नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के 217 स्पेस ऑब्जेक्ट धरती की परिक्रमा लगा रहे हैं। इनमें से 103 सक्रिय या निष्क्रिय अंतरिक्ष यान हैं और 115 वस्तुओं को अंतरिक्ष मलबे की श्रेणी में रखा गया है। इसके साथ ही भारत ने बाह्य अंतरिक्ष से इस तरह की वस्तुओं को घटाने के लिए एक शोध की शुरुआत की है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद को बताया है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सक्रिय मलबा हटाने (एडीआर) की शुरुआत करने के लिए जरूरी प्रौद्योगिकियों और व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए अनुसंधान शुरू किया है।

नासा की ओर से मार्च में जारी ऑर्बिटल डेब्रिस क्वार्टरली न्यूज के अनुसार भारत के 103 अंतरिक्ष यान और 114 अंतरिक्ष मलबा ऑब्जेक्ट हैं। इनमें धरती के चक्कर लगा रहे इस्तेमाल हो चुके रॉकेट भी हैं। इस तरह भारत के कुल 217 स्पेस ऑब्जेक्ट हैं जो धरती का चक्कर लगा रहे हैं।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक्टिव डेब्रिस रिमूवल (एडीआर), बढ़ते अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिए स्पेस डेब्रिस रिसर्च कम्युनिटी की ओर से सुझाए गए सबसे सक्रिय तरीकों में से एक है। उन्होंने कहा कि एडीआर बहुत जटिल तकनीक है और इसमें नीति व कानूनी मुद्दे शामिल हैं।
अंतरिक्ष मलबे में चीन और अमेरिका की यह है स्थिति
क्वार्टरली न्यूज रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के सक्रिय और निष्क्रिय 4144 अंतरिक्ष यान और 5126 स्पेस ऑब्जेक्ट ऐसे हैं जिन्हें धरती के ऑर्बिट में मौजूद अंतरिक्ष मलबे की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, चीन के ऐसे 517 अंतरिक्ष यान और 3854 स्पेस ऑब्जेक्ट धरती का चक्कर लगा रहे हैं।
सिंह ने बताया कि इसरो के भीतर अंतरिक्ष मलबे से संबंधित सभी गतिविधियों का समन्वय करने के लिए और टकराव के खतरों से भारतीय परिचालन अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कर्नाटक के बेंगलुरु में एक समर्पित अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता नियंत्रण केंद्र की स्थापना की गई है।