नई दिल्ली (एजेंसी)। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा टालने की याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा देने वाले कुछ अभ्यर्थियों की तरफ से शीर्ष अदालत में दायर किया गया था, जिसमें चार अक्तूबर को तय परीक्षा को स्थगित करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि परीक्षा स्थगित नहीं होगी और चार अक्तूबर को ही आयोजित होगी।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार करे जो कोविड महामारी की वजह से अपने अंतिम प्रयास में शामिल नहीं हो सकेंगे। पीठ ने सिविल सेवा की 2020 की परीक्षा को 2021 के साथ मिलाकर आयोजत करने पर विचार करने से इंकार कर दिया और कहा कि इसका प्रतिकूल असर होगा। पीठ कोविड-19 महामारी और बाढ़ के हालात की वजह से आयोग की सिविल सर्विसेज प्रारंभिक 2020 परीक्षा दो से तीन महीने के लिये स्थगित करने हेतु दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
संघ लोक सेवा आयोग ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि चार अक्तूबर को परीक्षा के आयोजन के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली गई हैं। यूपीएससी का कहना था कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह परीक्षा 31 मई को होनी थी, लेकिन इसे बार स्थगित करने के बाद अंतत: चार अक्तूबर को कराने का निर्णय किया गया है। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ये भारत सरकार की मुख्य सेवाओं के लिये परीक्षा है ओर इसे अब स्थगित करना असंभव है।
अदालत ने केंद्र से कहा है कि जिन अभ्यर्थियों के पास इस परीक्षा को देने का आखिरी अवसर है और कोविड-19 के कारण नहीं दे पा रहे हैं, उनको एक और मौका देने पर विचार करे। अदालत ने कोरोना संक्रमित उम्मीदवारों को परीक्षा में सम्मलित होने और अलग रूम में परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल प्रोटोकॉल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के लिए क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई है। दरअसल, यूपीएससी ने कोर्ट को सूचित किया था कि खांसी और सर्दी के लक्षणों को प्रदर्शित करने वाले किसी भी व्यक्ति को अलग कमरे में बैठाया जाएगा। गौरतलब है कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 4 अक्टूबर को देश के 72 शहरों के 2569 केंद्रों पर आयोजित होनी है।