नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव में कहा कि कोरोना वायरस पिछले 100 साल का सबसे बड़ा स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट है। दास ने कहा कि कोविड-19 पिछले 100 साल का सबसे बड़ा आर्थिक एवं स्वास्थ्य से जुड़ा संकट है। कोरोना की वजह से उत्पादन, नौकरियों एवं स्वास्थ्य पर अभूतपूर्व नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। इस संकट ने मौजूद वैश्विक व्यवस्था, वैश्विक वैल्यू चेन और विश्वभर में लेबर एंड कैपिटल मुवमेंट को प्रभावित किया है।
शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था के लिए आरबीआई की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना काल में हमारी वित्तीय व्यवस्था को बचाने के लिए और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए केंद्रीय बैंक ने कई तरह के कदम उठाए हैं। देश के लिए वित्तीय स्थिरता भी महत्वपूर्ण है। जोखिम को चिह्नित करने के लिए आरबीआई ने अपने निगरानी तंत्र को मजबूत बनाया है।

सितंबर 2019 से रेपो रेट में इतनी हुई कटौती
शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस संकट से पहले सितंबर 2019 से केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 135 आधार अंकों की कटौती की थी। उस समय में आर्थिक वृद्धि दर में आई सुस्ती से निपटने के लिए ये कदम उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि आरबीआई की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसके बाद एमपीसी ने रेपो रेट में 115 आधार अंकों की और कमी की। इस तरह रेपो रेट में कुल 250 आधार अंकों की कटौती हुई।
