115 प्रकार कि बिमारी का इलाज निशुल्क होगा सरकारी अस्पताल में निजी अस्पताल में इलाज करवाना पडेगा महेंगा
बिलासपुर। केंद्र कि मोदी सरकार जहाँ एक ओर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में देश के हर नागरीक को मुफ्त 5 लाख तक इलाज देने कि योजना पर काम कर रही है जिसके तहत स्मार्ट कार्ड को अपडेट करते हुए आयुष्मान कार्ड लोगो को दिया गया इस योजना में शासकीय अस्पताल के साथ निजी क्षेत्र के मल्टी स्पेसिलिटी अस्पतालो को भी अनुवार्य रूप एम्पैनल्ड होना था किन्तु आयुष्मान योजना में जो बिमारी के इलाज का राशी विभाजन हुआ है उससे निजी क्षेत्र के हॉस्पिटल संचालक संतुष्ट नही है यही कारण रहा कि गिनती के निजी हॉस्पिटल आयुष्मान योजना के तहत लोगो को स्वास्थ्य लाभ दे रहे है आयुष्मान योजना में कार्य करने में निजी हॉस्पिटल संचालको कि बढती दिक्कतों के चलते छत्तीसगढ़ कि भूपेश सरकार से मिलकर अपनी समस्या बताई थी तभी कांग्रेस कि भूपेश सरकार ने निर्णय ले लिया था कि केंद्र कि स्वास्थ्य योजना को प्रदेश में लागू नही करेंगे बल्कि एक अलग योजना लाकर आम लोगो को स्वास्थ्य लाभ देंगे, अभी कुछ दिनों से सोसियल मीडिया में राशनकार्ड के माध्यम से लोगो को 5 लाख तक मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाएगा जैसा संदेश वायरल हो रहा है इस विषय में जब बिलासपुर सीएचएमओ के नर्सिंग एक्ट नोडल अधिकारी से चर्चा कि गई तब उन्होंने स्पष्ट किया और हमारे संवाददाता को जानकारी देते हुए बताया कि इससे संदर्भित गाइड लाइन आई है इसमें स्पष्ट है कि एपीएल और बीपीएल कार्ड कि कुल संख्या खाद्य विभाग से मंगवाया गया और इस कार्ड को सीधा लिंक कर दिया गया है पुराना स्मार्ट कार्ड स्वत: निरस्त हो जाएगा जिस किसी के पास आयुष्मान कार्ड नही है वे राशनकार्ड के माध्यम से मुफ्त इलाज पा सकते है परन्तु जिनके पास आयुष्मान कार्ड है उन्हें राशनकार्ड कि अनुवार्यता नही रहेगी और अब आयुष्मान कार्ड जारी नही किया जाएगा इसलिए सभी लोगो को राशनकार्ड बनवा लेना चाहिए और उसमे अपने परिवार के सदस्यों के नाम को सुनिश्चित कर लेना चाहिए। राशनकार्ड में इलाज मुफ्त करने के पहले सरकार ने डा खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत कुल 115 बीमारियों के इलाज के पैकेज को सरकारी अस्पताल के लिए आरक्षित कर दिया है। इनमे हार्ट किडनी स्त्री रोग जनरल सर्जरी जनरल मेडिसिन से जुडी बड़ी बीमारियाँ प्रमुख्य रूप से सामिल है। सिजेरियन डिलीवरी भी योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में होगी जिसके लिए 18 हजार 500 रुपए पैकेज रेत तय किया गया है,एक जनवरी से इन 115 बीमारियों का सरकारी योजना के तहत सिर्फ और सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इलाज होगा। अगर इनमें से किसी बीमारी से ग्रसित हैं और निजी अस्पताल में सरकारी योजना से इलाज करवाने की सोच रहे हैं तो अब ऐसे संभव नहीं हैं। आपको यहां खुद की जेब से ही इलाज की राशि का भुगतान करना होगा।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 172 बीमारियों के इलाज के पैकेज को सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किए जाने की बात कही थी। यानी दूसरी सूची जल्द आ सकती है। स्पष्ट है कि सरकार सरकारी अस्पतालों के साधन-संसाधन को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहती है, ताकि निजी अस्पतालों में योजना के तहत जा रही राशि या कहें इलाज के खर्च को कम किया जा सके। पूर्व में स्वास्थ्य योजना में 772 बीमारियों के इलाज के पैकेज हैं, अभी इन्हें अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
इन आधारों पर किया बीमारियों को आरक्षित
सरकार का उद्देश्य निजी अस्पतालों में जा रहे सरकारी पैसे को कम करना है। इन पैसे से सरकारी अस्पतालों को सुविधा संपन्न बनाना है। सरकारी अस्पतालों में जिन बीमारियों के इलाज की 100 प्रतिशत गारंटी है, उन्हें आरक्षित किया जा रहा है। सूत्र की मानें तो सरकारी अस्पतालों के जनरल सर्जरी विभाग में डॉक्टर पर्याप्त हैं लेकिन सर्जरी कम होती हैं। इसलिए जनरल सर्जरी के 53 पैकेज को आरक्षित किया गया है। दूसरी वजह ऐसी बीमारियों को आरक्षित किया जाना है, जो आपात चिकित्सा में नहीं आती हैं। समय लेकर उनका ऑपरेशन/उपचार किया जा सकता है। जो महंगी हैं योजना के तहत इन बीमारियां का इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में
जनरल सर्जरी-हाईड्रोसिल, संक्रामित कुखरू, पैरों में सूजन, स्तन की गांठ,हर्निया। इलाज के पैकेज 4000 से 30 हजार रुपए तक हैं। जनरल मेडिसीन-पेचिस, किडनी संबंधित, मलेरिया, गंभीर एचआईवी, न्यूरो मस्कुलर डिसऑर्डर। जिन बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध है, उनकी दरें शून्य कर दी गई हैं। इलाज के पैकेज अधिकतम 25000 तक।
कॉडियोलॉजी- एएसडी डिवाइज क्लोजर, वीएसडी डिवाइज क्लोजर, पीडी, डिवाइज क्लोजर, पीडी, क्वाइल। ये सभी बीमारियां दिल के सुराग से संबंधित हैं। इलाज के पैकेज 15,000 से 80,000 हजार तक।