नई दिल्ली. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रों का हॉस्टल मैनुअल और फीस वृद्धि को लेकर विरोध जारी है। इसी बीच यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि संस्थान 45 करोड़ रु. के घाटे में है। ठेका श्रमिकों के वेतन, बिजली और पानी के बिलों का बोझ बढ़ गया है। इसे देखते हुए हॉस्टल के लिए सर्विस चार्ज लगाना जरूरी हो गया है।
जेएनयू ने कहा, ‘‘हॉस्टल फीस में इजाफे को लेकर गलत सूचना देने का अभियान चलाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इससे काफी संख्या में गरीब छात्र प्रभावित होंगे। वास्तविकता यह है कि पहले सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता था। नुकसान को देखते हुए अब चार्ज लेने का निर्णय लिया गया है। जेएनयू में अभी भी अन्य केंद्रीय यूनिवर्सिटी से कम पैसे लिए जा रहे हैं। यहां छात्रों से डेवलपमेंट फीस नहीं ली जाती। चार दशकों से एडमिशन फीस में भी वृद्धि नहीं की गई।’’
ठेका श्रमिकों को अपने संसाधन से देना होगा वेतन: यूजीसी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ठेका श्रमिकों का वेतन संस्थान के बजट से देने की अनुमति नहीं दे रहा। आयोग ने स्पष्ट किया है कि अवैतनिक खर्चों का भुगतान यूनिवर्सिटी अपने संसाधनों से करे। इस नियम के कारण जेएनयू हॉस्टल में काम कर रहे 450 कर्मचारियों का वेतन देने में प्रशासन सक्षम नहीं है। अब संस्थान के पास हॉस्टल के लिए सर्विस चार्ज लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
बीपीएल श्रेणी के छात्रों को हॉस्टल शुल्क में 50% की छूट मिलेगी
अनुमान के मुताबिक, सामान्य श्रेणी के छात्रों से 4,500 रु. प्रति महीने सर्विस चार्ज लिया जाएगा। इसमें 2,300 रु. भोजन का खर्च होगा। गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी वाले विद्यार्थियों को भोजन शुल्क छोड़कर बाकी बची 2,200 रु. में 50% की छूट दी जाएगी। उन्हें हर महीने 3,400 रु. देने होंगे। जेएनयू हॉस्टल में करीब 6000 छात्र रहते हैं। इनमें से 5,371 को फैलोशिप और स्कॉलरशिप के तौर पर वित्तीय मदद मिलती है।