मानव शरीर रहस्यात्मक हो सकता है. इसलिए कभीकभी बहुत ही उलझनभरी, शर्मिंदा करने वाली या अजीब सी हरकतें हमारा शरीर करता है. हम सब को पता है कि खून का सर्कुलेशन करने के लिए दिल धड़कता है, गरम दिन में पसीना निकलने से शरीर को ठंडक मिलती है. लेकिन हर किसी को यह नहीं पता कि हमें हिचकियां क्यों आती हैं? पांव क्यों सो जाते हैं यो रोंगटे क्यों खड़े हो जाते हैं? क्या सचमुच डर से आप के रोंगटे खड़े होते हैं या इस की कोई और वजह है? पांव के सोने पर वास्तव में आप का शरीर आप को क्या बताने की कोशिश करता है? शरीर में होने वाली इन अजीब बातों का एक तार्किक व चिकित्सकीय कारण होता है. जानते हैं कुछ ऐसी ही शरीर में होने वाली बातों के बारे में जो कभीकभी आप के लिए शर्मिंदगी का कारण भी बन जाती हैं.
जम्हाई आना:- जम्हाई आने को अकसर नींद आने के साथ जोड़ा जाता है. जब भी कोर्ई जम्हाई लेता है, हम कहते हैं कि लगता है नींद आ रही है. उस समय कुछ सुस्ती भी महसूस होती है. लेकिन जब आप के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है, तो आप का मुंह काफी बड़ा हो कर खुल जाता है और अधिक ऑक्सीजन अंदर लेने की कोशिश करता है. जम्हाई लेना खून में कार्बन डाईऔक्साइड और ऑक्सीजन की मात्रा को नियंत्रित करने का तरीका है. जम्हाई को आने से रोकना असंभव है.

आंख फड़कना:- आंख फड़कना जिस में पलक फड़कती है, एक बहुत ही आम स्थिति है जिस से हमें बहुत असुविधा महसूस होती है और बहुत परेशानी महसूस होती है. यह स्नायु में किसी तरह की गड़बड़ी की वजह से हो सकता है. पर जाना जाता है कि ऐसा तनाव, नींद की कमी, थकावट, कैफीन की अधिक मात्रा लेने से होता है. आंखों पर अधिक जोर पड़ता है तब भी आंख फड़कने लगती है. तनाव को दूर कर के और पर्याप्त नींद व आंखों को आराम देने से इन में आराम मिल जाता है. कौफी और अल्काहोल की मात्रा कम करने से भी इस में आराम मिल जाता है.

हिचकी आना:- अगर किसी को हिचकी आती है तो अकसर कहा जाता है कि कोई याद कर रहा है और उसे पानी पीने की सलाह दी जाती है ताकि हिचकी बंद हो जाए.”अगर आप को बहुत हिचकियां आती हैं तो खाते व पीते समय धीरेधीरे खाएं व पिएं. बहुत जल्दीजल्दी खाने से आप के पेट में सूजन आ जाती है या कहें वह फूल सा जाता है, जिस से आप के डायफ्राम पर असर पड़ता है जो सिकुड़ता है और उस वजह से हिचकियां आती हैं. अगर मुंह खुला रखने की आदत हो तो हवा अंदर जाती रहती है,ÓÓ
यह कहना है फोर्टिस हौस्पिटल के फिजीशियन डा. विवेक नांगिया का. भावनात्मक स्थितियों या अचानक तापमान में होने वाले बदलाव की वजह से भी हिचकियां आती हैं. ऐसा होने पर तुरंत पानी पी लेना चाहिए.
रोंगटें खड़े होना:- किसी बात को सुन या अचरज से, ब्लैकबोर्ड पर खडिय़ा के रगडऩे या ईंट सरकाने से शरीर के बाल, खासकर हाथों के रोंगटे, खड़े हो जाते हैं. एक मुहावरा भी है कि ‘डर के मारे रोंगटे खड़े होना. ठंड लगने पर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इंडोगल्फ हौस्पिटल, नोएडा के सीनियर कंसल्टैंट डा. गिरीश वैष्णव के अनुसार, ‘वे नन्हेनन्हे रोएं तब उभर आते हैं जब आप को ठंड लगती है या डर लगता है.