जशपुर। शीत ऋतु में दो खबरें लोगों का ध्यान अनायास आकर्षित करती हैं। एक है बर्फबारी तो दूसरी है पर्यटन। छत्तीसगढ़ को पर्यटन का स्वर्ग भी कहा जाता है। यहां की भौगोलिक संरचना समुद्र को छोड़कर शेष सभी प्रकार के पर्यटन का आनंद दे सकती है। एक ऐसा ही स्थान है जशपुर। यहां का आदिवासी जीवन, यहां की लोककला और संस्कृति ने तेजी से दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग ने यहां पर्यटकों की सुविधा के लिए एक आदिवासी गांव ही बसा दिया है। बालाछापर गांव में स्थित लगभग चार एकड़ पर विकसित ट्राइबल विलेज रिसॉर्ट अपने आप में अनूठा उपक्रम है।
बालाछापर एथनिक रिसॉर्ट का निर्माण 2020 में ही पूरा कर लिया गया था. इसमें पहाड़ी कोरवा, बिरहोर जनजातियों की जीवन शैली की जानकारी देने के लिए सामग्रियां जुटाई गई हैं। पर्यटक यहां आकर इन आदिवासियों की जीवनशैली से रूबरू हो सकें। ट्रायबल टूरिस्ट विलेज में लैंडस्कैप तथा ओपन एमपी थिएटर सहित इको हट्स बनाए गए हैं। पुरातात्विक स्थलों में मिली प्रतिमाएं जैसी कलाकृतियां इसकी शोभा बढ़ा रही हैं। इसका निर्माण भारत सरकार के स्वदेश दर्शन योजना द्वारा पृष्ठपोषित है।


पर्यटकों के ठहरने के लिए लकड़ी के हट्स विशेष आकर्षण
बालाछापर रिसॉर्ट में ट्रायबल आर्टिशियन सेंटर, हट्स, व्याख्यान भवन, कैफेटेरिया, ओपन एमपी थिएटर का निर्माण किया गया है। कलाकार एवं पर्यटकों के ठहरने के लिए लकड़ी के हट्स बनाए गए हैं। स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित विविध प्रकार की कलाकृतियों के प्रदर्शन एवं बिक्री की जाती है। ट्रायबल टूरिस्ट विलेज के पास चाय बागान विकसित की जा रही है। टूरिस्ट विलेज के पास की लगभग 100 एकड़ जमीन पर चाय बागान विकसित किया जा रहा है। आसपास के किसानों को भी चाय की खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ी खान-पान से भी होगा परिचय
छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति का प्रदर्शन पर्यटक के सामने हो, इसके लिए संबंधित रिसॉर्ट के क्षेत्रीय कलाकारों को आमंत्रित कर पर्यटकों के सामने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाती है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन को पर्यटक जाने, इसके लिए वहां के स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा रिसोर्ट में छत्तीसगढ़ी व्यंजन भी परोसा जाता है। पर्यटन स्थल में सुरक्षा को लेकर भी चाक चौबंद व्यवस्था साल भर रहती है।
11.6 हजार पर्यटकों ने करवाई बुकिंग
छत्तीसगढ़ में पर्यटन विभाग अलग-अलग जिलों में 14 रिसॉर्ट संचालित करता है। नया साल, ग्रीष्म और विशेषककर शीत ऋतु में यहां पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ होती है। यहां तक कि बारिश के दिनों में बस्तर अंचल के झरनों को भी देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं। स्थानीय पर्यटक के साथ ही विदेशी पर्यटक भी इन जगहों पर सैर सपाटे के लिए आते हैं। पर्यटन विभाग की मानें तो अक्टूबर से दिसंबर 2024 तक इन तीन महीनों के दौरान 14 रिसॉर्ट में 11614 लोगों ने बुक कराया है।
रिसॉर्ट की देख भाल पर भी जोर
रिसॉर्ट में जब टूरिस्ट का फ्लो अधिक होता है, उस समय मेंटेनेंस भी प्रॉपर तरीके से हो, इसके लिए रिसॉर्ट के सभी मैनेजर को निर्देश दिए गए हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि साल के अंतिम महीने या अंतिम दिनों में क्रिसमस या न्यू ईयर सेलिब्रेट करने जो भी टूरिस्ट आ रहे हैं, चाहे वह डोमेस्टिक टूरिस्ट या फिर फॉरेन के टूरिस्ट को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, ताकि छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति, खानपान और इसकी यादों को लेकर टूरिस्ट यहां से खुश होकर जाएं।
– अनुराधा दुबे, जनसंपर्क अधिकारी, पर्यटन विभाग