जांजगीर-चांपा. मक्का एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल होने के साथ ही व्यवसायिक फसल के रूप में स्थापित हो रहा है। जांजगीर-चांपा जिले के 5 हजार 738 हेक्टेयर रकबे में मक्के की फसल रबी के मौसम में लगाई जाएगी। कलेक्टर श्री जनक प्रसाद पाठक के मार्गनिर्देशन में जिले में मक्के की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया है। साथ ही मक्के की खेती के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा सिंचाई सुविधा वाले खेतों मे मक्का लगाने के लिए किसानों चिन्हांकन किया गया है।
उप संचालक कृषि ने बताया कि धान की तुलना में किसान मक्का से अधिक लाभ कमा सकेंगे। अन्य फसलों की तुलना में अल्प समय में पकने वाला और अधिक पैदावार देने वाला फसल है। मिट्टी की उर्वरा सक्ती में भी वृद्धि होगी। ग्रीष्मकालीन मक्के की बोआई फरवरी माह के अंतिम सप्ताह से मार्च माह के तृतीय सप्ताह तक कर सकते है। ग्रीष्मकालीन मक्के की खेती बहुत फायदेमंद है। हरा भुट्टा का का बाजार में अधिक दाम मिलता है। बाजार में मक्के की मांग बहुत अधिक है। किसानों को समर्थन मूल्य से ज्यादा इसका दाम मिलता है। विदेशों में भी मक्का निर्यात किया जाता है। मक्के का पौधा हरा चारा के रूप में पशु आहार के रूप में भी बहुत उपयोगी है। मक्के की फसल के बाद बचे पौधे का जड़ को रोटा वेटर से जुताई करने से खाद के रूप में उपयोग होता है। न्यूट्रिशियन के अनुसार मनुष्यों के आहार में भी मक्के बहुत उपयोगी है। इसमें कार्बोहाईड्रेट 70 प्रतिशत, प्रोटीन 10 प्रतिशत और तेल 4 प्रतिशत पाया जाता है। ये सभी तत्व मानव शरीर के लिए बहुत लाभ दायक है। कृषि विभाग में किसानों को मक्का लगाने के लिए प्रेरित करते हुए सुझाव दिया है कि किसान भाई मक्के की फसल में रूचि लें। नए तकनीक से खेती करे तो अधिक फसल प्राप्त कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
मक्के से होगा किसानों को अधिक मुनाफा

रबी फसल में पांच हजार 738 हेक्टेयर में लगेगा मक्का