भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। भाजपा नेतृत्व को यह आभास हो गया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराना आसान नहीं होगा। इसलिए पार्टी ने अपनी रणनीति में व्यापक स्तर पर बदलाव करने की सोची है। चुनाव की पूरी कमान गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथों में ले ली है और वे यहां की प्रत्येक गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। राज्य के जिम्मेदार नेताओं को स्पष्ट हिदायत दी गई है कि यदि कांग्रेस को हराना है तो उसकी कमजोरियां ढूंढी जाए। इन्हीं कमजोरियों के हिसाब से भाजपा फौरी रणनीति बनाएगी। राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पार्टी पश्चिम बंगाल की तर्ज पर आक्रामक चुनाव लडऩे के मूड़ में है।
वर्षांत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने रणनीति में बदलाव किया है। 5 राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इनमें से भाजपा का फोकस मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह चाहते हैं कि इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार बने। इनमें से सिर्फ मध्यप्रदेश में ही भाजपा सत्तारूढ़ है। जबकि कांग्रेस देश में सिर्फ दो ही राज्यों छत्तीसगगढ़ और राजस्थान में काबिज है। पीएम मोदी पूर्व में कांग्रेस-मुक्त भारत का नारा दे चुके हैं। अब शाह इसी नारे को धरातल पर साकार करने में जुटे हैं। छत्तीसगढ़ के कई दौरे करने के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व को यह समझ आ गया है कि यहां कांग्रेस को हराकर सत्ता हथियाना आसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां कांग्रेस की जड़ों को जमकर न केवल सींचा है अपितु भीतर तक गहरा और मजबूत भी किया है। इसलिए अब भाजपा नेतृत्व को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है। अभी कुछ समय पहले तक प्रदेश संगठन के भरोसे बैठे केन्द्रीय नेतृत्व ने राज्य के सारे तंत्र अपने हाथों में ले लिए हैं। जानकारों के मुताबिक, प्रदेश संगठन से लेकर स्थानीय मुद्दों तक के फैसले दिल्ली से लिए जा रहे हैं। हाल में गठित चुनाव घोषणा-पत्र समिति को भी फ्री हैंड नहीं दिया गया है। इस समिति को सिर्फ मुद्दों और भावी घोषणाओं को शीर्ष संगठन तक पहुंचाना है। बाकी के फैसले वहीं से होंगे।
कमजोरियां ढूंढो, आक्रमण करो
छत्तीसगढ़ के नेताओं को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार को घेरना है तो उसकी कमजोरियों को सामने लाना होगा। अब स्थानीय नेतृत्व, भूपेश सरकार की कमजोरियों को ढूंढने में लगा है। यदि भाजपा को सरकार के कार्यों में त्रुटियां दिखती है तो उन त्रुटियों के हिसाब से तात्कालिक तौर पर रणनीति बनाई जाएगी। जानकारों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व द्वारा चुनावी रणनीति में बदलाव करने से सकारात्मक नतीजे भी सामने आ रहे हैं। अमित शाह ने स्पष्ट कहा है कि सीएम भूपेश के कद को कम करके न आंका जाए। दरअसल, शाह तक यह रिपोर्ट पहुंचाई गई है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सीधे तौर पर कांग्रेस को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। इसलिए शुरुआत जमीनी स्तर से करनी होगी। इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी को बदली हुई रणनीति के साथ मैदान में उतरना होगा।

शाह ने तैयार की बिसात
भाजपा की सत्ता में वापसी के लिए गृहमंत्री अमित शाह लगातार छत्तीसगढ़ के दौरे कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के भाजपा प्रभारी और सह प्रभारी को विधानसभा वार बैठक कर जानकारी इक_ा करने के काम पर लगा दिया है। पार्टी कांग्रेस की कमजोरियों की तलाश कर रही है। इस प्रक्रिया पर शाह खुद नजर रख रहे हैं। कांग्रेस से मिल रही गंभीर चुनौती को ध्यान में रखते हुए अमित शाह ने डी पुरंदेश्वरी की जगह अपने विश्वासपात्र ओम माथुर को प्रभारी बनाया। ओम माथुर को ही चुनाव का प्रभारी भी बनाया गया। इसके साथ ही भरोसेमंद नितिन नवीन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को बड़ी जिम्मेदारी दी है। अमित शाह सीधे इन तीनों से छत्तीसगढ़ की सारी एक्टिविटीज की जानकारी लेते हैं। जानकारों का कहना है कि शाह और पीएम मोदी के दौरों से जमीनी कार्यकर्ताओं में उत्साह आया है। राज्य के राजनीतिक हालात भी बदल रहे हैं।
15 सीटों की रिपोर्ट पर बदली रणनीति
जानकारों के मुताबिक, राज्य के हालातों को लेकर अमित शाह के पास कई तरह की सर्वे की रिपोर्ट पहुंची थी। इन सभी रिपोर्टों में भाजपा को 14-15 सीटें पर सिमटते बताया गया था। इसी के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में नए सिरे से मंथन कर कांग्रेस की सरकार के खिलाफ न केवल व्यूह रचना की अपितु संगठन में कसावट और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की रणनीति पर भी काम शुरू किया। फिलहाल जो खबरें आ रही है, उसके मुताबिक, पार्टी में अब सीटें बढऩे की आस जगी है। अमित शाह की रणनीति फिलहाल सही रास्ते पर दिख रही है, लेकिन कांग्रेस की मजबूत कड़ी को हल्का करने में वे कितना कामयाब होंगे, ये आने वाला समय ही बताएगा।
पीएम के कई दौरे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 जुलाई को रायगढ़ आ सकते हैं। इसके अलावा 1 अगस्त को बस्तर के जगदलपुर आने की संभावना है। हालांकि अभी पीएमओ से तारीख फाइनल नहीं हुई है। लेकिन दौरे की संभावना को देखते हुए प्रदेश भाजपा ने चुनावी सभा की तैयारी शुरू कर दी है। पीएम चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। आने वाले दिनों में उनके सरगुजा समेत कई अन्य इलाकों में भी दौरे और रोड शो की बातें कही जा रही है। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने बीते 7 जुलाई को छत्तीसगढ़ में आम सभा को संबोधित किया था। रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में पीएम मोदी ने विजय संकल्प रैली के जरिए चुनावी शंखनाद किया था। पीएम को सुनने भारी बारिश में लोगों का हुजुम उमड़ा था। वहीं अब दूसरी बार पीएम मोदी अगस्त में छत्तीसगढ़ का रूख कर सकते हैं।