रायपुर(श्रीकंचनपथ न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण के मतदान की निर्णायक घड़ी अब बस आने को है। इस दौर में 7 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। 5 मई की शाम चुनाव प्रचार अभियान थमने के साथ ही प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों का पूरा फोकस अपनी-अपनी रणनीति को अमलीजामा पहनाने पर रहा। मंगलवार को सुबह से मतदान प्रारम्भ हो जाएगा, लेकिन इससे पहले प्रत्याशी इस जुगत में लगे रहे कि ज्यादा से ज्यादा वोटिंग उनके पक्ष में हो। खासतौर पर घर बैठे लोगों को निकालकर मतदान केन्द्र तक ले जाने की पुख्ता रणनीति सोमवार शाम तक तैयार की जाती रही। अंतिम चरण की 7 सीटों में इस बार कड़ी टक्कर की स्थिति है, ऐसे में प्रत्याशी कोई भी चूक करने से बच रहे हैं। कांग्रेस का जोर शहरी इलाकों की बजाए ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा रहा है। वहीं भाजपा प्रत्याशी शहरी इलाकों को संगठन के भरोसे छोड़कर स्वयं ग्रामीण इलाकों पर फोकस रहे हैं।
चुनावी शोर रविवार की शाम को 5 बजे थम गया, जिसके बाद प्रत्याशियों ने अंतिम हथियार के रूप में घर-घर सम्पर्क अभियान शुरू कर दिया। समय कम है और मतदाता ज्यादा, इसलिए सोशल मीडिया के जरिए मतदाताओं तक पहुंचने की जद्दोजहद चलती रही। कई प्रत्याशियों ने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए मोबाइल का भी सहारा दिया। दुर्ग के कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मतदाताओं को लगातार फोन कर समर्थन की अपील की गई। वहीं कई अन्य क्षेत्रों में वाइस संदेश के जरिए पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान की अपील की जाती रही। लोकसभा चुनाव का क्षेत्र बड़ा होने की वजह से प्रत्याशी हर मतदाता के बीच नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में प्रत्याशियों ने विकल्प के तौर पर सोशल मीडिया को भी बड़ा हथियार बनाया। प्रत्याशी सोशल मीडिया के जरिए न केवल मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं, बल्कि पार्टी की रीति-नीति से भी अवगत करा रहा है। इसके लिए बकायदा अलग से टीम तैनात की गई है। खास बात यह है कि प्रचार के चक्कर में प्रत्याशी विरोधियों की साख भी दांव में लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
प्रत्याशी लगा रहे आखिरी जोर
चुनाव प्रचार का शोर थमने के साथ ही अब प्रत्याशियों ने अंतिम जोर लगाना शुरू कर दिया है। प्रत्याशी घर-घर जाकर सम्पर्क कर रहे हैं और अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं। तीसरे दौर के मतदान से पहले तक भाजपा ने कांग्रेस शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार और नक्सलवाद पनपने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। वहीं मोदी की गारंटी से लेकर आयुष्मान योजना, तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस के साथ ही कांग्रेस के विरासत टैक्स का मसला प्रमुखता से उठाया। इससे अलग कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं के साथ अत्याचार, बड़े उद्योगपतियों की कर्ज माफी, भ्रष्ट नेताओं को पार्टी में शामिल करने, ईडी, सीबीआई और आईटी जैसे संस्थानों का दुरूपयोग करने, रेलवे और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के निजीकरण का मुद्दा उठाती रही। भाजपा ने जहां महिलाओं के वोट कबाडऩे महतारी वंदन योजना को प्रमुखता से रखा तो कांग्रेस भी अपनी महालक्ष्मी न्याय योजना के जरिए 1 लाख रूपए देने का वायदा करती नजर आई। हालांकि यह राशि महिलाओं को तब मिलेगी, जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी।
सोशल मीडिया की शरण में
