नई दिल्ली (एजेंसी)। देशभर में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान एक दिन में कोरोना के चार लाख से अधिक मामलों तक दर्ज किए जा चुके हैं। इस दौरान कुछ ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आईं, जिनसे हर कोई सहम गया। सांसों के लिए तरसते लोग, मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी, मांग में वृद्धि के कारण महत्वपूर्ण दवाओं की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी, अस्पतालों में बेड के लिए संघर्ष कर रहे लोग, विभिन्न श्मशान घाट के बाहर लंबी कतारों की तस्वीरें झकझोर कर रख देने वाली थीं। हालांकि, अब कोरोना के मामले कम होने लगे हैं। ऐसे में कई राज्यों ने अपने यहां लागू लॉकडाउन को हटाकर अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि तीसरी लहर का भी आना तय है, लेकिन अगर हम पहले की गईं कुछ गलतियों को न दोहराएं व सुरक्षा मानदंडों का पालन करें तो तीसरी लहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जानें कौन सी हैं वे गलतियां, जिन्हें इस बार हमें दोहराना नहीं है।
जिम्मेदारी को भूलना नहीं है
हमें मास्क पहनना और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना नहीं भूलना चाहिए। हमें लोगों से विशेषकर परिवार के सदस्यों से सावधान रहने के लिए कहना चाहिए। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हमें उन लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए, जिन्हें हम जानते हैं ताकि वे भी जिम्मेदार बन सकें।
अपने डॉक्टर से समय पर संपर्क करें
लोगों को यह समझना चाहिए कि उन्हें स्वयं दवा नहीं लेनी चाहिए। कई बार ऐसा भी हुआ है जब एक कोविड रोगी बीमारी की गंभीरता को समझने में असफल रहा और तब तक घर पर ही दवा लेता रहा जब तक कि उसके लिए डॉक्टर से संपर्क करना बिल्कुल आवश्यक न हो। संपर्क में रहना और अपने स्वास्थ्य को अपडेट करना हमेशा अच्छा होता है ताकि डॉक्टर आपको बता सकें कि आपके लिए क्या सही है।
हर समय सामाजिक दूरी बनाए रखें
भले ही चीजें वापस सामान्य होने लगें पर फिर भी हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही होगा। आईआईटी भुवनेश्वर में किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार, मास्क के साथ भी सामाजिक दूरी बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि हवा में मौजूद कोरोना का वायरस मास्क लगाने के बाद भी हमें संक्रमित कर सकता है। ऐसे में हमें मास्क लगाने के साथ ही सामाजिक दूरी बनाए रखना चाहिए।
टीकाकरण कराने में संकोच न करें
भारत जनवरी 2021 से बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चला रहा है। कोविशील्ड और कोवैक्सिन के साथ शुरू हुए टीकाकरण अभियान में अब रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन भी शामिल है। दवा नियामकों ने व्यापक परीक्षण और शोध के बाद वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है, लेकिन इस बीच ऐसी खबरें आई हैं कि लोग कोरोना टीका लेने से कतराते हैं। लोगों में डर है कि इससे नपुंसकता, बांझपन और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। इन अफवाहों के फैलने के बाद विशेषज्ञों ने कहा कि टीकाकरण जीवन बचाने का एकमात्र मंत्र है और हर्ड इम्यूनिटी बनाने की दिशा में सही कदम है।
सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें
सिर्फ इसलिए कि आपको टीका लगाया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप लोगों से भरी हुई जगहों पर जा सकते हैं। यह समझना चाहिए कि विशेषज्ञों का सुझाव है कि जब तक अंतिम व्यक्ति को टीका नहीं लगा दिया जाता, तब तक कोरोना वायरस के प्रसार का जोखिम बना रहेगा। इस खतरे को कम करने के लिए किसी को तब तक घर के अंदर रहना चाहिए, जब तक कि आबादी का एक बड़े हिस्से को टीका नहीं लग जाता।
घरेलू/अंतरराष्ट्रीय यात्रा में कटौती
हम लंबे समय से अपने घरों तक ही सीमित हैं और समुद्र तट या पहाड़ों पर जाने की इच्छा को दबा दिया है, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि यह घूमने-फिरने के लिए सही समय नहीं हो सकता है। हमें अपनी यात्रा की योजना के बारे में सतर्क रहना चाहिए क्योंकि यह विशेष रूप से हमारे परिवार के सदस्यों व सैकड़ों अन्य लोगों को प्रभावित कर सकता है। बेहद जरूरी होने पर ही यात्रा करें ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके।
निगरानी जरूरी
अन्य बीमारियों से ग्रसित कोविड-19 के मरीजों में हमेशा गंभीर लक्षण होने का अधिक खतरा होता है। डॉक्टर उच्च जोखिम वाले वर्ग को संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। रिकॉर्ड कोविड मौतों के साथ देश में कोविड-19 की दूसरी लहर में म्यूकोर्मिकोसिस जैसे फंगल इंफेक्शन की सुनामी भी देखी गई। डॉक्टर डायबिटीज से ग्रसित कोरोना मरीजों को ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस के संक्रमण के संभावित लक्षणों के लिए सतर्क रहने की सलाह देते हैं। ऐसे लोग अधिक असुरक्षित हैं इसलिए कोरोना के अलावा अन्य कई बीमारी से पीडि़त लोग अपनी नब्ज की निगरानी करें और कोविड-19 के नियंत्रण प्रोटोकॉल को गंभीरता से लें।