मुंबई (एजेंसी)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक 12 वर्षीय बलात्कार पीडि़त को उसकी 23 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी है। पीडि़ता की मां ने जून के पहले सप्ताह में याचिका दायर कर कहा था कि उसे संदेह हुआ कि उसकी नाबालिग बेटी गर्भवती थी। पूछताछ के दौरान बच्ची ने खुलासा किया कि पड़ोस के कुछ लोगों द्वारा उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया।
इसके बाद महिला ने नजदीक के सांगली पुलिस थाने गई और पांच जून को एफआईआर दर्ज कराई। 16 जून को वह एक सरकारी अस्पताल गई जहां उन्हें बताया गया कि बिना अनुमति के गर्भ को समाप्त नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंट एक्ट,1971 द्वारा निर्धारित 20 सप्ताह की सीमा को पीडि़ता ने पार कर लिया था।
महाराष्ट्र के सरकारी मेडिकल कॉलेज मिराज की एक मेडिकल बोर्ड ने 26 जून को हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुसार, 12 वर्षीय बच्ची का एग्जामिनेशन किया। मेडिकल बोर्ड ने कहा कि अगर प्रेग्नेंसी की अनुमति दी जाती है, तो पीडि़ता के सामान्य और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा इसलिए उसके गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सुरेंद्र तावड़े की पीठ ने सिफारिश को स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि नाबालिग को शारीरिक और मानसिक आघात भुगतना होगा, यदि गर्भावस्था को समाप्त नहीं किया जाता है। पीठ ने याचिकाकर्ता महिला को अब मिराज के सरकारी मेडिकल कॉलेज में संपर्क करने के लिए कहा है, जहां नाबालिग की अनचाही गर्भावस्था को 6 जुलाई को चिकित्सकीय रूप से समाप्त कर दिया जाएगा।
अदालत ने अस्पताल को भ्रूण के रक्त और टिशू के नमूनों को संरक्षित करने का निर्देश दिया है जो आपराधिक मामले में फोरेंसिक सबूत के रूप में आवश्यक हो सकते हैं। कोर्ट ने डॉक्टरों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया है कि यदि बच्चा जीवित है तो उसे बचाने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएं। हाईकोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि नवजात जीवित है और याचिकाकर्ता महिला और उसकी बेटी इस तरह के बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है या नहीं है, तो राज्य और इसकी एजेंसियों को इसके लिए पूरी जिम्मेदारी निभानी होगी।
23 हफ्ते की गर्भवती 12 साल की बलात्कार पीडि़त को मुंबई हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति
