-कोमल धनेसर
प्रदेश भर में बढ़ रहे अपराध पर नकेल कसने गृहमंत्री ने पिछले दिनों राजधानी से लेकर अपने गृह जिले दुर्ग में पुलिस अधिकारियों की मैराथन बैठक ली। बैठक में गृहमंत्री ने अपराध को रोकने ने जहां टिप्स भी दिए, वहीं एक ऐसी नामजद सूची आला अधिकारियों को सौंपी। जिसमें जुआ शराब, सट्टा सहित कई आसामाजिक गतिविधियों को संचालित करने वाले लोगों नाम पते-ठिकाने के साथ शामिल था। सूची जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो भाजपाइयों ने भी इस मुद्दे को खूबभुनाया। गृहमंत्री ने पुलिस अधिकारियों को यहां तक कह दिया कि या तो तुम मिले हुए हो या अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हो , लेकिन सच तो पुलिस और पब्लिक दोनों ही जानती हैं, कि सब कुछ जानते हुए भी पुलिस को कार्रवाई करना इतना आसान नहीं होता। इस सूची में सबसे ज्यादा चर्चा निगम और स्थानीय निकाय के कुछ वर्तमान पार्षद और एक बड़े छात्र संगठन केछात्र नेता पर हो रही हैं। सत्ता में आने के तीन सालों बाद गृह मंत्री का यूं नामजद सूची का जारी करना लोगों के गले से उतर नहीं रहा है। अब इसके पीछे की क्या राजनीति है यह तो गृहमंत्री ही जाने लेकिन चर्चा है कि उन्हें यह सूची सीधे सीएम हाउस से मिली है, लेकिन इस तरह लिस्ट बनाकर होम मिनिस्टर अपने ही विभाग पर सवालिया निशान लगा रहे हैं कि उनके अधिकारी काम नहीं करते। अगर सूची को गौर से देखा जाए तो इसमें स्वयं गृहमंत्री के समर्थित लोगों का भी नाम है। उनके विधानसभा क्षेत्रके ऐसे लोग जो बड़े-बड़े होडिंग्स लगाकर उन्हें हर खास मौके पर शुभकामना देने से नहीं चूकते और बंगले पर भी अक्सर नजर आते हैं। इसमें एक पत्रकार के भाईका भी उल्लेख है और यही पत्रकार कुछ दिनों पहले मंत्रीजी के बंगले पर माइक पकड़ गाना गाते नजर आ रहा था। अब इसे देख कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि सूची गृहमंत्री के यहां बनी या उपर से भेजी गई। हालांकि सबसे ज्यादा चर्चा तो उन छात्र नेताओं और वर्तमान पार्षद की है, क्योंकि पहले भी कुछ नामों को उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता आ रहा है। सूची के वायरल होने के बाद भाजपा के पास अब एक बड़ा मुद्दा मिल गया। 2 दिन पहले ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने भी खूब मजे लेकर इस सूची पर अपनी टिप्पणी की। उन्होंने तो सीधे कई मंत्री की कार्यशैली पर सवालिया निशान ही उठा दिया उन्होंने यहां तक कहा कि गृह मंत्री ने जनता की शिकायत का हवाला दिया है तो क्या 3 साल से वे जनता की आवाज उन्हें नहीं सुनाई दे रही थी? या उनके अधिकारी जनता की शिकायत नहीं दर्ज कर रहे थे? दोनों ही स्थिति में कुल मिलाकर किरकिरी गृहमंत्री और उनके विभाग की हो रही है। और अब यह सूची पुलिस विभाग के लिए गले की फांस बन चुकी है।
सीधी बात: गृहमंत्री की वह लिस्ट!
