नई दिल्ली (एजेंसी)। व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक दस्तावेज में कहा गया है कि चीन को अब अमेरिका पर अपनी जवाबी कार्रवाइयों के कारण 245 प्रतिशत तक टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। यह जानकारी तब सामने आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आयातित खनिजों और उससे बने उत्पादों पर अमेरिकी निर्भरता के कारण पैदा हुई जोखिमों की जांच के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।

ट्रंप की ओर से जवाबी टैरिफ के एलान के बाद शुरू हुआ टैरिफ वॉर
दस्तावेज में ट्रम्प के उस दावे का हवाला दिया गया है कि विदेशी महत्वपूर्ण खनिजों पर अत्यधिक निर्भरता और उनके खराब उत्पाद अमेरिकी रक्षा क्षमताओं, बुनियादी ढांचे के विकास और तकनीकी नवाचार को खतरे में डाल सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि ट्रम्प ने सभी देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है और उन देशों पर पारस्परिक रूप से उच्च टैरिफ लगाए हैं जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे अधिक है।

टैरिफ पर चीन की प्रतिक्रिया के जवाब में अमेरिका ने लिया सख्त फैसला
व्हाइट हाउस ने कहा कि 75 से अधिक देश पहले ही नए व्यापार समझौतों पर चर्चा करने के लिए संपर्क कर चुके हैं। इसे देखते हुए चीन को छोड़कर अन्य देशों पर लगने वाला जवाबी टैरिफ फिलहाल टाल दिया गया है। अमेरिका के अनुसार चीन ने जवाबी कार्रवाई की है इसलिए चीन के उत्पादों पर अमेरिका में आयात पर 245 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा।

चीन पर सख्ती का अमेरिका ने बताया यह कारण
ट्रंप प्रशासन के दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन ने कुछ महीने पहले अमेरिका को गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और अन्य प्रमुख उच्च-तकनीकी सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनके सैन्य उपयोग की संभावना थी। इसी सप्ताह चीन छह भारी दुर्लभ रेयर अर्थ मेटल के साथ-साथ रेयर अर्थ चुंबकों के निर्यात को भी निलंबित कर दिया था। व्हाइट हाउस ने दावा किया कि इस तरह की कार्रवाई दुनिया भर में ऑटोमेकर्स, एयरोस्पेस निर्माताओं, सेमीकंडक्टर कंपनियों और सैन्य ठेकेदारों के लिए महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति रोकने के लिए की गई।
अमेरिका के 245 प्रतिशत टैरिफ पर चीन ने दी यह प्रतिक्रिया
चीन ने अमेरिका की ओर से लगाए गए 245 प्रतिशत टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए कि कहा कि ट्रंप प्रशासन टैरिफ के आंकड़ों का स्पष्ट ब्यौरा दे। चीन के आयात पर अमेरिका ने 245 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का एलान किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अमेरिकी पक्ष को विशिष्ट कर दर के आंकड़े के बारे में बताना चाहिए। बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, लिन ने कहा कि चीन ने टैरिफ मुद्दे पर अपनी स्थिति को बार-बार साफ किया है। उन्होंने कहा कि टैरिफ युद्ध अमेरिका की ओर से शुरू किया गया था और बीजिंग ने अपने वैध अधिकारों और हितों और अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय की रक्षा के लिए जवाबी कदम उठाए हैं। ये कदम पूरी तरह से उचित और कानूनी हैं। उन्होंने कहा कि टैरिफ और व्यापार युद्धों में कोई विजेता नहीं होता है। उन्होंने कहा कि चीन इन युद्धों को लडऩा नहीं चाहता है, लेकिन इनसे डरता भी नहीं है। उन्होंने हाथ मिलाने और बाधाओं को दूर करने के लिए चीन की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
अमेरिका-चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर में अब तक क्या-क्या हुआ?
अमेरिका की ओर से 02 अप्रैल 2025 को अपने व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने के एलान के बाद चीन के साथ उसका व्यापार युद्ध एक नए मुकाम पर पहुंच गया। दोनों देश एक-दूसरे पर हर दिन एक नए भारी भरकम टैरिफ का एलान कर रहे हैं। इससे पहले, ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों को टैरिफ से छूट दी थी। उस दौरान, चीन ने अमेरिका से सभी इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर जवाबी टैरिफ को पूरी तरह से खत्म करने की अपील की थी। चीन ने अमेरिका से आयात पर 125 प्रतिशत टैरिफ का एलान कर रखा है। अब अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर पहले घोषित 145 प्रतिशत की जगह 245 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया है।
पूर्व में, चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी अमेरिका से अपील है कि वह अपनी गलतियों को सुधारने के लिए बड़ा कदम उठाए। जवाबी टैरिफ को जैसी गलत नीति को रद्द करे और आपसी सम्मान के सही रास्ते पर लौट आए। अमेरिका का इलेक्ट्रॉनिक सामान पर टैरिफ खत्म करना एक छोटा कदम है। हम इसके प्रभाव की जांच कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ खास इलेक्ट्रॉनिक सामानों को जवाबी टैरिफ से छूट देने का एलान किया था। इसमें स्मार्टफोन, लैपटॉप और कुछ अन्य तकनीकी उपकरण भी शामिल किए गए हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन उत्पादों की ज्यादा मांग अमेरिका में होती है, लेकिन इनका उत्पादन अधिकतर चीन, कोरिया और वियतनाम जैसे देशों में होता है।
चीन ने विश्व व्यापार संगठन में भी अमेरिका के खिलाफ मामला दर्ज किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह बातचीत बराबरी और आपसी सम्मान पर आधारित होनी चाहिए। मंत्रालय ने यह भी कहा, अगर अमेरिका और टैरिफ बढ़ाता है, तो चीन अब उसे नजरअंदाज करेगा।