-दीपक रंजन दास
भारतीय मनुष्य की सबसे कीमती धरोहर है उसकी नाक। इसे बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकता है। समाज में अपनी नाक ऊंचाए रखने के लिए कर्जा लेकर खर्चा करता है। रसूखदारों की पार्टी में जाने के लिए औकात से बाहर का तोहफा खरीदता है। अपने साथ हो रहे गलत का विरोध भी केवल इसलिए नहीं करता कि कहीं सबके सामने बेइज्जती न हो जाए। गरीब और लोअर मिडिल क्लास की नाक सबसे नाजुक होती है। इसे केक काटने वाले प्लास्टिक के छुरे से भी काटा जा सकता है। इन्हें अपनी इज्जत इतनी प्यारी होती है कि ये जेवर गाड़ी गिरवी रखकर भी पहले किस्त और बिल पटाते हैं। इन्हें डर होता है कि कोई पैसा मांगने घर तक न चला आए। सबसे ज्यादा डर उसे थाना-पुलिस और कोर्ट कचहरी से लगता है। वह किसी मामले में फंसना नहीं चाहता, न ही गवाही देना चाहता है। एक बार बेइज्जती हो गई तो ये हाथ की नस काट लेते हैं, नींद की ढेर सारी गोलियां निगल लेते हैं। कोई-कोई रेल की पटरियों की तरफ चला जाता है तो कोई फांसी पर झूल जाता है। पर कुछ लोग नाक कटने पर बेशर्म हो जाते हैं। वे सीना तान कर खड़े हो जाते हैं, लो अब उखाड़ लो, जो उखाडऩा है। ऐसे ही लोगों के लिए छत्तीसगढ़ी में कहा जाता है ‘नकटा के नाक कटाए सवा हाथ बाढय़.Ó अर्थात, एक बार बेइज्जती हो गई तो कुछ लोग बेशर्म हो जाते हैं। फिर आप जितनी बार नाक काटो वह पहले से बड़ी हो जाती है। कुछ ऐसा ही होता है अपराध की दुनिया में ताजा ताजा कदम रखने वालों के साथ। एक बार जेल-हाजत होकर आते हैं तो कुछ और अपराधियों से मेल मुलाकात हो जाती है। थोड़ी से बेशर्मी और थोड़े से नए गुर, वह अपराध के सीख कर आ जाता है। अब वह अकेला नहीं होता, उसके पास भी टीम होती है। इसलिए जब पुलिस ने अपराध करते पाए जाने पर लोगों की बेइज्जती करनी शुरू की तो माथा ठनका। अभी तक उनमें शर्मो-हया के कुछ कतरे बाकी हैं। यदि शर्म की यह दीवार गिर गई तो कहीं वह पहले से भी ज्यादा बेपरवाह और दुर्दांत न हो जाए। बंदीगृह में उसकी मुलाकात कोई साधु-संतों से होनी नहीं है जो उसका चाल चरित्र सुधर जाएगा। वहां तो उसे एक से बढ़कर एक छंटे हुए गुण्डे बदमाश ही मिलेंगे। उसके नेटवर्क का विस्तार हो जाएगा। इसमें पुलिस वाले, वकील, नेता सभी शामिल होंगे। छांटकर किसी को गुरू बना लिया तो वक्त आने पर वह स्वयं डॉन बन जाएगा। जब वह पुलिस और कानून के काबू से बाहर हो जाएगा तो पुलिस स्वयं अपराध करने पर उतारू हो जाएगी। किसी का वह अपने हाथों से एनकाउंटर करेगी तो किसी के मारे जाने का प्रबंध कर करेगी। यह तो नियति है जो हर गलत के साथ अपने आप जुड़ जाती है।
Gustakhi Maaf: नकटा के नाक कटाए सवा हाथ बाढ़य
