हैं। उनकी छवि क्षेत्र में बहुत अच्छी है। इसके अलावा उनका क्षेत्र के लोगों से जीवंत सम्पर्क भी पूरे 5 वर्षों तक बना रहता है। यह विडंबना रही कि 2013 में जब वे निर्वाचित हुए तो भाजपा की सरकार थी। बावजूद इसके विपक्ष के विधायक के रूप में भी उन्होंने दुर्ग शहर के लिए अच्छा काम किया। 2018 में चुनाव जीतने के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो वोरा दुर्ग शहर को चमकाने के अभियान में लग गए। भाजपा के लोग खराब सड़कों का मुद्दा प्रमुखता से उठाते हैं, लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि विस्तार पाते दुर्ग शहर की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए घर-घर पानी पहुंचाना आवश्यक था। दुर्ग शहर के कई इलाकों को गम्भीर पेयजल संकट से उबारने के लिए जरूरी था कि लोगों को जलापूर्ति घर में ही और बेहतर तरीके से हो। इसलिए पानी की पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़कों को खोदा गया। यह भी वोरा की ही उपलब्धि है कि शहर की ज्यादातर सड़कों का पुननिर्माण भी करा लिया गया है। इसके अलावा नगर निगम के माध्यम से वोरा ने पूरे शहर में अभूतपूर्व विकास के काम करवाए हैं।

स्व. बाबूजी ने दिलाई दुर्ग को पहचान
दुर्ग शहर में वोरा परिवार का नाम यदि सम्मान के साथ लिया जाता है तो इसकी सबसे बड़ी वजह इस परिवार द्वारा शहर हित में कराए गए काम और मतदाताओं के साथ पारिवारिक संबंध हैं। पहले वरिष्ठ नेता स्व. मोतीलाल वोरा ने एक छोटे से नगर को शहर बनाया और उसके बाद इस शहर में विकास की गंगा उनके बहाई। आज भी दुर्ग शहर की कई इमारतें और प्रतिष्ठान स्व. मोतीलाल वोरा की दूरदृष्टि की गवाही देतीं हैं। स्वयं अरुण वोरा कहते हैं कि उनके परिवार के लिए दुर्ग शहर राजनीति का अखाड़ा नहीं है। जनता उन पर भरोसा करती है और उस भरोसे पर खरे उतरने के लिए वे भरसक प्रयास करते हैं। अरुण वोरा के मुताबिक, दुर्ग के प्रत्येक घर से उनके पारिवारिक संबंध हैं। यही संबंध वोरा परिवार की पूंजी है। अरुण वोरा कांग्रेस की टिकट पर सातवीं बार चुनाव लडऩे जा रहे हैं। उनका चुनाव अभियान गतिमान है। जैसे-जैसे चुनाव अभियान, मतदान तिथि तक पहुंचेगा, जनसम्पर्क अभियान भी पूरे शबाब पर होगा। इस बार भी कांग्रेस पार्टी एकजुटता से चुनाव लडऩे जा रही है। वैसे भी, अरुण वोरा निर्विवाद रहे है। भले ही इस बार कांग्रेस की टिकट के लिए बहुत सारे लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन यह सबको पता था कि टिकट के असल दावेदार श्री वोरा ही हैं। बाबूजी के बिना होने वाले इस चुनाव में कांग्रेसियों ने गजब की एकजुटता दिखाई है। स्थितियां अनुकूल है। श्री वोरा जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब हैं। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस प्रत्याशी श्री वोरा अंतिम पंक्ति के लोगों तक पहुंच रहे हैं और उन्हें भरोसा दिला रहे हैं कि शासन की प्रत्येक योजनाओं का लाभ उन तक जरूर पहुंचेगा।
अरुण वोरा सातवीं बार मैदान में
दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र से सातवीं बार चुनावी मैदान में उतरे वरिष्ठ कांग्रेस विधायक अरुण वोरा को चुनाव प्रचार के दौरान सभी 60 वार्डों में अपार जन समर्थन व माताओं बहनों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। श्री वोरा ने इस प्यार, स्नेह और आशीर्वाद के लिए दुर्ग की जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि जनता का यही दुलार उनकी पूंजी है। दुर्ग में विकास की गति आगे भी जारी रहेगी। शहर की जनता को हर तरह की सुविधा मिले और उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ न हो इसके लिए निरंतर प्रयासरत रहा हूं और आगे भी रहूंगा। दुर्ग शहर में इस बार पूरे जोर-शोर से नारा चल रहा है – फेर ए दारी, अरुण भैय्या के बारी। गौरतलब है कि श्री वोरा 1993 में पहली बार विधायक बने थे इसके बाद लगातार तीन बार पराजित हुए। लेकिन पराजय. के बाद भी वे मतदाताओं की सेवा में तत्पर रहे। