कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि और किसान कल्याण विभाग व नाबार्ड की बैठक में घोषणा
मुंबई। सरकार जल्द ही स्टार्टअप और कृषि उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के लिए ‘स्टार्ट-अप और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष’ (एग्रीश्योर) शुरू करेगी। कृषि और किसान कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के साथ मिलकर स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष ‘एग्रीश्योर’ की घोषणा करने के लिए शनिवार को मुंबई में एक प्रीलॉन्च हितधारक बैठक आयोजित की। इस फंड की घोषणा नाबार्ड की सहायक कंपनी नैबवेंचर्स ने की है, जिसका प्रारंभिक कार्पस 750 करोड़ रुपये है, जिसमें नाबार्ड और कृषि मंत्रालय प्रत्येक से 250 करोड़ और अन्य संस्थानों से 250 करोड़ रुपये शामिल हैं।
मुंबई में हुए इस कार्यक्रम में कृषि और किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव अजीत कुमार साहू, नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी, नाबार्ड के डीएमडी गोवर्धन सिंह रावत और नाबार्ड के डीएमडी डॉ. अजय कुमार सूद मौजूद रहे। इस दूरदर्शी पहल का उद्देश्य कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में नवीन, प्रौद्योगिकी संचालित, उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों में निवेश को बढ़ावा देना है।
85 कृषि स्टार्ट-अप की सहायता के लिए तैयार यह फंड
नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नैबवेंचर्स द्वारा प्रबंधित, इस फंड को लगभग 85 कृषि स्टार्ट-अप की सहायता के लिए तैयार किया गया है, जिसमें से प्रत्येक का निवेश आकार इसकी अवधि के अंत तक 25 करोड़ रुपए तक है। यह फंड सेक्टर-विशिष्ट, सेक्टर-एग्नोस्टिक और डेट अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में निवेश के साथ-साथ स्टार्ट-अप को सीधे इक्विटी समर्थन के माध्यम से सहायता प्रदान करेगा। एग्री श्योर के फोकस क्षेत्रों में कृषि में अभिनव, प्रौद्योगिकी संचालित पहलों को बढ़ावा देना, कृषि उपज मूल्य श्रृंखला को बढ़ाना, नए ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र लिंकेज और अवसंरचना का निर्माण करना, रोजगार सृजन करना और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की सहायता करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, इस फंड का उद्देश्य किसानों के लिए आईटी-आधारित समाधानों और मशीनरी रेंटल सेवाओं के माध्यम से उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है, जिससे कृषि क्षेत्र में सतत वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
अंतिम छोर तक संसाधनों की आपूर्ति करना है सुनिश्चित : एके साहू
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव एके साहू ने क्रेडिट गैप को पाटने और मौजूदा ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए नवाचार लाने की आवश्यकता के विषय में बोलते हुए कहा, ‘इस पहल का व्यापक उद्देश्य कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए संवेदनशील मुद्दों का समाधान करना है। अंतिम छोर तक संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हमें नवाचार और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है। हमारे अधिकांश किसानों के पास छोटी-छोटी भूजोत है, इस पारिस्थितिकी तंत्र में हमें उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, यहीं पर प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हमें अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए व्यवस्थित मशीनीकरण हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। एग्रीश्योर उस दिशा में एक बड़ी छलांग है। इस फंड की मदद से हमारा लक्ष्य स्टार्टअप को नवीन और टिकाऊ समाधान प्रदान करने में सहायता करना है।
कृषि का डिजिटलीकरण समय की मांग : शाजी केवी
एग्रीश्योर की घोषणा पर बोलते हुए नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी ने कहा, “कृषि मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने के लिए कृषि का डिजिटलीकरण समय की मांग है क्योंकि विकास की अगली लहर नवाचार से आएगी। कृषि में फिनटेक नवाचार न्यूनतम खर्च के साथ अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। किसान कृषि मूल्य की नींव हैं, और उन्हें बहुत बारीकी से संभालने और समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है। केवल ऋण से कृषि क्षेत्र में समस्या का समाधान नहीं होगा। विकास का अगला स्तर नवाचारों से आएगा, जिसके लिए सार्वजनिक और निजी संस्थानों की सह-भागीदारी आवश्यक है। इस फंड के साथ हमारा लक्ष्य शुरुआती चरण के इनोवेटर्स का समर्थन करना और व्यवहार्य, टिकाऊ और सतत तकनीकी समाधानों के साथ किसानों की मदद करना है।”
नाबार्ड ने एग्रीश्योर ग्रीनेथॉन 2024 का किया शुभारंभ
नवाचार को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, नाबार्ड ने एग्रीश्योर ग्रीनेथॉन 2024 का शुभारंभ किया। हैकथॉन का उद्देश्य तीन प्रमुख समस्या कथनों ‘स्मार्ट बजट कृषि का निराकरण करना है, जो छोटे और सीमांत किसानों को बाधित करने वाली उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों की उच्च लागत से बचाता है, “कृषि अपशिष्ट को लाभदायक व्यावसायिक अवसरों में बदलना, कृषि अपशिष्ट को लाभदायक उद्यमों में बदलने पर ध्यान केंद्रित करना; और “पुनर्योजी कृषि को लाभकारी बनाने वाले तकनीकी समाधान”, जिसका उद्देश्य पुनर्योजी कृषि परिपाटियों को अपनाने में आर्थिक बाधाओं को दूर करना है। नाबार्ड ने युवा नवोन्मेषी प्रतिभाओं से कृषि की समस्याओं को दूर करने के लिए अपने नवोन्मेषी समाधानों के साथ हमारे देश को ‘विकसित भारत’ की ओर ले जाने की यात्रा में योगदान देने का आह्वान किया। प्रीलॉन्च हितधारक मीटिंग में बैंकों, वित्तीय संस्थानों, बीमा कंपनियों, एआईएफ और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप के प्रतिनिधि शामिल हुए। उनकी उपस्थिति सतत ग्रामीण विकास और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए उनके सहयोगात्मक प्रयास को रेखांकित करती है। इस योजना के अगस्त, 2024 तक लॉन्च होने की उम्मीद है।