रायपुर। प्रदेश के नगर निगमों, नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों में अब जनता सीधे नगर निगमों के महापौर एवं पालिकाओं व पंचायतों के अध्यक्ष का सीधे निर्वाचन करेंगी। कैबिनेट में फैसलें के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज इस विधेयक पर मुहर लगा दी है।

उक्ताशय की जानकारी देते हुए उप मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के भारसाधक मंत्री श्री अरूण साव ने बताया कि प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली जनता को अपने महापौर अथवा अध्यक्ष को सीधे चुनने का अधिकार देती है, जिससे जनप्रतिनिधित्व अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनता है, यह प्रणाली लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को सशक्त करती है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम (संशोधन), 1961 में वेष्ठित अलग-अलग धाराओं में संशोधन के लिए उक्त विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी के पश्चात् छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज प्रस्तुत किया गया एवं विधानसभा द्वारा आज इस विधेयक को मंजूरी दी गई।

अब महापौर व अध्यक्षों को वापस बुलाने का प्रावधान हटा
उप मुख्यमंत्री साव ने बताया कि इस विधेयक के लागू हो जाने से अब महापौर व अध्यक्षों को वापस बुलाने का प्रावधान हटा दिया गया है। इसके अंतर्गत पार्षदों द्वारा लिखित सूचना के पश्चात् अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से महापौर एवं अध्यक्षों को हटाया जा सकता था। इसके अलावा यह प्रावधान भी लागू किया जा रहा है कि नगरीय निकाय पांच वर्ष की कालावधि पूर्ण करने पर विघटित हो जायेंगे। विघटन के पश्चात् राज्य शासन द्वारा निकायों का कामकाज प्रशासक अथवा प्रशासनिक समिति द्वारा संचालित किये जाने के संबंध में भी इस विधेयक में स्पष्ट प्रावधान किया गया है।

एमपी के समय से होती आई है प्रत्यक्ष प्रणाली
गौरतलब है कि अविभाजित मध्यप्रदेश राज्य में 1999 के पूर्व नगर निगमों के महापौर एवं नगर पालिकाओं, नगर पंचायतो के अध्यक्षों का निर्वाचन मतदाताओं के द्वारा होता था और मतदाता सीधे महापौर एंव अध्यक्ष चुनते थे। पूर्ववर्ती सरकार ने नगरीय निकायों में महापौर एवं अध्यक्ष का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से कराये जाने का निर्णय लिया था। जिसकी अधिसूचना 12 दिसंबर 2019 को प्रकाशित की गई थी। इस अधिसूचना के प्रभावशील होने के उपरांत प्रदेश के नगरीय निकायों में केवल पार्षदों का प्रत्यक्ष निर्वाचन, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता था। इन निर्वाचित पार्षदों के द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के आधार पर नगर निगमों के महापौर एवं नगर पालिकाओं एवं पंचायतों के अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाता था।
सीएम साय व डिप्टी सीएम ने बधाई
छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस विधेयक की मंजूरी के पश्चात् प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने प्रदेश की जनता को प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा अब मतदाताओं को नगरीय निकायों में पार्षदों एवं महापौरों अथवा अध्यक्षों को सीधे चुनने का अधिकार प्राप्त होगा। इससे निकायों के लिए जनप्रतिनिधि चुनने में मतदान की भागीदारी सुनिश्चित होगी ही, वही प्रत्यक्ष रूप से चुने गये महापौर एवं अध्यक्षों को कार्यकारी स्वतंत्रता भी मिलेगी। जनता से सीधे चुने जाने के कारण महापौर एवं अध्यक्षों को दीर्घकालिक योजनाओं और विकास के निर्णय लेने में सक्षम बनाती है, इसके साथ ही जनता के प्रति उनकी सीधी जवाबदेही भी सुनिश्चित होती है। उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि जनता को अपने जनप्रतिनिधि को सीधे चुनने का अधिकार देने से प्रदेश के नगरीय निकायों की प्रभावशीलता और कार्यक्षमता तो बढ़ेगी ही बल्कि महापौर और अध्यक्ष की प्राथमिकताएं भी जनता के वास्तविक जरूरतों के अनुरूप रहेगी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लागू अप्रत्यक्ष प्रणाली में महापौर अथवा अध्यक्षों को कौंसिल अथवा परिषद का समर्थन आवश्यक होता था, जिससे राजनीतिक अस्थिरता एवं दबाव की स्थिति उत्पन्न होती थी। प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली लागू हो जाने से यह समस्या समाप्त हो जायेगी।