रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना ने बिलासपुर जिले में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की नई दिशा दी है। इस योजना से उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत तो मिल ही रही है, साथ ही स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान सुनिश्चित हो रहा है।
जिले में अनेक परिवार सौर ऊर्जा को अपनाकर प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। अशोक नगर निवासी अंजली सिंह ने 3 किलोवाट का सोलर पैनल लगाकर अपना बिजली बिल आधा कर लिया है। बिल्हा के श्री जमशेर मोहम्मद शेख का बिजली बिल पूरी तरह समाप्त हो गया है। कोनी निवासी श्री एस.के. साहा को 1.08 लाख रुपये की सब्सिडी मिली और उनका बिजली बिल भी शून्य हो गया है। वहीं, कोनी की श्रीमती संगीता तिवारी ने 10 किलोवाट का संयंत्र स्थापित कर संयुक्त परिवार की खपत का आधा से अधिक खर्च बचाया है।

राजनांदगांव शहर के लेबर कॉलोनी निवासी अंशुमन झा ने बताया कि उन्होंने नवम्बर 2024 में अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल स्थापित किया। इस पर लगभग 1 लाख 98 हजार रुपये की लागत आई, जिसमें शासन की ओर से 78 हजार रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ। शेष राशि हेतु उन्हें मात्र 6 प्रतिशत ब्याज दर पर बैंक ऋण की सुविधा भी मिली। उन्होंने बताया कि सोलर पैनल लगाने से पहले उनका मासिक बिजली बिल औसतन 1200 से 1500 रुपये आता था, जो गर्मियों में बढ़कर 2500 से 3000 रुपये तक पहुंच जाता था। किंतु सोलर पैनल स्थापना के बाद से उनका बिजली बिल पूरी तरह शून्य हो गया है। इतना ही नहीं, अब तक वे लगभग 3200 रुपये मूल्य की अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भी जमा कर चुके हैं, जिसका उपयोग भविष्य में किया जा सकता है।

श्री झा ने यह भी बताया कि सोलर पैनल स्थापित होने के बाद से उनके घर में विद्युत आपूर्ति बाधित होने की समस्या समाप्त हो गई है। इससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई निर्बाध रूप से हो रही है और परिवार को भी सुकून मिला है। सभी घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अब निरंतर सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा भी 15 से 30 हजार रुपये तक का अतिरिक्त अनुदान देने की घोषणा की गई है, जिससे हितग्राहियों को दोगुना लाभ मिलेगा। यह योजना आम जनता के लिए न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री झा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आम नागरिकों से पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना का लाभ लेने और बिजली उपभोक्ता से ऊर्जा-दाता बनने की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की।
किसान देवनारायण साहू बने आत्मनिर्भर
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की नई मिसालें स्थापित हो रही हैं। विकासखंड सक्ती के ग्राम नगरदा निवासी किसान श्री देवनारायण साहू ने अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता का सौर पैनल स्थापित कर अन्य ग्रामीणों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। श्री साहू ने जून 2025 में सोलर पैनल लगवाया, जिसकी कुल लागत लगभग 2 लाख रुपये आई। इसमें उन्हें केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई, जिससे उनका आर्थिक बोझ काफी कम हुआ। पहले उन्हें प्रत्येक माह बिजली बिल अदा करना पड़ता था, किंतु सोलर पैनल लगने के बाद उनका बिजली बिल पूरी तरह शून्य हो गया है।
उन्होंने बताया कि यह योजना अत्यंत लाभकारी है। इससे उन्हें आर्थिक राहत मिली है और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का अनुभव भी हो रहा है। ग्राम नगरदा में इस सुविधा को अपनाने वाले वे पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि अब वे आसपास के ग्रामीणों को भी इस योजना का लाभ उठाने हेतु प्रेरित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से उपभोक्ता अपने घर की छत पर रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाकर न केवल घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन से आर्थिक रूप से भी लाभान्वित हो सकते हैं। यह योजना आमजन को हरित ऊर्जा अपनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बना रही है।
केन्द्र व राज्य सरकार दे रही डबल सब्सिडी
केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा डबल सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। 1 किलोवाट पर 45 हजार रुपये, 2 किलोवाट पर 90 हजार रुपये और 3 किलोवाट या उससे अधिक क्षमता पर 1 लाख 8 हजार रुपये तक की सब्सिडी उपलब्ध है। योजना के तहत प्रतिमाह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और नेट मीटरिंग से अतिरिक्त आय की सुविधा दी गई है। आवेदन की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है। उपभोक्ता https://pmsuryaghar.gov.in/ पोर्टल, मोबाइल ऐप अथवा नजदीकी विद्युत कार्यालय के माध्यम से पंजीयन करा सकते हैं। यह योजना न केवल आर्थिक राहत का साधन है, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।