नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेगासस जासूसी मामले में जांच कमेटी का गठन किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता की। वे बहुत संभलकर बोले। जिस तरह के जोश से उन्होंने 2018-19 में ‘राफेल’ का मुद्दा उठाया था, कुछ वैसा ही पेगासस मामले में राहुल का अंदाज देखने को मिला। संसद के भीतर से लेकर उसके बाहर तक पेगासस के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र सरकार को घेरा। राफेल मामले में राहुल सहित समूचे विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से बहुत उम्मीदें थीं। हालांकि फैसला केंद्र सरकार के हक में आया। नतीजा, राहुल गांधी भाजपा के निशाने पर आ गए। कहीं राफेल की तरह पेगासस भी बैकफायर कर गया तो, राहुल इस बात को ध्यान में रखकर चल रहे हैं। प्रेसवार्ता में राहुल से यह सवाल पूछा गया कि जब जांच कमेटी की रिपोर्ट आएगी और सुप्रीम कोर्ट अपना अंतिम फैसला देगा तो आप क्या उसे मानेंगे? राहुल गांधी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, तो मानेंगे क्यों नहीं।
पुनर्विचार याचिकाएं कर दी थीं खारिज
पिछले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान राहुल गांधी संभाल रहे थे। उसी वक्त राफेल लड़ाकू जहाज की डील का मुद्दा छाया हुआ था। राहुल गांधी ने राफेल मामले में कई तरह के दस्तावेज भी सार्वजनिक कर दिए थे। उनमें पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हस्ताक्षर वाला पत्र भी शामिल था। राहुल ने इस मुद्दे को जनता के बीच जमकर उछाला। इसे चुनाव में भुनाने का प्रयास किया। साल 2018 के आखिर में केस की सुनवाई हुई। 14 दिसंबर 2018 को शीर्ष अदालत ने राफेल समझौते में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जांच की मांग कर रही याचिकाओं को खारिज कर दिया था। यह फैसला, कांग्रेस पार्टी एवं दूसरे दलों के लिए एक झटके की तरह था। उसके बाद भी राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में इस मसले पर मौन नहीं साधा। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर सरकार को क्लीन चिट देने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए याचिकाएं लगाईं। उन्हें भी अदालत ने खारिज कर दिया। इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। भाजपा ने कहा कि सत्य की जीत हुई है, यह मोदी सरकार की बड़ी जीत है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए। यह बात इसलिए कही गई थी कि मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद राहुल गांधी ने उसे जनता के बीच चुनाव में भुनाने का प्रयास किया।
सरकार से पूछे कुछ सवाल
पेगासस मामले में राहुल से जो सवाल पूछा गया था कि उसमें राफेल वाले मुद्दे का ही भाव छुपा हुआ था। राफेल वाले मुद्दे में सुप्रीम कोर्ट ने जब केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी तो उसके बाद भी कांग्रेस पार्टी ने चुनाव में वह मुद्दा उठाया था। भाजपा का आरोप था कि राहुल और उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करते। इसका मतलब यह निकाला गया कि राहुल गांधी देश की सर्वोच्च अदालत को ही नहीं मानते। अब पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी के पास है। जांच कमेटी की रिपोर्ट क्या आएगी, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या रहेगा, ये देखने वाली बात है। राहुल गांधी ने इस बार पहले ही कह दिया है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी होगा, वे उसे मानेंगे। हालांकि राहुल ने कहा, हमारे तीन-चार सवाल हैं, इनका जवाब भी तो चाहिए। पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का ऑर्डर किसने किया, इसका डाटा किसे दिया जा रहा था और किस आधार पर ये ऑर्डर जारी किया गया था।

प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री इसके लिए अधिकृत
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि हमने पेगासस को लेकर सरकार को जवाब दाखिल करने के कई मौके दिए, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया, इस सवाल पर राहुल ने कहा, सरकार यह जवाब नहीं दे सकती। वजह, गलत काम हुआ है। वह काम दो लोग ही कर सकते हैं। कोई भी तीसरा व्यक्ति ‘पेगासस जासूसीÓ नहीं करा सकता। सरकार में वरिष्ठ मंत्री गडकरी भी ऐसा निर्णय नहीं ले सकते। राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री इसके लिए अधिकृत हैं। मेरा अंदाजा है कि वे उत्तर नहीं देंगे। सरकार के लिए इन सवालों का जवाब बहुत कठिन होगा। सरकार ने कुछ गलत काम किया होगा, तभी उसने सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत रिपोर्ट पेश नहीं की। अगर प्रधानमंत्री ने हमारे ही देश पर किसी और देश के साथ मिलकर आक्रमण किया है, तो फिर इस पर प्रधानमंत्री का भी रुख हम सुनना चाहते हैं। क्या उन्होंने किया है, और अगर किया है, तो क्यों किया है।




