-दीपक रंजन दास
भाजपा की बौखलाहट अब साफ-साफ दिखाई देने लगी है. इसके चिल्हर नेताओं की बयानबाजी देखें तो यह एकदम शीशे की तरह साफ हो जाता है. केन्द्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा है कि यदि छत्तीसगढ़ मॉडल सफल होता तो देश में कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा नहीं होती. फग्गनबाबू भूल रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मौजूदा सरकार के अभी चार साल भी पूरे नहीं हुए हैं. वह शतायु कांग्रेस की हालत के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकती. फिर वो छत्तीसगढ़ की तुलना गुजरात से करने लगते हैं. फग्गनबाबू यह भी भूल रहे हैं कि 22 साल के छत्तीसगढ़ में 15 साल भाजपा का शासन रहा है. गुजरात एक 62 साल का बुजुर्ग प्रदेश है जहां के अधिकांश परिवारों में कोई न कोई अप्रवासी है. सीबीआई, आईटी और ईडी की बात वे न ही करें तो अच्छा है. ये हमेशा से केन्द्र सरकार के उपकरण रहे हैं. ये और बात है कि जिस बेशर्मी से इन संस्थाओं का उपयोग भाजपा कर रही है, उतना पहले किसी ने नहीं किया. उधर छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल एक अलग मोर्चा खोलकर बैठे हैं. वो कह रहे हैं कि सड़कों पर गौमाता घूम रही है और गौठान खाली पड़े हैं. सारे गौभक्त तो भाजपा में हैं. वो क्यों नहीं इस काम में हाथ बंटाते? गौठान एक व्यवस्था है. यह कोई नोटबंदी नहीं है कि रात को घोषणा कर दी और दूसरे दिन बंद हो गई. इसमें वक्त लगता है. रातों-रात न तो खेती किसानी की आदत बदल सकती है और न ही गौपालन का तरीका. तीसरा मोर्चा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव खोले बैठे हैं. उनके पास भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दे हैं. उनकी रणनीति रामसेतु, राम मंदिर और अयोध्या में मस्जिद के इर्दगिर्द घूम रही है. बासी कढ़ी में उबाल लाने की उनकी यह कोशिश कहां तक सफल होती है, यह तो वक्त ही बताएगा पर इस बीच प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें नोटिस भेजा है. कांग्रेस ने साव के इन दावों के दस्तावेजी साक्ष्य मांगे हैं. इसके लिए उन्हें 15 दिन की मोहलत भी दी है. यदि जवाब नहीं मिला तो कांग्रेस मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए स्वतंत्र होगी. केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ने एक अलग ही मोर्चा खोल रखा है. वे मुख्यमंत्री भूपेश को कांग्रेस जोडऩे की सीख दे रहे हैं. बयानों में मर्यादा का पालन करने की सलाह दे रहे हैं. पटेल भूल रहे हैं कि जिस तरह जो कन्वर्ट नहीं हुआ वह हिन्दू है, उसी तरह राजनीति की बात करें तो जो कन्वर्ट नहीं हुआ वह कांग्रेसी है. इन्हें जोडऩे की जरूरत नहीं होती. ये मोह में पड़ जाते हैं तो किसी को भी सिर पर उठाकर नाचते हैं. मोहभंग होता है तो लौटकर कांग्रेसी हो जाते हैं. वो भूल रहे हैं कि आज जिस हाल में कांग्रेस है, भाजपा ने उससे भी बुरे दिन देखे हैं.
गुस्ताखी माफ: छत्तीसगढ़ मॉडल और भाजपा का दर्द
