दुर्ग। एक हफ्ते में दो हादसों में 6 लोगों की मौत के बाद भी प्रशासन का जिम्मेदार अमला अभी तक जागा नहीं है। पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई है। व्यवस्था दुरुस्त करने की दिशा में कोई ठोस काम करने की बजाय प्रशासनिक अमले ने मौन साध लिया है। हाल ही में विधायक अरुण वोरा ने यातायात व्यवस्था सुधारने और एक्सीडेंट रोकने के लिए जरूरी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिये थे।
दो दुर्घटनाओं में 6 लोगों की मौत से व्यथित वोरा ने एक बार फिर कहा है कि नगर निगम, पीडब्लूडी विभाग, सेतु विभाग और यातायात विभाग के अफसर आपसी समन्वय के माध्यम से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की दिशा में ठोस प्रयास करें। वोरा ने कहा कि इन हादसों में हुई मौतों के कारण वे स्तब्ध हैं। सुरक्षित यातायात के लिए जिम्मेदार अफसर पूरी गंभीरता से प्लान तैयार करें और प्लान का क्रियान्वयन भी करें। शहरवासियों को सुरक्षित रूप से आवागमन करने की सुविधा मुहैया कराना प्रशासन का काम है। यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए जिम्मेदार विभागों के अफसर इस दिशा में तत्काल काम शुरू करें और यातायात व्यवस्था को चाक चौबंद करें।

प्रमुख सड़कों पर सरकारी विभागों की भयंकर लापरवाहियां

- जिन प्रमुख सड़कों पर डिवाइडर का निर्माण नहीं हुआ है, वहां डिवाइडर बनाना जरूरी है। डिवाइडर बनने से यातायात नियंत्रित रहता है।
- जीई रोड पर प्रकाश व्यवस्था का बुरा हाल है। सड़क उन्नयन कार्य के कारण पोल हटाने से सड़कों पर अंधेरा है। विभागीय अफसरों को प्रकाश व्यवस्था के इंतजाम करने के निर्देशों के बावजूद काम बेहद ढिलाई से हो रहा है।
- ओवरब्रिज के दोनों ओर पैरापेट वाल के ऊपर लोहे की जाली लगाने के बाद विभाग के अफसरों ने कभी दोबारा झांककर तक नहीं देखा। पैरापेट वाल पर लगे जालियों के सपोर्ट कितने मजबूत है? कहीं इनके गिरने का खतरा तो नहीं है? जैसी आशंकाओं के कारण – ओवरब्रिज के नीचे दुकानों, आवाजाही करने वाले लोगों के साथ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
- पूरे शहर में बेशुमार वैध-अवैध होर्डिंग लगाए गए हैं। बड़े होर्डिंग के अलावा बिजली के पोल, डिवाइडर पर छोटे पोस्टर और होर्डिंग की भी भरमार है। इन्हें हटाना जरूरी है। व्यवस्थित तरीके से सुरक्षा का ध्यान रखते हुए होर्डिंग लगाना आवश्यक है।
- अंडर ब्रिज का निर्माण कई साल से कछुआचाल से चल रहा है। शहर में वाहनों की संख्या में इजाफा होने के साथ ट्रैफिक नियंत्रित करने ओवरब्रिज के साथ अंडर ब्रिज का निर्माण भी तत्काल किया जाना चाहिए। लेकिन कई साल बाद भी अंडर ब्रिज अधूरे हैं। लिहाजा यातायात का पूरा दबाव ओवरब्रिज पर ही पड़ रहा है।
दुर्ग शहर के इन स्थानों पर हर समय एक्सीडेंट का खतरा
- वायशेप ओवरब्रिज के साइंस कालेज वाले छोर पर सुबह से रात 9-10 बजे तक कई दिशाओं से वाहनों की आवाजाही होती है। जीई रोड के एक ओर साइंस कॉलेज और हेमचंद यूनिवर्सिटी, सर्किट हाउस और विद्युत कंपनी का कार्यालय सहित हाऊसिंग कॉलोनी है, तो दूसरी ओर बीआईटी कॉलेज और रायपुर नाका बस्ती। इन शिक्षा परिसरों और कॉलोनियों से से आने-जाने वाले स्टूडेंट्स, प्रोफेसर्स, लेक्चरर्स के अलावा अन्य नागरिकों की आवाजाही दिन भर लगी रहती है। ओवरब्रिज के इस छोर पर जबर्दस्त ट्रैफिक के कारण हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है।
- जीई रोड चौड़ीकरण का कार्य बेतरतीबी से किया जा रहा है। नेहरू नगर चौक से पुलगांव चौक तक जगह-जगह खोदाई कर काम अधूरा छोड़ दिया गया है। व्यस्ततम सड़क पर गड्ढे खोदने, चौड़ीकरण का काम अधूरा छोडऩे, नाली निर्माण के लिए गड्?ढे खोदकर काम अधूरा होने के कारण व्यस्ततम रोड पर एक्सीडेंट का खतरा बरकरार है। पूरे जीई रोड की दुर्दशा हो चुकी है।
- प्रमुख चौक-चौराहों पर यातायात सिपाहियों की ड्यूटी नियमित रूप से नहीं लगाई जाती है। कई बार पटेल चौक जैसे व्यस्ततम चौक पर भी यातायात विभाग का अमला नहीं होता। पटेल चौक से पुलगांव ब्रिज तक ट्रैफिक ज्यादा होने के बावजूद नियंत्रण के लिए कोई चाक चौबंद व्यवस्था नहीं है।
- इसी तरह राजेंद्र चौक पर रोड उन्नयन कार्य में लापरवाही से खोदाई के कारण यहां ट्रैफिक व्यवस्था चौपट हो गई है। इससे भी बुरा हाल मालवीय चौक का है। मुश्किल ये है कि यहां यातायात सिपाहियों की ड्यूटी ही नहीं लगाई जा रही है।
- जीई रोड पर हैवी ट्रैफिक के साथ ही बस स्टैंड के सामने दोनों दिशाओं से आने जाने वाली बसों के कारण यहां भयंकर हादसा होने की आशंका रहती है।
- गुरुद्वारा रोड काफी चौड़ी होने के बावजूद यहां बेतरतीबी से सड़क किनारे वाहनों को खड़ा किया जाता है। इसके कारण चौड़ी सड़क के बावजूद यातायात व्यवस्था का बुरा हाल है।




