तिरुवनंतपुरम। केरल में 16 सब्जियों के दाम तय कर दिए गए हैं। यहां आलू-भिंडी 20 रुपये, टमाटर 8 रुपये और करेला 30 रुपये किलो बिकेंगे। केरल सब्जियों के दाम तय करने वाला देश का पहला राज्य है। राज्य सरकार की यह योजना 1 नवंबर से लागू हो जाएगी। हालांकि तब तक कई अन्य सब्जियों और चीजों के भी दाम तय कर दिए जाएंगे। सबसे खास बात यह है कि इससे किसानों को फायदा होने वाला है।
आपको बता दें कि केरल देश का पहला राज्य है, जहां किसानों के लिए फल-सब्जियों के न्यूनतम दाम (एमएसपी) तय किए गए हैं। यह दाम उत्पादन लागत से 20 फीसदी अधिक होंगे। फिलहाल सरकार ने 16 फल और सब्जियों के दाम तय किए हैं। इसके अलावा खाने-पीने की 21 चीजों पर एमएसपी तय की गई है। 1 नवंबर से लागू होगी योजना, एक हजार स्टोर खुलेंगे यह योजना राज्य में 1 नवंबर से लागू होगी। इस दौरान अन्य सब्जियों के दाम भी तय कर दिए जाएंगे। इस योजना से 15 एकड़ तक खेती करने वाले किसानों को फायदा होगा। क्योंकि ऐसे किसानों के उत्पादों को बेचने के लिए राज्य में एक हजार स्टोर भी खोले जाएंगे। केरल की इस पहल के बाद पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी किसान इस तरह की योजना को लागू करने की मांग करने लगे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा कि यह योजना किसानों को आर्थिक तौर पर और ज्यादा मजबूत बनाएगी। सब्जियों का आधार मूल्य उनकी उत्पादन लागत से 20 फीसदी अधिक रखा जाएगा। यदि बाजार मूल्य इससे नीचे चला भी जाता है, तो चिंता की बता नहीं है। किसानों से उनकी उपज को आधार मूल्य पर ही खरीदा जाएगा। हालांकि सब्जियों को क्वालिटी के अनुसार बांटा जाएगा और आधार मूल्य उसी हिसाब से लगाया जाएगा।
फल-सब्जी इस दर से कम में नहीं बिकेगी सब्जी
सूरन 12, केला 30, अनानास 15, लौकी 9, खीरा 8, करेला 30, चिचिंडा 16, टमाटर 8, गवारफली 34, भिंडी 20, पत्तागोभी 11, गाजर 21, आलू 20, बींस 28 व चुकंदर 21 रुपए निर्धारित किया गया है। केरल के कृषि विशेषज्ञ जी. जनार्दन कहते हैं कि न्यूनतम मूल्य तय होने से किसान फल-सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित होंगे। उन्हें यह भरोसा मिलेगा कि वे अपनी उपज का एक निश्चित मूल्य हासिल करेंगे। उनकी आमदनी बढ़ेगी जिससे वे इनके भंडारण पर भी ज्यादा रकम खर्चा कर पाएंगे। इससे ग्राहकों पर बहुत असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ग्राहक तो बहुत पहले से ही ज्यादा कीमत दे रहे हैं, जबकि किसानों को वाजिब कीमत नहीं मिलती है। यही वजह है कि पंजाब के किसान संगठन भी केरल की योजना की तर्ज पर सब्जियों और फलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग कर रहे हैं।