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले दो चुनाव में लगातार विजयी हुए। इस तरह श्री वोरा पिछले छह चुनाव में तीन बार विजयी हुए है और तीन बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। अब पिछले दो चुनाव में जीत के बाद भी श्री वोरा तीसरी बार हैट्रिक की दहलीज पर खड़े है। श्री वोरा ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि 1972 से 1992 तक उनके पूज्य, आदर्श स्व. मोतीलाल वोरा दुर्ग की सेवा करते रहे हंंैं। जनता के आशीर्वाद की वजह से ही बाबूजी को विभिन्न पदों पर रहने का अवसर मिला। उन्होने कहा कि बाबूजी ने कभी भी दुर्ग को राजनीति का अखाड़ा नही माना बल्कि दुर्ग की जनता को परिवार मानकर सेवारत रहे। श्री वोरा ने कहा कि दुर्ग की जनता का मुझे भरपूर प्यार, स्नेह व आशीर्वाद मिला है। मैने निष्काम भाव से ईमानदारी के साथ जनता की सेवा की है। उन्होने भावनात्मक लहजे से यह भी कहा कि जब तक जीवित रहूंगा जीवन पर्यन्त जनता की सेवा करता रहूंगा। एक सवाल के जवाब में श्री वोरा ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि के लिए सभी जातियां सभी समाज एक समान होते है। इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नही होना चाहिए। दुर्ग शहर विधानसभा का पूरा क्षेत्र मेरे लिए एक परिवार तुल्य है। उन्होने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि को कभी भी वोट का अनुमान नही लगाना चाहिए। आशीर्वाद का अनुमान लगाना चाहिए। शहर की जनता के विश्वास की कसौटी पर खतरा उतरने का प्रयास निरंतर जारी है। श्री वोरा ने कहा कि भाजपा के शासनकाल मेंं दुर्ग विकास से कोसों पीछे चला गया था। भूपेश बघेल के नेतृत्व में जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तब पूरे प्रदेश के साथ दुर्ग मेंं विकास शुरू हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विकास के लिए पांच साल में पांच सौ करोड़ रूपए दिए है। भाजपा के शासन में दुर्ग की उपेक्षा ही होती रही है।
रविन्द्र चौबे ने कहा था,- अरुण देश के सबसे सक्रिय विधायक
चुनाव प्रचार अभियान के दौरान श्री वोरा घर-घर जनसम्पर्क कर रहे हैं, जहां महिलाओं ने आरती का थाल लेकर उनका स्वागत कर रही हैं। लोग स्वस्फूर्त श्री वोरा को फूल-मालाओं से लाद रहे हैं। लोगों के इस स्नेह से श्री वोरा अभिभूत हैं। इस बीच श्री वोरा को लेकर वरिष्ठ मंत्री ताम्रध्वज साहू व रविन्द्र चौबे के वक्तव्यों की चर्चा भी चल रही है। दुर्ग में हुए संकल्प शिविर के दौरान कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने अरुण वोरा को देश का सबसे सक्रिय विधायक बताया था। वहीं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भावुक होते हुए कहा कि लंबे अरसे के बाद दुर्ग कांग्रेस अपने मार्गदर्शक व प्रेरणास्रोत मोतीलाल वोरा की अनुपस्थिति में चुनाव के मैदान में है। जिस तरह से बाबूजी ने पूरे प्रदेश को अपना परिवार मानते हुए देश एवं कांग्रेस की कर्मठता से सेवा की, अरुण वोरा को जिता कर उन्हें शहर सच्ची श्रद्धांजलि देगा। इधर, जनता के मिल रहे अपार समर्थन से अभिभूत श्री वोरा ने एक बार फिर दुर्ग शहर में कांग्रेस का परचम लहराने की बात कही है। उन्होंने एक बार फिर टिकट देकर भरोसा जताने के लिए पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत अन्य नेताओं का आभार व्यक्त किया। साथ ही कहा कि वे शीर्ष व प्रादेशिक नेतृत्व के भरोसे पर पूरी तरह खरे उतरेंगे। उन्होंने कहा कि जब-जब भाजपा का शासन आया तब-तब दुर्ग शहर ठगा गया। उसके जनप्रतिनिधियों ने शहर के विकास की सदैव अनदेखी की। नगर निगम में भी भाजपाई सत्ता के रहते कोई काम नहीं हो पाया। लेकिन विगत 5 वर्षों में स्थितियां बदली है। शहर में काम दिख रहा है। यह भूपेश बघेल की अगुवाई और दुर्ग शहर में कांग्रेस के दमदार नेतृत्व की वजह से ही हो पाया है।