भिलाई। जिले की इकलौती एससी आरक्षित सीट अहिवारा में कांग्रेस एक बार फिर प्रत्याशी बदलने जा रही है। यहां के विधायक व पीएचई मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने बेमेतरा जिले के नवागढ़ क्षेत्र से टिकट की मांग की है। जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस ने यह तय किया है कि किसी भी मंत्री का टिकट नहीं काटा जाएगा, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि गुरू रूद्रकुमार को नवागढ़ से टिकट दे दी जाए। अहिवारा से जिला कांग्रेस के अध्यक्ष व महापौर निर्मल कोसरे को टिकट दिए जाने के संकेत मिल रहे है। भाजपा से यहां डोमनलाल कोर्सेवाड़ा व एक अन्य नाम की चर्चा है। कांग्रेस ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाते हुए टिकट दावेदारों से ब्लॉक स्तर पर आवेदन मंगवाए थे। ब्लाक से यह आवेदन जिला स्तर पर पहुंचे, यहां से छँटनी के बाद अब दावेदारों के नाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज दिए गए हैं। संभावना है कि कांग्रेस की पहली सूची के लिए दिल्ली में एक-दो दिन में बैठक हो सकती है।
कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में दुर्ग जिले की अहिवारा सीट में पार्टी की स्थिति को अच्छा नहीं पाया गया है। स्थानीय नागरिकों में विधायक को लेकर काफी आक्रोश रहने की बातें भी सामने आई है। बताते हैं कि कुछ समय पहले स्थानीय विधायक रूद्र कुमार गुरू को पार्टी-संगठन ने विपरीत स्थितियों से अवगत करा दिया था। उन्हें क्षेत्र बदलने की भी नसीहत दी गई थी। बताया जाता है कि पार्टी के भीतर यह भी चर्चा थी कि रूद्रकुमार गुरू को संभवत: टिकट ही न दी जाए, किन्तु हाल के एक घटनाक्रम से कांग्रेस को जोर का झटका लगा जब सतनामी समाज के गुरू बालदास साहेब ने भाजपा का दामन थाम लिया। इससे कांग्रेस के भावी मंसूबों पर पानी फिर गया। 2013 में गुरू बालदास कांग्रेस का खेल बिगाड़ चुके हैं। उन्होंने सतनाम सेना के बैनर तले कई क्षेत्रों में प्रत्याशी उतार दिए थे, जिसके चलते कांग्रेस के कई दिग्गजों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। छत्तीसगढ़ में एससी आरक्षित कुल 10 सीटें हैं। अब इन परिस्थितियों में यदि समाज के एक अन्य गुरू, रूद्रकुमार की टिकट काटी जाती है तो समाज के वोट थोक में एक बार फिर से भाजपा की ओर जा सकते हैं, जो 2018 में बड़ी मुश्किल से कांग्रेस के पक्ष में आए थे। इसलिए अब खराब परफारमेंस के बाद भी कांग्रेस के लिए गुरू रूद्रकुमार को टिकट देना मजबूरी बन गई है। गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा प्रवेश करने वाले सतनामी समाज के गुरू बालदास ने विगत चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था। इसी के चलते कांग्रेस एससी आरक्षित 7 सीटों में जबरदस्त प्रदर्शन करने में कामयाब रही। नतीजतन गुरू बालदास के पुत्र खुशवंत साहेब को पादप बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था।
गुरू की अनदेखी से नाराज अहिवारा
