नई दिल्ली (एजेंसी)। संसद के ऊपरी सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच पीछे हटने पर सहमति बन गई है। पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर दोनों सेनाएं प्राथमिक पोस्ट पर तैनात सैनिकों को पीछे करेंगी। चीन जहां उत्तरी तट पर फिंगर 8 के पूर्व में जाएगा, वहीं भारतीय सेना फिंगर 3 के पास स्थित मेजर धान सिंह थापा पोस्ट (परमानेंट बेस) पर रहेगी। उन्होंने कहा कि पैंगोंग झील से सेनाओं के पूरी तरह से हटने के बाद, दोनों सेनाओं के बीच एक बार फिर बातचीत होगी। उन्होंने सेना के बहादुर जवानों की भी तारीफ की। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेनाओं ने सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया।
सीमा विवाद को कैसे सुलझाया जाए, राजनाथ ने चीन को सुझाए हैं ये तीन रास्ते
रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।
राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने स्पष्ट किया है कि एलएसी में बदलाव ना हो और दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी जगह पहुंच जाएं। हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे। राजनाथ ने कहा कि पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ है और सेनाएं पीछे हटेंगी। उन्होंने आगे कहा कि पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों की वापसी पर सहमति बन गई है। कल से सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सैनिक वापसी की प्रक्रिया के बाद बाकी मुद्दों के हल के बातचीत चल रही है। समझौते के 48 घंटे के भीतर दोनों देश के कमांडर मिलेंगे।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले साल अप्रैल, मई में पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चीनी सैनिकों द्वारा भारी मात्रा में गोला-बारूद और शस्त्र इकट्ठा किए गए और जवानों की तैनाती कर रखी है, मगर हमारे भारतीय जवानों ने जवाब दिया है। पिछले साल सितंबर से दोनों पक्षों ने सैन्य और कुटनीतिक चैनल द्वारा कई बार बातचीत की है। हमारी कोशिश है कि एलएएसी पर डिसइंगेजमेंट और यथास्थिति हो जाए, ताकि शांति स्थापित हो सके।




