पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था, यह भी देखे कि दुरूपयोग न हो
समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने दिये निर्देश, कहा अगले दो महीने पेयजल के मोर्चे पर नागरिक सुविधाओं में किसी तरह की कमी न हो, इसके लिए करें कार्य
दुर्ग। अगले दो महीने पेयजल के मोर्चे पर युद्धस्तर पर काम करें। इस संबंध में नागरिक सुविधाओं में किसी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए। शहर के किसी भी वार्ड में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए, पेयजल हर घर की पहुंच में हो, इसके लिए अगले दो महीने मिशन मोड पर काम करें। यह निर्देश कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने समयसीमा की बैठक में दिये। कलेक्टर ने कहा कि जिले में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था है। जिन इलाकों में पेयजल की समस्या है उसे समन्वय से दूर करें और इस तरह से कि लोगों को पेयजल अपने घर में ही मिल पाए। उन्होंने कहा कि पेयजल हमारे जिले में पर्याप्त मात्रा में है लेकिन इसका असंतुलित प्रयोग पेयजल संकट का कारण भी बन सकता है। इसके लिए सप्लाई पर नजर रखें, कहीं पाइपलाइन में लीकेज तो नहीं हैं। सभी टैंकर दुरूस्त हैं। इसके साथ ही पेयजल के उचित उपयोग के लिए भी जनजागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। बैठक में अपर कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना, डीएफओ शशि कुमार, जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन, भिलाई निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्याऊ आरंभ करें, पक्षियों के लिए सकोरे रखने नागरिकों को प्रेरित करें
कलेक्टर ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में हमेशा से गर्मी के समय राहगीरों के लिए प्याऊ आरंभ करने का चलन रहा है। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाएं बढिय़ा काम करती हैं। जहां पर स्वयंसेवी संस्थाओं की उपस्थिति नहीं है वहां पर प्रशासनिक अमला प्याऊ आरंभ कर सकता है। कलेक्टर ने कहा कि गर्मी का संकट केवल नागरिकों को परेशान नहीं करता। गर्मी के मौसम में पक्षी भी पेयजल के लिए परेशान रहते हैं। इसके लिए निगम जनजागरूकता अभियान छेड़ें। हर घर के आंगन में और चहारदीवारी में पक्षियों के लिए पानी से भरे सकोरे हों। हाइवे के किनारे के गांवों में भी प्याऊ का प्रबंध हो। कलेक्टर ने कहा कि हमने बरसात के समय पौधरोपण किया था और इसे संभालकर रखने के लिए महती प्रयास किया है। अभी अगले दो महीने बेहद अहम हैं। इन महीनों में इन पौधों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
कक्षाओं के भीतर अथवा छायादार जगहों में ही होगी एसेंबली
कलेक्टर ने कहा कि अभी स्कूल 15 मई तक चलने हैं। इससे लू से बचाव की समुचित व्यवस्था स्कूलों में होनी चाहिए। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नमक-शक्कर के घोल की व्यवस्था स्कूलों में हो। एसेंबली छायादार जगहों में हो अथवा स्कूल के कक्ष में ही प्रेयर कराए जाएं। लू से कैसे बचें, इस संबंध में जरूरी गाइडलाइन से बच्चों को परिचित कराएं। भोजन आदि की व्यवस्था समय पर हो।
स्कूलों-छात्रावासों-आंगनबाडिय़ों-विभागीय दफ्तरों की खरीदी होगी सीमार्ट से अथवा सीधे गौठानों से
कलेक्टर ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि स्कूलों, आंगनबाड़ी, छात्रावास और विभागीय दफ्तरों में उपयोग आने वाली सामग्री की खरीदी सीमार्ट अथवा गौठानों से हो। हमारे गौठान ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में स्थापित हो रहे हैं। यहां मसाले से लेकर तेल पेराई तक सभी कार्य हो रहे हैं। सब्जी भी बाडिय़ों में उत्पादित हो रही हैं। साबुन, सैनेटाइजर जैसे आइटम भी बनाये जा रहे हैं। सुनिश्चित करें कि अपनी सारी खरीदी एसएचजी की महिलाओं से हो। उनके आय बढ़ाने की दृष्टि से और कम लागत में गुणवत्तापूर्ण सामान प्राप्त करने की दृष्टि से भी यह उपयोगी होगा।