एजुकेशन डेस्क (एजेंसी)। एआईसीटीई ने कॉलेजों को क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग डिग्री प्रदान करने की अनुमति दे दी है। पहले चरण में, शैक्षणिक सत्र (2020-21) से पांच भाषाओं – हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु और बंगाली में पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे। इसके लिए एआईसीटीई 11 अलग-अलग भाषाओं में पाठ्यक्रमों का अनुवाद कर रहा है। साथ ही ऑनलाइन और ऑफलाइन सामग्री भी तैयार कर रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे हैं बदलाव
भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करने का सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में दिया गया है। एनईपी में कहा गया है कि किसी भी छात्र को उनकी भाषा वरीयता के कारण उच्च शिक्षा संस्थानों में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। एआईसीटीई के अधिकारी बताते हैं कि इंजीनियरिंग के छात्रों को अपनी मातृभाषा में अध्ययन करने में रुचि दिखाई थी।
43 प्रतिशत मातृभाषा में करना चाहते हैं अध्ययन
दरअसल, एआईसीटीई ने इस वर्ष की शुरुआत में अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग छात्रों का एक सर्वेक्षण किया था। जिसमें लगभग आधे (43.79त्न) छात्रों ने कहा कि वे क्षेत्रीय भाषाओं में अध्ययन करना चाहते हैं। यह सर्वेक्षण देशभर के कुल 83,195 छात्रों पर किया गया था। एआईसीटीई के सर्वेक्षण के अनुसार, तमिल, हिंदी और तेलुगु में क्रमश: 12,487, 7,818 और 3,991 छात्र पढऩा चाहते हैं।

समिति ने क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन का विकल्प देने का दिया सुझाव
सर्वेक्षण के बाद, तकनीकी शिक्षा को मातृभाषा में प्रदान करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। प्रो. प्रेम व्रत की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की कि छात्रों को एनआईटी/आईआईटी और एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थानों में क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए विकल्प उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
14 महाविद्यालय देंगे क्षेत्रीय भाषा में पढऩे का विकल्प
जबकि आईआईटी अभी तक कई कारणों का हवाला देते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम देने पर सहमत नहीं हुए हैं। वहीं नौ राज्यों के कुल 14 कॉलेजों ने क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग कार्यक्रम पेश करने में रुचि व्यक्त की है। इसमें बी टेक कंप्यूटर साइंस, आईटी, मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
अंग्रेजी अभी भी होगी जरूरी
क्षेत्रीय भाषाओं में पढऩे वाले छात्रों के लिए अंग्रेजी अनिवार्य विषय होगा। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक छात्रों को सभी चार वर्षों में एक अनिवार्य अंग्रेजी पाठ्यक्रम लेना होगा ताकि वे अंग्रेजी भाषा में आवश्यक कौशल हासिल कर सकें और दुनिया के किसी भी हिस्से में रोजगार पाने में सक्षम हों।