रायपुर। अभी कुछ समय पहले तक बिखरती दिख रही कांग्रेस ने अपने आपको ऐसा समेटा है कि अब सभी एकजुट नजर आ रहे हैं। एकजुटता का यह संदेश दिल्ली तक गया है और हाईकमान भी सामूहिक नेतृत्व की प्रशंसा कर रहा है। यह सब कुछ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के व्यवहारिक फैसलों के चलते ही संभव हो पाया है। पार्टी हाईकमान भी पूरी उम्मीद में है कि राज्य में कांग्रेस फिर से रिपीट हो रही है। सीएम भूपेश और उनकी टीम तो खैर पहले से ही आश्वस्त हैं। चुनाव करीब है और वरिष्ठ नेताओं के दौरे शुरू हो गए हैं। 2 दिन बाद यानी 13 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी चुनावी शंखनाद फूंकने आ रहे हैं।
देश में कांग्रेस जिन राज्यों में सबसे ज्यादा मजबूत है उनमें से एक छत्तीसगढ़ है। यहां गाहे-बगाहे पार्टी में खींचतान और टकराव नजर आ जाती थी, मगर बीते कुछ दिनों में किए गए बदलाव ने पार्टी के नेताओं को करीब ला दिया है, अब तो पार्टी में एकजुटता नजर आने लगी है। राज्य में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और कोई भी राजनीतिक दल यह नहीं चाहता कि चुनाव से पहले गुटबाजी उभरे या फिर आपसी खींचतान की संभावना बढ़े, लिहाजा पार्टी ने बीते दिनों कुछ फैसले किए जिसके मुताबिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मोहन मरकाम से लेकर दीपक बैज को सौंपी गई, तो टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। किसी तरह की नाराजगी न पनपे इसलिए मोहन मरकाम को भी कैबिनेट में जगह दी गई। एक मंत्री प्रेमसाय टेकाम को मंत्री पद से हटाया गया तो उन्होंने जरूर अपनी नाराजगी जताई। राज्य की कांग्रेस की स्थिति पर गौर करें तो संतुलन की राजनीति पर पार्टी हाईकमान से लेकर प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काम कर रहे हैं।
एकजुटता पर फोकस
समाज के हर वर्ग को खुश करने की कोशिश हो रही है, वहीं धार्मिक आयोजनों के जरिए धर्म प्रेमियों को अपने करीब लाया जा रहा है, वहीं पार्टी के भीतर किसी भी तरह की नाराजगी को पनपने से पहले ही रोका जा रहा है। राज्य में वर्ष 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली थी और भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप गई। इसके बाद तरह-तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा और कहा तो यहां तक जाने लगा था कि पार्टी के भीतर ढाई-ढाई साल का फार्मूला बना है। मगर वक्त गुजारने के साथ यह बात किसी भी नेता ने खुलकर नहीं स्वीकारी।

स्थितियां बदल गई हैं
कई बार यह बात सामने आती रही है कि बघेल और सिंहदेव के बीच रिश्ते बेहतर नहीं है, यह कई मौकों पर नजर भी आया। अब स्थितियां बदल रही हैं। बघेल और सिंहदेव कई बार एक साथ कई कार्यक्रम में मौजूद नजर आते हैं तो वहीं एक दूसरे से आत्मीयता जाहिर करने का अवसर भी नहीं चूकते। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अगर जीत हासिल करनी है तो पार्टी के भीतर समन्वय और सामंजस्य जरूरी है। यह बात पार्टी के तमाम नेता जान गए हैं। लिहाजा उनके तौर तरीके में बदलाव आ रहा है। वहीं कई नेताओं को पार्टी के भीतर सम्मान दिया जा रहा है और जिम्मेदारी भी सौंपी जा रही है।
दर्जनों सीटें साधेंगे खरगे
छत्तीसगढ़ की सत्ता में किसी भी राजनीतिक दल के लिए अदिवासी जितना महत्व रखते हैं लगभग उतना ही अनुसूचित जाति वर्ग का भी माना जाता है। यही वजह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एससी बाहुल्य जांजगीर-चांपा जिले से ही पार्टी का चुनावी आगाज करने आ रहे हैं। खरगे 13 अगस्त को जांजगीर-चांपा में होने वाले भरोसे के सम्मेलन में शिरकत करेंगे। दरअसल छत्तीसगढ़ में एससी वर्ग के लिए भले ही दस सीटें आरक्षित हैं लेकिन प्रदेश की 45 सीटों पर इनका अच्छा खासा प्रभाव है और एससी वोटर्स चाहें तो किसी भी राजनीतिक दल का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। पिछले चुनाव के आंकड़े भी यह बताने के लिए काफी हैं कि कुछ स्थानों पर इन्ही एससी वोटरों के दम पर बसपा के प्रत्याशी दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे हैं।
युवाओं पर ज्यादा जोर
सीएम भूपेश इन दिनों युवाओं को कांग्रेस के पक्ष में करने में जुटे हुए हैं। रायपुर के बाद वे बिलासपुर और दुर्ग में भी युवाओं से संवाद कर चुके हैं। इसके बाद बस्तर और सरगुजा में भी मुख्यमंत्री बघेल युवाओं से सीधे संवाद करके युवाओं से उनके मुद्दों, उपलब्धियों और आकांक्षाओं पर बात करेंगे। वे युवाओं के प्रश्नों के जवाब भी दे रहे हैं। कांग्रेस ने अपने यूथ विंग एनएसयूआइ को बूथ स्तर पर लगा दिया है। युवा बूथों तक पहुंचकर सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसी तरह युवा कांग्रेस के पदाधिकारी भी नए मतदाताओं से संपर्क साधने में जुटे हुए हैं। प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष आकाश शर्मा ने बताया कि अब तक 50 हजार नए युवा मतदाताओं को संपर्क करके जोड़ा गया है। ‘Óमाय फस्र्ट वोट फार ककाÓÓ कार्यक्रम के माध्यम से चार लाख से अधिक नए मतदाताओं तक पहुंचने का लक्ष्य है। इसके अलावा भूपेश हैं तो भरोसा है अभियान चलाकर युवाओं से संपर्क साधा जा रहा है।