मतदान के लिए समय कम है और मतदाता अधिक है, इसलिए सोशल मीडिया के जरिए मतदाताओं तक पहुंचने की जद्दोजहद बी तेज हो गई है। फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप में ग्रुप बनाकर प्रत्याशी अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचने में लगे हैं। इसके लिए अलग-अलग तरीके से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट किया जा रहा है। वहीं, मतदाताओं तक पहुंचने के लिए प्रत्याशी फोन कॉल का भी सहारा ले रहे हैं। खास बात यह है कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि वे किस समाज से आते हैं। इसके आधार पर ही प्रत्याशी मतदाताओं का अभिवादन करके स्वयं को वोट देने की अपील कर रहे। दूसरी तरह महिलाओं को अलग से फोन लगाया जा रहा है। इसमें इस बात की सूचना दी जा रही है कि आप का फॉर्म मंजूर हो गया है। सरकार बनाने पर राशि मिलेगी। इसके लिए भी प्रत्याशियों ने अलग से पूरी टीम तैनात की है। सिर्फ रायपुर लोकसभा की बात करें तो भाजपा द्वारा हजार से ज्यादा ग्रुप में अपने संदेश भेजे जा रहे हैं। इसके लिए भाजपा के हजार से ज्यादा ग्रुप हैं, जबकि कांग्रेस के दो सौ से ज्यादा ग्रुप बनाए गए हैं और संदेश भेजे जा रहे हैं। वहीं, ब्राडकास्ट के अलावा रिकार्डेड काल, टेक्स्ट मैसेज और फोन पर भी संपर्क साधा जा रहा है।
रणनीतिक अमल अब कार्यकर्ताओं के भरोसे
प्रत्याशी अब तक अपने स्तर पर प्रचार अभियान को गति देते रहे, लेकिन चुनावी शोर थमने के साथ ही अब पार्टी और प्रत्याशी रणनीतिक बढ़त के लिए अपने-अपने कार्यकर्ताओं के भरोसे हैं। इन्हीं कार्यकर्ताओं पर मतदाताओं को घर से निकालने और उनसे अपने पक्ष में मतदान करवाने की जिम्मेदारी है। इस मामले में कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा कहीं आगे नजर आती है। भाजपा के आइटी सेल और कांग्रेस का वार रूम इस आखिरी समय में अहम् भूमिका निभा रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं के बीच पहुंचने का एकमात्र साधन इंटरनेट मीडिया ही है, जिसके जरिए आसानी से बल्क में मतदाताओं तक पहुंचा जा सकता है। इसे देखते हुए दोनों ही पार्टियों की गतिविधियां तेज है। दोनों ही पार्टियों की ओर से मतदाताओं से जनसंपर्क कर मतदाता-पर्चियों का वितरण किया जाता रहा। साथ ही मेनिफेस्टो भी सभी मतदाताओं को देकर अपनी ओर रिझाने की कोशिश जारी रही। मतदाताओं को लाने से लेकर ले जाने की भी व्यवस्था बनाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
भीषण गर्मी बनेगी रोड़ा
हालांकि जिला निर्वाचन कार्यालय से लेकर सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने मतदान के महत्व को आम लोगों तक पहुंचाने की भरसक चेष्टा की है, बावजूद इसके भीषण गर्मी की वजह से मतदाताओं को घर से निकालना टेढ़ी खीर होगी। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि सुबह के वक्त मतदान केन्द्रों में भीड़ रह सकती है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ का औसत तापमान करीब 43 डिग्री सेल्सियस है। कई मैदानी क्षेत्रों में 44 और उससे भी ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। ऐसे में इस बार मतदान का प्रतिशत गिरने की भी आशंका जाहिर की जा रही है। मंगलवार को भी मौसम विभाग ने तेज धूप और उमसभरी गर्मी रहने की बात कही है। अहम् बात यह है कि मतदान चाहे जिस मौसम में हो, राजनीतिक दलों का अपना वोट-बैंक है और यह वोट उन्हें हर हाल में मिलते ही है। लेकिन निर्णायक वही वोट होते हैं, जो आम आदमी देता है। शायद यही वजह है कि भाजपा व कांग्रेस का पूरा जोर आम आदमी के वोट कबाडऩे पर है। भीषण गर्मी को देखते हुए कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाताओं के लिए भी शीतल पेयजल सहित अन्य व्यवस्था बनाने की कवायद की जा रही है।