इस्लामाबाद (एजेंसी)। गुजरात के कच्छ जिले के रहने वाले इस्माइल समा पिछले हफ्ते जब अपने वतन और घर लौटे तो उनके गांव में खुशी और जश्न का माहौल था। बड़ी संख्या में इस्माइल के रिश्तेदार उनसे मिलने उनके घर आ गए और वहां इक_ा हो गए। इसके अलावा स्थानीय मस्जिद से भी लोगों ने समा के लौटने पर खुशी जाहिर की। समा के गांव में उनके आने की खुशी इसलिए इतनी ज्यादा थी क्योंकि वो 13 साल बाद पाकिस्तान से भारत वापस लौटे थे। दरअसल, 2008 में समा अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में चला गया था और उसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।
भारत वापस लौटने के बाद इस्माइल समा ने बताया कि पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और कैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने उन्हें टॉर्चर किया था। इसके अलावा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने उससे जबरन जासूसी की बात कबूल करवाने की कोशिश की।
पाकिस्तान सीमा से करीब 60 किलोमीटर दूर कच्छ के नाना दिनारा गांव के इस्माइल समा 13 साल पहले अपने मवेशियों को चराने के दौरान गलती से पाकिस्तान में प्रवेश कर गए थे। उस समय उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें जेल में बंद कर दिया था। इसके बाद समा को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने उन्हें आईएसआई के हवाले कर दिया गया।
इस्माइल ने बताया कि उन्हें छह महीने तक आईएसआई द्वारा टॉर्चर किया गया। इस दौरान एजेंसी ने उन्हें ये कबूल कराने की कोशिश की वो भारतीय जासूस हैं। हालांकि इस्माइल ने ये कभी नहीं कबूला। इस्माइल के मुताबिक, उन्हें पाकिस्तान के हैदराबाद की एक मिलिट्री फैसिलिटी में तीन साल तक रखा गया।
इसके बाद कोर्ट ने इस्माइल को साल 2008 में पांच साल की सजा सुना दी और हैदराबाद की सेंट्रल जेल में भेज दिया। 2014 में पहली बार पाकिस्तान ने उन्हें कॉन्स्यूलर एक्सेस की सुविधा मुहैया कराई। इस्माइल ने बताया कि उन्होंने जेल से अपने परिवार को 15 खत लिखे लेकिन उनके घर तक एक भी खत नहीं पहुंचा।
समा ने बताया कि 2016 में मेरी सजा पूरी हो गई थी लेकिन मुझे रिहा नहीं किया गया। समा ने बताया कि उनकी रिहाई भारतीय उच्चायोग द्वारा चार भारतीय कैदियों की रिहाई के लिए याचिका दायर करने के बाद संभव हो पाई। भारतीय अफसरों ने इस्माइल के मामले का जिक्र दिसंबर 2020 में कुलभूषण जाधव से जुड़े एक मामले में किया था। इसके बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उसे छोडऩे की अनुमति दे दी।