-दीपक रंजन दास
अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम के उत्कृष्ट विद्यालयों के बाद अब शासन आत्मानंद कोचिंग शुरू करने जा रही है. सोमवार 25 सितम्बर से इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा. 10वीं में 60 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले विज्ञान और गणित विषय के विद्यार्थियों को योजना के तहत नीट और आईआईटी-जेईई परीक्षा के लिए तैयार किया जाएगा. इसकी कक्षाएं विषय विशेषज्ञ हाइब्रिड मोड में लेंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा स्वतंत्रता दिवस पर ही कर दी थी. अब इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. ‘स्वामी आत्मानंद कोचिंग’ के तहत राज्य के 146 विकासखण्ड मुख्यालयों में बीआरसीसी केन्द्र या इसके नजदीक हायर सेकेण्डरी स्कूल में ऑनलाइन क्लासेस होंगी. इसके अलावा रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और कोरबा में (सीआरसी) संचालित किए जाएंगे. कोचिंग राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के जरिए छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम से चयनित संस्था की ओर से दी जाएगी. राज्य शासन चाहता है कि राज्य के होनहार विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय शासकीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश मिले ताकि वे वाजिब खर्च पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें. दरअसल, यह राज्य शासन की मजबूरी है. देश में जब से प्रवेश परीक्षाओं का दौर शुरू हुआ है स्कूली शिक्षा के प्राप्तांकों का अर्थ खत्म सा हो गया है. बच्चे वहां भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और फिर उच्च शिक्षा के संस्थानों में प्रवेश के लिए अलग से संघर्ष कर रहे हैं. ये परीक्षाएं इतनी अलग है कि 10वीं 12वीं में टॉप करने वाले भी बिना विशेष तैयारी के इन परीक्षाओं को क्रैक नहीं कर पाते. कुछ बच्चे तो इन परीक्षाओं की तैयारी में दो-दो तीन-तीन साल निकाल देते हैं. शासन जानता है कि बच्चों को केवल गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें उत्कृष्ट महाविद्यालयों में प्रवेश दिलाना भी जरूरी है. योजना के प्रारंभ होने के बाद राज्य में मुफ्त कोचिंग प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या 14 हजार से भी अधिक हो जाएगी. मेरिट के आधार पर प्रवेश मिलने के कारण इन बच्चों की सफलता का प्रतिशत भी अधिक रहने की ही संभावना है. वैसे प्रवेश परीक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग प्रारंभ करने वाला छत्तीसगढ़ कोई पहला राज्य नहीं है. देश के अनेक राज्यों में यूपीएससी, पीएससी आदि की निःशुल्क कक्षाएं सरकार की तरफ से लगाई जाती हैं. पर ऐसे संस्थानों में विद्यार्थियों को प्रवेश मेरिट के बजाय मीन्स के आधार पर दिया जाता है. छत्तीसगढ़ उन बच्चों पर मेहनत करना चाहता है जो मेधावी हैं. जिन्हें केवल कोचिंग में मदद की जरूरत है ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें. छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में पहले भी ऐसे प्रयोग हुए हैं और वे बेहद सफल रहे हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि स्वामी आत्मानंद कोचिंग के भी सुखद परिणाम आएंगे. साधन विहीन मेधावी आईआईटी, एनआईटी, एम्स जैसी संस्थाओं से उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे. आगे चलकर ये बच्चे सरकारी संस्थानों में अपनी सेवाएं देने के लिए भी प्रेरित होंगे.