नेपाल/नई दिल्ली (एजेंसी)। नेपाल की शिक्षा व्यवस्था अब तक भारत से बहुत मिलती जुलती थी, लेकिन चीन अब धीरे-धीरे नेपाल के स्कूली बच्चों के मन में भारत विरोधी जहर भर रहा है। इसके लिए वह अपने स्वयंसेवी शिक्षकों के माध्यम से अभियान चला रहा है।
अब तक नेपाल के 136 स्कूलों में चीनी भाषा मंदारिन पहुंच गई है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित कई स्कूल ऐसे हैं जहां इसकी पढ़ाई होती है। इन शिक्षकों का वेतन भी चीन से ही आता है। ये शिक्षक बच्चों को चीनी भाषा के साथ भारत के प्रति नफरत का पाठ पढ़ा रहे हैं।
नेपाल व भारत के संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक लिहाज से बेहद मजबूत हैं। भारत को नेपाल अपना बड़ा भाई मानता है। भारत ने नेपाल की हर क्षेत्र में मदद की है और नेपाल भी भारत के साथ अपने रिश्तों को प्राथमिकता देता है, लेकिन अब चीन की नजर इस रिश्ते पर है।
वह भारत-नेपाल की पुरातन परंपरा को नष्ट करने के लिए नेपाल के स्कूलों को अपना निशाना बना रहा है। उसने इन स्कूलों में अपनी भाषा मंदारिन (मैंडोरिन) पढ़ाने के लिए विशेष तौर पर शिक्षक नियुक्त किए हैं।
इसके लिए चीन के 226 स्वयंसेवी शिक्षकों की तैनाती नेपाल में की गई है। अब तक 136 निजी व सरकार के अधीन विद्यालयों में इन शिक्षकों की तैनाती की गई है। औसतन प्रति विद्यालय में दो शिक्षक तैनात करने की योजना है।
ये शिक्षक छात्रों को चीनी भाषा के साथ-साथ उन्हें चीन की गाथा भी सुना रहे हैं। वहीं भारत के प्रति छात्रों के मन में कई द्वेष भावनाएं भी भर रहे हैं। इन स्कूलों में भारत-नेपाल सीमा से सटे स्कूल भउआ नाका, नरैनापुर व गांव विकास समिति लक्ष्मनपुर विद्यालय सहित कई अन्य नेपाली स्कूल शामिल हैं।
नफरत की पाठशाला : बच्चों में भारत के खिलाफ जहर भर रहा चीन
