राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के प्रयासों से मलेरिया उन्मूलन में आ रही तेजी
रायपुर। राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन की दिशा में व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर मलेरिया मामलों की खोज के साथ त्वरित उपचार किया जा रहा है। जिससे पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया के मामलों में कमी दिखाई दे रही है । लोगों को मलेरिया से बचाने एवं मलेरिया प्रकरण नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया रोकने के लिए सक्रियता से अभियान चलाया जा रहा है। इसके कारण बस्तर संभाग में मलेरिया के मामले आधे ही रह गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग की टीम दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों के बसाहटों में पहुंच रही है। घने जंगलों एवं नदी-नालों को पारकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिन की टीम गांवों में पहुंचकर लोगों को मलेरिया जांच के साथ मलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक भी किया जा रहा है। बस्तर संभाग के पहुंचविहीन इलाकों, वर्षानुकूल भौगोलिक परिस्थितियों और घने वनों से आच्छादित होने के कारण बारिश के दिनों में मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम हमेशा से एक कड़ी चुनौती रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की पहल से मलेरिया के मामलों में कमीं आती दिखाई दे रही है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि “मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में और स्वास्थ्य विभाग की अथक मेहनत से मलेरिया पर नियंत्रण पाने में हम सफल हो रहे हैं। हमारी सरकार का लक्ष्य है – मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़। इसके लिए विभाग की टीम गांव-गांव जाकर न सिर्फ जांच कर रही है, बल्कि लोगों को जागरूक भी कर रही है। यह जनसहभागिता और शासन की प्रतिबद्धता का परिणाम है कि आज मलेरिया के मामलों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है।”

मलेरिया मुक्त प्रदेश की अवधारणा को साकार करने के उद्देश्य से प्रदेश में मलेरिया मॉस स्क्रीनिंग एवं उपचार अभियान का संचालन किया जा रहा है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन हेतु चलाये जा रहे अभियान के तहत 2020 से 2024 के दौरान, पहले से ग्यारहवां चरण तक मलेरिया धनात्मक दर 4.60 फीसदी से घटकर 0.46 फीसदी हो चुकी है। राज्य के 22 जिलों में 16.97 लाख कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण भी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी जिलों में मलेरिया के मामलों की निगरानी बढ़ाने और उपचार सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए कदम उठाए गए हैं ।
प्रदेश का बस्तर संभाग मलेरिया के प्रसार हेतु संवेदनशील है। पूरे छत्तीसगढ़ के मलेरिया के कुल मामलों में से लगभग 83% फीसदी बस्तर संभाग के 7 जिला से आते हैं। इन जिलों में स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और माननीय मुख्यमंत्रीजी के निर्देशन में किए गए कार्यों से मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है। वर्ष 2015 की तुलना में वर्तमान में बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में 78.34 फीसदी की कमी आई है। मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार, 2015 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया वार्षिक परजीवि सूचकांक 5.21 थी जो 2024 में घटकर 0.98 रह गई है। इसी तरह बस्तर में यह 27.40 से घटकर 7.11 रह गई है।
मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और समय पर उपचार करवाएं। मलेरिया के मामलों में आई यह कमी स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता और जनता की जागरूकता का परिणाम है। प्रदेश सरकार के निरंतर प्रयास और जनसहभागिता के कारण मलेरिया पर नियंत्रण पाने में राज्य ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो आने वाले समय में इस बीमारी के उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम है। मलेरिया मुक्त राज्य बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। जिसमें लोगों को घरों व आसपास स्वच्छता रखने, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने, खाली बर्तनों इत्यादि में पानी जमा न होने देने संबंधी जरूरी उपाय बताए गए । मलेरिया व अन्य मच्छरजनित रोगों के प्रति जनजागरूकता लाने उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे है, जिससे मलेरिया के मामलों पर नियंत्रण लाकर शून्य मलेरिया के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके |