थिंपू/नई दिल्ली (एजेंसी)। चीन अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ हर रोज नई-नई चाल चल रहा है। ‘ग्लोबल इन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल’ की 58वीं बैठक में चीन ने भूटान के ‘सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य’ की जमीन को विवादित बताया है। साथ ही इस परियोजना के लिए होने वाली फंडिंग का भी विरोध किया है। वहीं, भूटान ने चीन की इस चाल पर कड़ी आपत्ति जताई है। उसने कहा है कि हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य भूटान का एक अभिन्न और संप्रभु क्षेत्र है।
दरअसल, सच्चाई यह है कि अभयारण्य की इस जमीन को लेकर दोनों देशों के बीच कभी कोई विवाद नहीं रहा है। हालांकि, भूटान और चीन के बीच अभी भी सीमाएं तय नहीं हैं। बीजिंग इसी बात का फायदा उठाकर थिंपू की जमीन को हथियाना चाहता है।
कभी नहीं मिली वैश्विक फंडिंग
यहां हैरान करने वाली बात यह है कि इस वन्यजीव अभयारण्य को कभी वैश्विक फंडिंग ही नहीं मिली है। यानी कि वल्र्ड बैंक या आईएमएफ ने इसके विकास के लिए कभी फंड नहीं दिया है। इन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल में जब अभयारण्य को फंड देने की बात आई तो चीन ने नई चाल चली और जमीन को ही अपना बता दिया। हालांकि, चीन का विरोध दरकिनार कर दिया गया और काउंसिल ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी।

भारतीय अधिकारी ने रखा भूटान का पक्ष
काउंसिल में चीन का एक प्रतिनिधि है। वहीं, भूटान का सीधे तौर पर कोई प्रतिनिधि नहीं है, इसलिए इसका प्रतिनिधित्व एक भारतीय आईएएस अधिकारी अपर्णा सुब्रमणि ने किया। सुब्रमणि वल्र्ड बैंक में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका की प्रभारी हैं।