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि विधायक और केबिनेटमंत्री रहते हुए गुरू रूद्रकुमार ने अहिवारा क्षेत्र की सर्वथा अनदेखी की। यहां तक कि अपने ही विभाग अंतर्गत आने वाले कार्यों को भी वे अहिवारा क्षेत्र में पूरा नहीं करवा पाए। लोगों को पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ा। लोगों का कहना है कि क्षेत्र की ऐसी उपेक्षा इससे पहले कभी किसी जनप्रतिनिधि नहीं की। संभवत: इसीलिए स्थितियों को भाँपकर गुरू रूद्रकुमार ने नवागढ़ ब्लाक कांग्रेस कमेटी के समक्ष आवेदन किया था। वर्तमान में नवागढ़ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के ही विधायक गुरूदयाल सिंह बंजारे कर रहे हैं। पार्टी ने उन्हें संसदीय सचिव बनाया था। 2018 के चुनाव में गुरूदयाल ने भाजपा के तत्कालीन प्रभावशाली मंत्री दयालदास बघेल को बड़े अंतर से हराया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस जो पहली सूची जारी करने वाली है, उसमें सभी मंत्रियों और जीतने योग्य विधायकों के नाम शामिल हो सकते हैं। जिन सीटों पर पैनल में इकलौता नाम आया है, उनकी टिकट को भी फायनल माना जा रहा है। कुछ विधायकों के टिकट काटे जाने की भी संभावना है।

एससी सीटों पर हो सकता है नुकसान
2013 के चुनाव में एससी आरक्षित 10 सीटों में से 9 सीटें जीतने वाली भाजपा 2018 में महज 2 सीटों पर सिमटकर रह गई। शायद इसीलिए पार्टी को एससी वर्ग के बीच पैठ बनाने के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार करनी पड़ी। सतनामी समाज के बड़े चेहरों को भाजपा में लाकर पार्टी ने अपनी इसी रणनीति को बेहतर ढंग से अंजाम तक पहुंचाया। हाल ही में समाज के बड़े चेहरे गुरू बालदास साहेब व खुशवंत साहेब समेत कई अन्य लोगों ने भाजपा को एक बार फिर से स्वीकार किया। इनमें गुरू आसंभ दास साहेब, गुरू द्वारिका दास साहेब, गुरू सौरभ दास साहेब आदि शामिल हैं। 2003 के चुनाव में भाजपा व कांग्रेस को 4-4 सीटें मिली थी, जबकि 2 सीटें बसपा के खाते में गई थी। 2008 में भाजपा को 5 तो कांग्रेस को 4 सीटों पर जीत मिली थी। 1 सीट बसपा को मिली। 2013 में भाजपा को 8 सीटें मिली तो 2018 में उसे महज 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। 7 सीटें कांग्रेस को मिली तो 1 पर बसपा को कामयाबी मिली। एससी वोटर्स को लेकर भाजपा ने जो व्यूह रचा है, उससे एक बार फिर कांग्रेस को नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है।
कोर्सेवाड़ा या खुशवंत साहेब?
इधर, खबर आ रही है कि भारतीय जनता पार्टी ने अहिवारा सीट के लिए पूर्व विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा का टिकट फायनल कर दिया है। कोर्सेवाड़ा इस सीट का पहले भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे सतनामी समाज के महंत हैं। भाजपा ने इससे पहले यहां से महंत सांवलाराम डाहरे को प्रत्याशी बनाया था। डाहरे पिछले चुनाव में गुरू रूद्रकुमार से चुनाव हार गए थे। पार्टी के आंतरिक सूत्रों की मानें तो भाजपा यहां से कोर्सेवाड़ा के अलावा एक अन्य नाम पर भी विचार कर रही है। यह नाम क्षेत्र के लिए अप्रत्याशित हो सकता है। बताया जाता है कि हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले गुरू बालदास के पुत्र गुरू खुशवंत साहेब ने आरंग क्षेत्र से टिकट की मांग रखी है। पार्टी ने आरंग के लिए पहले ही चेहरा तय कर रखा है। इन परिस्थितियों में गुरू खुशवंत साहेब को अहिवारा में सामने किया जा सकता है। केन्द्रीय गृहमंत्री जिन चुनिंदा सीटों पर चर्चा के लिए रायपुर आ रहे हैं, उसमें एक सीट यह भी है। बताया जा रहा है कि शाह के दिल्ली लौटने के बाद प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी जाएगी। जिसमें आरंग व अहिवारा की सीटें भी शामिल होगी।