रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए बस्तर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान है। वोटिंग से 48 घंटे पहले बुधवार शाम पांच चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। हालांकि प्रचार थमने के बाद प्रत्याशी डोर टू डोर संपर्क कर सकते हैं। क्योंकि छत्तीसगढ़ में सबसे पहले बस्तर की इकलौती सीट पर वोटिंग होनी है, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि बस्तर की छाप राज्य की सभी 11 सीटों पर पड़ेगी।
इससे पहले भाजपा, कांग्रेस के साथ अन्य प्रत्याशियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है। बस्तर लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। बस्तर संसदीय सीट के चुनाव में कुल 11 प्रत्याशी आमने-सामने हैं। बतादें कि कुल 12 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र जमा किया था। एक अभ्यर्थी का नामांकन पत्र खारिज होने के बाद 11 प्रत्याशी बच गए। इस सीट पर मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। भाजपा ने महेश कश्यप को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस के पूर्व मंत्री कवासी लखमा मैदान में हैं।
चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूरे क्षेत्र में 1 लाख से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है। चुनाव प्रचार की अवधि खत्म होने के बाद ऐसे सभी लोगों को निर्वाचन क्षेत्र छोडऩा होगा, जो वहां के मतदाता नहीं हैं। इसके लिए होटल, लाज और धर्मशालाओं की जांच होगी। बस्तर लोकसभा क्षेत्र में 19 अप्रैल को चुनाव कराने पोलिंग पार्टियां एक दिन पहले ही रवाना हुई थी। नक्सल क्षेत्र में सभी मतदानकर्मियों को हेलीकॉप्टर से रवाना किया गया। कोंटा, बीजापुर और नारायणपुर से पी-3 के तहत मतदान दलों को हेलीकॉप्टर से भेजा गया है। विधानसभा कोंटा के 26 मतदान केंद्र, नारायणपुर के 33 और बीजापुर के 76 मतदान केंद्रों के लिए दलों को रवाना किया गया। दलों की रवानगी के दौरान तीनों विधानसभा के जिला निर्वाचन अधिकारी भी मौजूद रहे और मतदान दलों की हौसला अफजाई की।
बस्तर लोकसभा क्षेत्र में कुल 14 लाख 72 हजार 207 मतदाता 19 अप्रैल को वोट डालेंगे। बस्तर सीट के लिए चुनाव आयोग ने कुल 1961 मतदान केंद्र बनाए हैं, जिनमें से 96 बहुत ही संवेदनशील मतदान केंद्र हैं। मंगलवार को बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर में 56 मतदान दलों के 336 मतदानकर्मियों को हेलिकॉप्टर से भेजा गया। वहीं आज बुधवार को भी 100 मतदान दलों के कर्मियों को भेजा गया है।
सभा, रोड और जुलूस पर पाबंदी
बुधवार शाम से सार्वजनिक सभा, रोड शो और जुलूस के कार्यक्रमों पर रोक लग जाएगी। मतदान से 48 घंटे पहले चुनावी शोर थम जाता है। वैसे, पहले चरण में जिन राज्यों की सीटों पर वोटिंग होनी है, वहां भाजपा व कांग्रेस के स्टार प्रचारक अंतिम जोर आजमाइश कर रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य नेता शामिल हैं। पहले चरण में 21 राज्यों में 102 सीटों पर मतदान होना है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर बहुमत के साथ जीत हासिल की थी। 2024 में एनडीए 400 प्लस के नारे के साथ अपने पुराने प्रदर्शन से बेहतर करने कोशिश में है। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन भी एनडीए के विजय रथ को रोकने की कोशिश में लगा हुआ है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन सीटों पर अपने वर्चस्व को बचाएं रखना है, जहां उसने 2019 में जीत हासिल की थी। वहीं, इंडिया गठबंधन अभेद किला में सेंधमारी के प्रयास में दमखम के साथ जुटा है।
पहले चरण में कहां-कहां वोटिंग
देश के 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। पहले चरण के मतदान के लिए चुनाव आयोग की तरफ से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुबह छह बजे से मतदान की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। पहले चरण की 102 सीटों में सबसे ज्यादा तमिलनाडु की 39 सीटें हैं, जहां वोटर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इसके साथ ही राजस्थान की 12, उत्तर प्रदेश की 8, उत्तराखंड की 5, अरुणाचल प्रदेश की 2, बिहार की 4, छत्तीसगढ़ की 1, असम की 4, मध्यप्रदेश की 6, महाराष्ट्र की 5, मणिपुर की 2, मेघालय की 2, मिजोरम की 1, त्रिपुरा की 1, पश्चिम बंगाल की 3, जम्मू कश्मीर, अंडमान निकोबार, लक्ष्यद्वीप और पुडुचेरी की एक सीट पर मतदान होगा।
भाजपा-कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत
छत्तीसगढ़ में बस्तर की इकलौती सीट पर होने जा रहे मतदान से पहले भाजपा व कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों दलों के बड़े नेताओं ने यहां आमसभाएं कर जनमानस को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बस्तर में सभाएं कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस से राहुल गांधी ने हाल ही में रैली की थी। भाजपा ने इस सीट से महेश कश्यप के मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा को उम्मीदवार बनाया है। माना जा रहा है कि इस बार बस्तर में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। दोनों दलों के प्रत्याशी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इस संसदीय सीट से कवासी लखमा ने अपने बेटे के लिए टिकट मांगी थी।
निर्दलियों का रहा है वर्चस्व
बस्तर से मौजूद सांसद पीसीसी चीफ दीपक बैज हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद दीपक बैज ने यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2023 विधानसभा चुनाव में दीपक बैज चित्रकोट से चुनाव हार गए। यह सीट पहली बार साल 1952 में अस्तित्व में आई थी। 1952 लोकसभा चुनाव से लेकर साल 1996 तक इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतते रहे। वहीं साल 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। बस्तर की जनता आधुनिक दुनिया से दूर होने के बावजूद कितनी जागरूक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस या अन्य दलों को छोड़कर यहां की जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी को सांसद बनाकर दिल्ली भेजा था। पहले आम चुनाव में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी मुचाकी कोसा ने जीत हासिल की थी। मुचाकी ने कांग्रेस प्रत्याशी सुरती को करीब डेढ़ लाख मतों से हराया था। सुरती को लगभग 36 हजार वोट मिले थे। निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा ने 83.05 प्रतिशत वोट की रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। आज तक कोई भी उम्मीदवार इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है। इसके बाद के इतिहास में अधिकतम वोट कांग्रेस के मनकूराम सोढ़ी के नाम पर है। 1984 के चुनाव में उन्हें 54.66 प्रतिशत वोट मिले थे।