भिलाई। आईआईटीभिलाई और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिविजऩ ने डिजिलॉकर के द्वारा आईआईटीभिलाई के स्नातक छात्रों की डिग्री और मार्कशीट का एकीकरण शुरू किया। दोनों संस्थानों ने अपने स्नातक छात्रों के अकादमिक प्रमाण पत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराकर यह उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार द्वारा स्थापित प्रामाणिक दस्तावेजों के संग्रह के सबसे बड़े साधन डिजिलॉकर के साथ डिग्री प्रमाणपत्र और मार्कशीट को एकीकृत करने के लिए लॉन्च इवेंट आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान थे। इस कार्यक्रम में भारत सरकार के सचिव अजय पी साहनी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल शशरबुद्धे, अभिषेक सिंह, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिविजऩ (हृद्गत्रष्ठ) के सीईओ, आईआईटीभिलाई के निदेशक प्रो. रजत मूना और आईआईटी भिलाई और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिविजऩ के अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
कार्यक्रम में प्रोफेसर रजत मूना ने अतिथियों का स्वागत किया और इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हमारे स्नातकों ने हमारे पहले दीक्षांत समारोह के दौरान एक पेन ड्राइव के अंदर डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित डिजिटल डिग्री और मार्कशीट प्राप्त की है। विभिन्न उद्देश्यों के लिए डिग्री प्रमाणपत्रों की सुरक्षित और आसान पहुँच हेतु डिग्री प्रमाणपत्र अतिरिक्त रूप से डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म के माध्यम से जारी किए गए हैं।

पहले दीक्षांत समारोह के दौरान, आईआईटी भिलाई ने अपने स्नातक छात्रों को पारंपरिक पेपर आधारित डिग्री से ज्यादा प्रमुख, डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित डिजिटल डिग्री प्रदान की। डिजिटल सत्यापन को सुनिश्चित करने और प्रक्रिया को पर्यावरण के अनुकूल रखने के साथ-साथ प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सरकार की नीतियों के अनुरूप हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित डिग्रियां पीडीएफ में जारी की गईं।
देश में डिजिटल लहर और ई-गवर्नेंस की शुरुआत करने में मैट वाई और एनईजीडी के प्रयासों की सराहना करते हुए, धर्मेंद्र प्रधान ने फर्जी प्रमाणपत्रों को रोकने की दिशा में एक प्रगतिशील पहल के रूप में कागज आधारित डिग्री प्रमाण पत्र से डिजिटल डिग्री प्रमाण पत्र के रूप में स्थानांतरित करने के संस्थान के निर्णय और प्रमाणपत्रों की मौलिकता को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को आसान बनाना के इस पहल सराहना की । उन्होंने आगे कहा कि यह टिकाऊ/स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल एक परिवर्तनकारी पहल होगी जिससे हर साल हजारों पेपर प्रिंटिंग की बचत होगी।
डिजिलॉकर के माध्यमसे डिग्री प्रमाण पत्र और अन्य प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए एकीकरण सेवा (इंटीग्रेशन सर्विस) श्री अजय साहनी द्वारा शुरू की गई थी। इस अवसर पर बात करते हुए, सचिव रूद्गद्बह्लङ्घ ने दोहराया कि यह एक बहुत ही प्रगतिशील कदम है और नेशनल अकादमिक डिपाजिटरी के माध्यम से डिग्री और डिप्लोमा दिए जाने के तरीके में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा की गई कई पहलों का उद्देश्य व्यवसायों को आसान बनाना है, और राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 के अनुरूप शिक्षा मंत्रालय के साथ, हृद्गत्रष्ठने राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजि़टरी प्रदान करने हेतु कार्य किया है, यहां तक कि एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट भी हृद्गत्रष्ठके माध्यम से किया जा सकता है।
प्रोफेसर अनिल शशरबुद्धे ने अपने संबोधन में पहले दीक्षांत समारोह से ही आईआईटी भिलाई के शैक्षणिक दस्तावेजों को डिजिटाइज करने के लिए संस्थान के दृष्टिकोण की सराहना की और यह आशा व्यक्त किया कि भविष्य में इसे विभिन्न अन्य संस्थानों द्वारा अपनाया जाएगा। उन्होंने आज की शिक्षा में और नए राष्ट्रीय शिक्षा निति को शुरू करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका और विशेष रूप से डिजिलॉकर के बारे में भी जानकारी दी।
आईआईटी भिलाई की एक टीम ने इस डिजिटल डिग्री प्रदान करने की पहल को साकार करने के लिए हृद्गत्रष्ठकर्मियों की टीम के साथ मिलकर कार्य किया, इस टीम के सदस्य डॉ अमित कुमार धर, डॉ धीमान साहा और श्री रुद्र दत्त तिवारी थे। इस बारे में बात करते हुए, डॉ धीमान साहा ने कहा: संस्थान के हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा बनाये गये सत्यापन योग्य डिजिटल हस्ताक्षरों के साथ प्रमाणपत्रों की मौलिकता को बनाए रखने के लिए संस्थान ने डिजिलॉकर के साथ विशेष व्यवस्था की है।




